टर्बो इंजन वाली कार या एसयूवी, तो इन बातों का रखें ख्याल…

नई दिल्ली । समस्या तो टर्बो-चार्ज्ड पेट्रोल इंजन वाली कारों के मालिकों के साथ आ रही है। जिनकी गाड़ियां सामान्य यानि नेचुरली एस्पिरेटेड पेट्रोल इंजन के मुकाबले और भी कम माइलेज देती हैं। हालांकि टर्बो पेट्रोल की कारें नेचुरिली एस्पिरेटेड के मुकाबले ज्यादा पावरफुल होती है लेकिन ईधन की खपत ज्यादा करती हैं। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं।
मसलन सड़क पर चलते वक्त जब रेड लाइट पर पहुंचे तो उससे पहले ही गाड़ी की गति को धीमा कर लेना चाहिये। अचानक से ब्रेक नहीं लगाने चाहिये ऐसा करने से आपकी कार की सिर्फ ऊर्जा बर्बाद होती है और कुछ नहीं होता। बजाय इसके आप जब भी रेड लाइट देखें तो कार के एक्सेलेटर पैडल से पैर हटा लें और कार की गति को ऑटोमेटिकली धीमा होने दें। जिस वजह से तेज गति में चलते वाहन पर आपको ब्रेक नहीं लगाने पड़ेंगे।
ग्राहकों को सभी तरह के फीचर्स मिल जाते हैं। जिनमें से एक क्रूज़ कंट्रोल है। यह फीचर आपके अधिकतर वाहनों के स्टीयरिंह व्हील पर माउंट होता है और हाइवे पर सफर के दौरान बेहद काम आता है। अच्छा माइलेज निकालने के लिए किसी भी कार को स्थिर स्पीड में चलाना अत्यधिक लाभदायक होता है, क्रूज़ कंट्रोल वही काम करता है इसकी मदद से आप हाइवेज पर अपनी कार को स्पीड लिमिट करके छोड़ सकते हैं जो कि आपकी कार के अच्छे माइलेज आउटपुट के लिए बढ़िया विकल्प है।
लेकिन इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि गियर शिफ्टिंग के दौरान अधिकतम टॉर्क का इस्तेमाल न किया गया हो। क्योंकि जब भी हम टर्बो पेट्रोल इंजन में जल्दी-जल्दी गियर शिफ्ट करते हैं, तो ऐसे में इंजन को बहुत ज्यादा रेविंग नहीं करते हैं जिस वजह से वाहन ज्यादा मात्रा में ईंधन जलाता है। इन दिनों भारत में तमाम वाहन निर्माता कंपनियां अपनी कारों में टर्बो-पेट्रोल इंजन का प्रयोग करती हैं।