
-वाराणसी दौरे पर ही सरकार को स्थिति अनियंत्रित होने का मिल गया था इनपुट
-पांच कालीदास मार्ग पर ली अहम बैठक, ऊर्जा विभाग के अहम पदों पर हो सकता है बदलाव
-हाल में नहीं दिखा इतना बड़ा आंदोलन, पॉवर बैकअप है मगर बाधित सेवा नहीं हो रही बहाल
-गांवों में हैंडपंप, ताल-तलाब व नदी आ रहे काम, शहरों व कस्बों में पानी सप्लाई बेपटरी
रवि गुप्ता
लखनऊ। एक तरफ यूपी में जहां लगातार दो बार पूर्ण बहुमत के साथ एक ही पार्टी की सरकार प्रदेश में चल रही हो, और
पॉवर इमरजेंसी का ऐसा प्रदेशव्यापी आंदोलन राजधानी लखनऊ से होते हुए पूरे सूबे में फैल गया हो और सरकारी सिस्टम को इसकी भनक तक नहीं लगी...कुछ ऐसे ही
विषम परिस्थितियों से अब योगी सरकार जूझती दिख रही है। जानकारी के तहत बिजली हड़ताल में अब तक दो दर्जन से अधिक एफआइआर हो चुकी है
और इतने ही कर्मचारी नेताओं के खिलाफ एस्मा व निलंबन की कार्रवाई भी की गई है तथा 1300 से अधिक संविदा कर्मियों की सेवायें समाप्त की जा चुकी हैं।
इसका सीधा सा मतलब है, बिजली आंदोलन के विरोध का सुर इतना तीव्र और तीखा होता जा रहा है कि न चाहते हुए भी उपरोक्त कार्रवाई करनी पड़ रही है।
गौर हो कि पिछले कुछ समय के अंतराल में किसी भी प्रदर्शन में किसी भी विभाग के खिलाफ इतने बडेÞ पैमाने पर कार्रवाई नहीं की गई है।
पूर्वांचल क्षेत्र में जौनपुर जनपद के वरिष्ठ पत्रकार आरिफ अंसारी का कहना है कि बिजली व्यवस्था चरमराने से फिलहाल गांव वालों का तो काम चल जा रहा है
क्योंकि उनके पास विकल्प के तौर पर हैंडपंप, ताल, तलाब व नदी आदि है जबकि शहरों व कस्बाई इलाके में पानी सप्लाई नहीं हो पाने की वजह से
हाय तौबा मची हुई है क्योंकि यहां की अधिकांश आबादी सरकारी व निजी वॉटर सप्लाई पर निर्भर है और इसके लिये बिजली सप्लाई जरूरी है।
वहीं विद्युत विभाग से सेवानिवृत्त हुए कई अधिकारियों और यहां तक शक्ति भवन में बैठे प्रमुख अधिकारियों का भी यह मानना है कि इसका तनिक भी अंदेशा नहीं था कि
बिजली प्रदर्शन इतनी तेजी के साथ बढ़ता चला जायेगा। स्थिति यह है कि एक ओर जहां ऊर्जा मंत्री पॉवर कारपोरेशन के सीनियर अफसरों के साथ लगातार बैठक पर बैठक कर रहे हैं
और बिजली उत्पादन से लेकर इसकी निर्बाध सप्लाई की दुहाई मीडिया के समक्ष देते आ रहे हैं। मगर विभागीय जानकारों की मानें तो शनिवार को पूर्वांचल सहित अन्य कई
प्रमुख शहरों व क्षेत्रों में जब बिजली व्यवस्था चरमराती नजर आयी तो विभागीय मंत्री की पहली प्रेस वार्ता स्थगित करनी पड़ी और उनका पूरा अमला सीधे पांच कालीदास
मार्ग की ओर रवाना हो गया। वहीं शासन व्यवस्था से जुडेÞ जानकारों की मानें अब तो खुद सीएम योगी भी दो दिन के बिजली आंदोलन को लेकर विभागीय मंत्री,
उनसे जुडेÞ आला अफसरान की गतिविधियों से भी नाखुश हैं। गौर हो कि एक दिन पूर्व जब सीएम योगी वाराणसी दौरे पर थे तो , उस दौरान भी शहर में बिजली
सप्लाई सिस्टम के गड़बड़ होने का इनपुट उन्हें मिल गया था। वहीं जब हाईकोर्ट जनहित से जुडेÞ इस मुद्दे को लेकर अति सक्रियता दिखायी तोा सीएम योगी ने भी बिजली
विभाग को लेकर अपने तेवर कडेÞ करने शुरू किये। सत्ता-शासन में तो यह भी चर्चा है कि जब एक शर्मा जैसे सीनियर ब्यूरोके्रट, फिर राजनेता और अब काबीना मंत्री,
बिजली विभाग के शीर्ष पद पर रहे वर्तमान सीएम सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी और उनकी टीम बिजली आंदोलन के बढ़ते कदम को किसी तरह नहीं रोक
पायी तो निश्चित तौर इसका इनपुट सूबे की सरकार तक पहुंचना लाजिमी है। माना तो यह भी जा रहा है कि इस बिजली आंदोलन की भेंट अब तो विभाग में शीर्ष पदों पर
काबिज कई अफसर भी चढ़ सकते हैं। हालांकि पॉवर ट्रांसमिशन से सीधे तौर पर जुडेÞ एक सीनियर ब्यूरोके्रट का मानना है कि बिजली कर्मियों का आंदोलन तगड़ा तो
हो गया है, मगर अभी भी ट्रांसमिशन व प्रोडक्शन एरिया में वो सरप्लस हैं। उनके मुताबिक प्रदेश में अभी 10 से 12 हजार मेगावाट बिजली चाहिये जबकि उनके पास
विभिन्न साधनों के जरिये 15 हजार मेगावाट सप्लाई करने की क्षमता है। हां यह भी कहा कि दिक्कत वहां हैं, जहां पर किसी कारणवश यदि बिजली सप्लाई में कोई बाधा आ
गई हो और सप्लाई रुक गई हो तो आंदोलन के चलते मेंटीनेंस नहीं हो पा रहा। बाकी जहां आपूर्ति निरंतर चल रही है, वहां सप्लाई बरकरार है। चर्चा यह भी है कि अब तो
छत्तीसगढ़ की पॉवर विभाग की टीम यूपी के ऊर्जा विभाग के संपर्क में है ताकि किसी भी अनियंत्रित होती स्थिति से निपटा जा सके।