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क्या चीन को दबाव में लेने का उपाय है चीनी सामान का बहिष्कार?

भारत और चीन के रिश्तों में पड़ चुकी खटास से दुनिया वाकिफ है। और ये बात भी किसी से छुपी नहीं है कि भारत में चीनी प्रोडक्ट की बड़ी डिमांड है। लेकिन भारत चीन के बीच खराब होते रिश्तों को लेकर समय समय पर चीना प्रोडक्ट के बहिष्कार की भी मांग की जाती रही है।
तमाम लोगों का मानना है कि चीनी सामान का बहिष्कार कर के चीन पर दबाव बनाया जा सकता है। हालांकि चीनी माल के बहिष्कार से भारत को फायदा कम नुकसान ज्यादा होगा।
पाकिस्तान से चीन की नजदीकियां और सिक्किम बॉर्डर पर भारत और चीन की सेनाओं के आमने-सामने आने के बाद आरएसएस से जुड़े कई संगठनों ने चीनी सामान का बहिष्कार करने की मांग दोहराई है। 8 और 9 जुलाई को आगरा में भारत-तिब्बत सहयोग मंच और कई आरएसएस समर्थकों ने चीनी सामान के बहिष्कार करने का संकल्प लिया।
व्यापार घाटा
भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा पिछले साल बढ़कर 46.56 बिलियन डॉलर (3 लाख करोड़ रुपए) तक जा पहुंचा। चीन का भारत में निर्यात पिछले वित्त वर्ष 58.33 बिलियन डॉलर था। 2015 के मुकाबले निर्यात में 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। दूसरी तरफ भारत का चीन में निर्यात 12 प्रतिशत गिरकर 11.76 बिलियन डॉलर तक जा पहुंचा। दो देशों के बीच आयात और निर्यात का अंतर ही व्यापार घाटा होता है। भारत का फॉर्मा उद्योग चीन से आयात होने वाले ड्रग्स पर बहुत अधिक निर्भर है। ऐसे में अगर एकदम से भारत के बाजारों से चीनी माल गायब हो जाता है तो उसका असर आम आदमी पर भी पड़ेगा क्योंकि सस्ते चीनी सामान का सबसे बड़ा उपभोक्ता वर्ग वही है।
चीन का निर्यात
अब सवाल यह है कि अगर भारत में चीनी सामान का बहिष्कार हो जाता है तो उससे चीन के कुल निर्यात पर क्या असर पड़ेगा। चीन के कुल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत है। साफ है कि अगर चीनी माल का भारत में बहिष्कार हो भी जाता है तो उससे चीन की अर्थव्यवस्था पर इतना असर नहीं पड़ेगा जिसके दबाव बना कर भारत अपनी बात मनवा सके। हालांकि इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि चीन भारत जैसा बाजार खोना नहीं चाहेगा।
तो क्या बहिष्कार बेकार आइडिया है?
भले ही चीनी माल के बहिष्कार का वहां की अर्थव्यवस्था पर तुरंत कोई असर न पड़े लेकिन इसका असर बाद में जरूर दिखेगा। चीन 21वीं सदी की महाशक्ति में रूप में उभर रहा है साथ ही वह खुद को जिम्मेदार अर्थव्यवस्था दिखाने की कोशिश करता है। चीन यह नहीं चाहेगा कि भारत जैसी उभरती महाशक्ति को वह खो दे। चीन के महाशक्ति बनने के सपने को ‘वन बेल्ट वन रोड’ के जरिए समझा जा सकता है। इसके जरिए चीन आर्थिक तरीके से दुनिया पर राज करने का प्लान बना रहा है। साफ है कि बहिष्कार जैसे कदम उठाने से बेहतर यह होगा कि भारत अपनी मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान दे और आर्थिक रूप से ही चीन को टक्कर दे।