
कविता
बन्द उनसे अब हमारी बात है।
जाने क्यूँ अब चुप मेरा दिन रात है।।
बूँद की लडियाँ भी गुमसुम ही लगें।
दर्द में डूबी हुई बरसात है।।
चाँदनी तन से लिपटकर रो रही।
रौशनी ने ली छुपा सौगात है।।
उन सितारों की चमक मद्धम हुई।
कहकशाँ की लौटती बारात है।।
दुश्मनों ने राह में काँटे रखे।
उनकी”पूनम” दिख गई औकात है।।
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