
{अव्यवस्था के बीच निपट गया शपथ ग्रहण समारोह }
{नगर विकास विभाग का पूरा अमला रहा नदारद, बाकी अन्य मंत्री रहे मौजूद }
✍ज़ाहिद अली
लखनऊ, 26 मार्च। सूबे की राजधानी के वीवीआईपी प्रेक्षागृह में लखनऊ नगर निगम के नवनिर्वाचित पार्षदों और महापौर का शपथ ग्रहण समारोह और मौके पर न उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री एके शर्मा नजर आए न नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात और न ही स्थानीय नगर निकाय निदेशक नेहा शर्मा मंच पर नजर आयी। लखनऊ की कर्मठ मंडलायुक्त डा.रोशन जैकब ने नयी महापौर सुषमा खर्कवाल को संविधान की शपथ दिलाने की औपचारिकता निभाई तो नवनिर्वाचित महामौर ने इंदिरा गाँधी प्रतिष्ठान के सजे-धजे मंच पर लगे माइक के सामने खड़े होकर नये पार्षदों को शपथ दिलाई और लखनऊ की जनता के वोटों से चुने गए सभी माननीय पार्षद मंच से नीचे खड़े होकर शपथ लेते नजर आते रहे।वजह यह रही कि पूरा मंच भाजपा के छोटे-बड़े नेताओं से भरा हुआ था और एक बार कुर्सी पर बैठ जाने के बाद आज कल भला उठता कौन है।तो पार्षदों की मजबूरी थी या शपथ ग्रहण समारोह के आयोजकों की समझदारी के जिन पार्षदों के लिए शपथ ग्रहण समारोह आयोजन के वीवीआईपी पास पूरे शहर में बांटे गये थे उन्हीं पार्षदों को शपथ ग्रहण समारोह में मंच देना जरूरी नहीं समझा गया। अलबत्ता शपथ ग्रहण समारोह जैसे-तैसे निपट गया। मंच पर तमाम अतिथियों और विशिष्ट जनों की कतार मौजूद रही।जिनमें मुख्य अतिथि के रूप में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, पूर्व नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन, पूर्व उप मुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा, वित्त मंत्री सुरेश खन्ना,विधायक डा.नीरज बोरा, महेन्द्र सिंह, जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार, नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह, अपर नगर आयुक्त पंकज सिंह व अभय कुमार पाण्डेय के अलावा पूर्व महापौर संयुक्ता भाटिया की उपस्थिति महत्वपूर्ण थी। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए लम्बा-चौड़ा भाषण दिया। जिसमें नवनिर्वाचित पार्षदों को कर्तव्यों का अनुपालन का संदेश भी शामिल था। पूर्व महापौर संयुक्ता भाटिया ने नयी उत्ताधिकारिणी सुषमा खर्कवाल को शुभकामनाएं दी और नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने शक्ति का प्रतीक गदा भेंट किया। कुलमिलाकर पूरा आयोजन भारतीय संस्कृति की प्रतिष्ठा और लखनऊवी तहजीब के उपाहास का कार्यक्रम नजर आया। अव्यवस्था का आलम यह था कि इंदिरा गाँधी प्रतिष्ठान के जूपिटर हाल में तमाम भाजपा पदाधिकारी, पूर्व नेताओं के साथ तमाम मीडियाकर्मी भी पूरे कार्यक्रम के दौरान खड़े रहने के लिए मजबूर नजर आए।
नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खर्कवाल ने शपथ लेने के बाद अपने भाषण में कहा कि सेवा का अवसर प्रदान करने के लिए हम लखनऊ की जनता का आभार व्यक्त करते हैं। पिछले 32 वर्षों से लखनऊ की जनता का भाजपा पर विश्वास बना हुआ है। एक समय था जब लखनऊ और अटल जी एक दूसरे के पूरक थे। अटल जी ने जो पौधा लगाया था लखनऊ के रूप में वो आज विशाल वृक्ष के रूप में खड़ा है। उन्होंने कहा कि लखनऊ को देश के बेहतरीन शहरों में से एक बनाएंगे। शपथ लेने के बाद हम सब मिलकर वृक्षारोपण करेंगे और स्वच्छता के प्रति भी हम सब संकल्प लेंगे। उन्होंने कहा कि चार प्रतिज्ञाओं के साथ हम और हमारे सभी पार्षद साथी लखनऊ को सुन्दर बनाने का कार्य करेंगे।
वहीं, प्रदेश सरकार में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने अपने संबोधन में कहा कि बाहर का आदमी जब लखनऊ आता है तो वह लखनऊ को मॉडल सिटी के रूप में देखना चाहता है। 35 लाख की स्थाई आबादी वाला लखनऊ शहर है और रोजाना करीब 5 लाख लोग यहां बाहर से आते-जाते हैं।
पूरे हिन्दुस्तान में कभी कोई मेयर 2 लाख वोटों से नहीं जीता लेकिन सुषमा खर्कवाल जीती है। स्वच्छता अभियान को सभी पार्षद, नगर निगम और शहरवासी अपना योगदान दें। नगर निकाय चुनाव तो महज ट्रेलर था असली चुनाव 2024 का लोकसभा है। एक साल में नगर निगम और नये पार्षद ऐसा काम करें जिससे एक उदाहरण बन जाए। लखनऊ में जगह-जगह ट्रैफिक जाम लगता है जनता को जाम से मुक्त दिलाना है।
शपथ ग्रहण में नवनिर्वाचित पार्षदों को नहीं मिली कुर्सी {भीड़ की जबदस्त धक्का-मुक्की के बीच कांग्रेस के टिकट से चुनकर आए कल्बे आबिद वार्ड के पार्षद इफहामुल्लाह 'फैज' ने कहा कि हम चौथी बार जीतकर आए है और हमारा ही शपथ ग्रहण समारोह है,लेकिन आप देखिए कि हमारे लिए ही इतने बड़े हाल में बैठने की व्यवस्था नहीं है।वहीं,कदम रसूल वार्ड जीते सपा पार्षद नदीम खान भी कुर्सी के इंतजार में इधर-उधर ताकते नजर आते रहे,पूछने पर बोले कि अजब बदइंतजामी है। हमारे लिए ही कुर्सी नहीं बाकी पूरा हाल भरा हुआ है। ऐसा नहीं कि केवल विपक्षी दलों के पार्षद ही कुर्सी न मिलने से परेशान थे बल्कि दर्जनों भाजपाई पार्षद भी पूरे आयोजन के दौरान भीड़ के धक्के खाते नजर आते रहे। बहरहाल शपथ ग्रहण समारोह समाप्त होने के कुछ देर पहले आयोजकों ने तमाम सीटों पर कब्जा करके बैठे भाजपा कार्यकतार्ओं को समझा बुझाकर प्रेक्षागृह से बाहर भेजा तब जाकर घंटों तक इंतजार कर चुके पार्षदों को बैठने की जगह मिली।}