नई दिल्ली: थोक मुद्रास्फीति में इतनी बढ़ोतरी से आम लोगों को महंगाई की मार झेलनी पड़ सकती है। मुद्रास्फीति के आंकड़ों में बढ़ोतरी होने से आरबीआई पर रेपो रेट बढ़ाने का दबाव बन सकता है, जिससे सभी तरह के बैंकिंग लोन और महंगे हो जाएंगे। वहीं बाजार में खाने-पीने की चीजों जैसे सब्जी, दूध, तेल और ईंधन की कीमतों में भी उछाल देखने को मिल सकता है।
ईंधन की कीमतों में हो सकती है बड़ी बढ़ोतरी
थोक मुद्रास्फीति में दोहरे अंकों की बढ़ोतरी का यह 13 वां महीना, पिछले साल अप्रैल में यह महंगाई दर 10.7 फीसदी थी, लेकिन अब यह 15 फीसद तक पहुंच चुका है। इस बढ़ोतरी से स्पष्ट है कि WPI के अधिकांश घटकों में उच्च मुद्रास्फीति देखी जा रही है। इसमें सभी जरुरत के सामान, ईंधन और पावर व मैन्यूफैक्चर सामानों पर बढ़ोतरी देखी जा रही है। सबसे अधिक बढ़ोतरी ईंधन की कीमतों में होने का अनुमान है, जबकि फूड प्रोडक्ट पर कम बढ़ोतरी हो सकता है। वहीं सभी मुद्रास्फीति पर 6 गुना असर पडेगा।
महंगाई बढ़ोतरी पर क्या है तर्क
आईसीआरए लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार, गर्मी की वजह से फलों, सब्जियों और दूध जैसे खराब होने वाले सामानों की कीमतों में तेजी आई है, जो एक स्पाइक के साथ है। इसने चाय की कीमतों में भी बढ़ोतरी दी है। वहीं ईंधन की कीमत में बढ़ोतरी को लेकर तर्क दिया गया है कि रूस-यूक्रेन वार इसकी बड़ी वजह हो सकती है। हालाकि इससे पहले से ही ईंधन की कीमत में बढ़ोतरी हो रही है।
लोगों पर क्या होगा असर
आरबीआई के अनुसार, थोक मूल्य सूचकांक-खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि का खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति पर “महत्वपूर्ण” प्रभाव पड़ता है। दूसरे शब्दों में, जब थोक खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ती है, तो इससे उपभोक्ताओं के लिए भी खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी होती है। गौरतलब है कि अप्रैल में खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति पहले ही काफी अधिक 8.3 प्रतिशत पर थी। अगले दो महीनों में, थोक बाजार में उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के कारण खुदरा खाद्य कीमतों में और वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है।