हादसा नहीं हत्याएं

इंदौर के एक धार्मिक स्थान पर रामनवमी के मेले में भगदड़ से 3 दर्जन से ऊपर मौतों का मामला कोई नया नहीं है। इससे पहले भी देश -प्रदेश में ऐसी घटनाएं हुईं हैं जिनमें निर्दोष लोगों को जान देनी पड़ी है। महत्वपूर्ण पर्वो के समय धार्मिक स्थलों पर प्रशासनिक अनदेखी और प्रबंधन की लापरवाहियों के तारतम्य में इन्हें सामूहिक हत्याएं कहा जा सकता है, जिसकी जिम्मेदारी किसी की नहीं होती और हर बार महज खानापूर्ति कर चुप्पी साध ली जाती है। बेलेश्वर महादेव नामक धार्मिक पर्यटन स्थल का यह मामला सीधे सीधे मंदिर समिति की लापरवाही से जुड़ा है। यह मंदिर जहाँ स्थित था, वहां का पहुँच मार्ग काफी दुर्गम हैं। ऐसे में अनियंत्रित श्रद्धालुओं की भीड़ को सँभालने की कोई व्यवस्था नहीं थी। 

भीड़ के बारे में प्रशासन को भी गलत सूचनाएं दी गईं थीं। ऐसे में हादसे से निपटने के लिए न तो प्रशासन के पास और न ही मंदिर प्रबंधन के पास कोई योजना थी। ऐसे में वही हुआ, जिसका अंदेशा था।इंदौर का हादसा सामान्य नहीं है। पूरी घटना का अध्ययन करने के बाद पता चलता है कि रामनवमी पूजन पर हवन के समय मंदिर परिसर के अंदर बावड़ी की गर्डर से बनी छत पर 60 से ज्यादा लोग बैठे थे। अकस्मात करीब सवा बारह बजे स्लैब भरभराकर गिर गया। सारे लोग 60 फुट गहरी बावड़ी में जा गिरे। अब ये बात सामने आई है कि मंदिर समिति ने बिना प्रशासनिक अनुमति 30 साल पहले अवैध ढंग से बावड़ी ढक दी थी, इसीलिए लोगों को पता ही नहीं था कि वे बावड़ी पर बैठे हैं। इंदौर नगर निगम के रिकॉर्ड में दर्ज 629 बावडिय़ों की सूची में भी इस बावड़ी का कहीं जिक्र नहीं है क्योंकि समिति ने बावड़ी पर जाली ढक कर ऊपर फर्श बना दिया था। पिछले साल अवैध निर्माण की शिकायत के बाद निगम ने नोटिस जारी किया तो समिति के अध्यक्ष ने बावड़ी खोलने का आश्वासन दे दिया और बात आई गईं हो गई। नेता नगरी के दबाव में नगर निगम वांछित कार्यवाई नहीं कर सका, सिवा समिति को अवैध निर्माण का नोटिस देने के। 

इस लिहाज से मंदिर समिति की गतिविधियों और लापरवाहियों को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। यह भी सामने आई है कि प्रशासन ने ज़ब भी समिति की गतिविधियों को आड़े हाथों लिया, उसने प्रशासन पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाकर प्रशासन पर ही पलटवार कर दिया। राष्ट्रवाद और हिंदुत्व पर खतरा देख हर बार प्रशासन को पीछे हटना पड़ा। अब ज़ब इतनी बड़ी घटना सामने आ चुकी है और तीन दर्जन से ऊपर भक्त जानें गंवा चुके हैं, तब सरकार को सख्त कदम उठाने की जरुरत है। कहीं ऐसा न हो कि चुनावी सीजन में सरकार को लोगों की नाराज़गी भारी पड़ जाए। क्योंकि घटना में मारे गये लोगों और लापरवाही को लेकर आक्रोश बहुत ज्यादा है। इतना कि प्रदेश के मुखिया के खिलाफ भी नारे लग रहे हैं। हालांकि मप्र सरकार ने तत्काल संवेदनशीलता दिखाई है, लेकिन जिनकी गैर जिम्मेदारी के कारण इतने लोगों को अकारण जान देनी पड़ी है, उन पर भी शिकंजा कसे जाने की जरूरत है। सरकार के प्रति लोगों का विश्वास बनाए रखना इस समय अहम है।