गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में आयुर्वेद एवं धन्वंतरि पर्व समारोह*

गोरखपुर। भगवान धन्वंतरि आरोग्यता के देवता हैं और आरोग्य का मूल है सम्यक तरीके से धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति। आयुर्वेद मूलतः आरोग्यता की धारणा को व्यावहारिक रूप से जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम है। आयुर्वेद मरीजों की चिकित्सा करते समय कोई भी भेद नहीं करता है।

यह बातें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में रस शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. के. रामचंद्र रेड्डी ने कही। वह शनिवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम बालापार के गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में सातवें आयुर्वेद पर्व एवं धन्वंतरि जयंती साप्ताहिक समारोह के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। प्रो. रेड्डी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा की अमूल्य धरोहर आयुर्वेद सबके लिए है। व्याधि, वेदना और मृत्यु के भय को दूर करना आयुर्वेद का लक्ष्य है। कोरोना जैसे वैश्विक संकटकाल में पूरे विश्व को आयुर्वेद की महत्ता को स्वीकार करना पड़ा। यह आयुर्वेद की ताकत है कि इसने अपने मूल देश समेत समूची दुनिया को कोरोना त्रासदी से उबारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह पूरी तरह हानिरहित चिकित्सा पद्धति है और एक बार फिर अपने प्राचीन गौरव की तरफ तेजी से उन्मुख है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा जगत की तमाम तरक्की के बावजूद मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा आज के दौर की बड़ी चुनौती है। इसका पूर्ण समाधान आयुर्वेद और योग को अपनी जीवनशैली में अपनाकर किया जा सकता है।

प्रो रेड्डी ने कहा कि धन्वंतरि जयंती मनाने का यह अभूतपूर्व अवसर है जब विश्वविद्यालय स्थित आयुर्वेद फार्मेसी का शुभारंभ 75 किग्रा च्यवनप्राश की निर्मिति से हो रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्ण विश्वास है कि यह आयुर्वेद फार्मेसी विश्व स्तरीय गुणवत्तापूर्ण एवं किफायती औषधियों का निर्माण कर एक आदर्श स्थापित करेगी। इस फार्मेसी में प्रशिक्षित विद्यार्थी देश की प्रतिष्ठित आयुर्वेद औषधि कम्पनियों में रोजगार प्राप्त करेंगे।

आयुर्वेद एवं धन्वंतरि पर्व के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी ने कहा कि आयुर्वेद प्राचीनतम एवं शाश्वत विज्ञान है। आयुर्वेद भारतीय संस्कृति का अविभाज्य अंग है। इसका मूल उद्देश्य समाज को।एकीकृत रूप से आरोग्यता प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय आरोग्यधाम नाम सार्थक करने के लिए समग्र चिकित्सा सेवा के दृष्टिकोण के पथ पर आगे बढ़ रहा है। हमारा मानना है कि सभी चिकित्सा पद्धतियां एक दूसरे की पूरक और सहयोगी हैं। डॉ वाजपेयी ने छात्रों को आयुर्वेद का सार समाज के सामने लाने तथा अपने ज्ञान से समाज को लाभान्वित करने का संकल्प लेने का आह्वान किया। स्वागत संबोधन गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज की प्राचार्य डॉ डीएस अजीथा ने दिया। समारोह के दौरान आयुर्वेद पर आयोजित विविध प्रतियोगिताओं के विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया गया।

इस अवसर पर क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्साधिकारी डॉ प्रभाशंकर मल्ल, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव, विश्वविद्यालय में मेडिकल कोर्सेज के डीन डॉ सुनील सिंह, दिग्विजयनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ डीपी सिंह, डॉ गणेश पाटिल, डॉ प्रज्ञा सिंह, डॉ पीयूष वर्षा, डॉ विनय सिंह, डॉ एपी मल्ल, डॉ दुर्गेश गुप्ता, डॉ ज्वाला प्रसाद, डॉ राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, डॉ धर्मपाल भट्ट आदि की सहभागिता रही। धन्वंतरि व सरस्वती वंदना की प्रस्तुति साक्षी सिंह, दीक्षा, मंपी, प्रिंस गुप्ता, जाह्नवी राय व निधि ने तथा वंदे मातरम की प्रस्तुति आस्मा खातून, ईश्वर, प्रेरणा व स्वाति ने की। मंच संचालन आशीष चौधरी व शाम्भवी शुक्ला ने किया।

*धन्वंतरि पूजन व वृहद स्वास्थ्य मेला का भी हुआ आयोजन*
आयुर्वेद एवं धन्वंतरि पर्व के अंतर्गत शनिवार को धन्वंतरि जयंती पर गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में विधि विधान से धन्वंतरि पूजन-यज्ञ किया गया। पूजन व यज्ञ का कार्यक्रम गुरु गोरक्षनाथ संस्कृत विद्यापीठ के प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार चतुर्वेदी, डॉ रंगनाथ त्रिपाठी ने संपन्न कराया। पूजन में कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव, आचार्य साध्वी नंदन पांडेय, सभी शिक्षक, सभी कर्मचारी व सभी विद्यार्थी सम्मिलित हुए। इसी क्रम में विश्वविद्यालय परिसर स्थित महंत दिग्विजयनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय में वृहद स्वास्थ्य मेला का आयोजन किया गया। इस दौरान 412 मरीजों को निशुल्क चिकित्सकीय सेवा का लाभ मिला। आयोजन में डॉ पूजा तिवारी, डॉ आदित्य नारायण उपाध्याय, डॉ प्रदीप कुशवाहा, डॉ अर्चित मिश्रा, डॉ हरिवंश सिंह, डॉ पवन कुमार, डॉ जीके मिश्रा (प्रबंधक), आयुर्वेद कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज के स्टाफ व विद्यार्थियों का सहयोग रहा।