
औरंगाबाद। अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति के तत्वावधान में मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर – मंतर पर बीपीएससी के पाठ्यक्रम में मैथिली सहित सभी भाषाओं की पुनर्बहाली के लिए धरना एवं प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के दौरान समिति की ओर से पृथक मिथिला राज्य के गठन, संवैधानिक भाषा मैथिली को उचित अधिकार, बाढ़ के स्थायी समाधान, मिथिला क्षेत्र के सर्वांगीण विकास सहित ज्वलंत मुद्दों पर आम व खास लोगों का ध्यान आकर्षित किया गया। प्रो अमरेन्द्र कुमार झा के संचालन में आयोजित धरना की अध्यक्षता प्रो. उदय शंकर मिश्र ने की।
धरना को संबोधित करते हुए संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि बीपीएससी के पाठ्यक्रम में मैथिली सहित अन्य भाषाओं की पुनर्वापसी के लिए उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी है और अगली लड़ाई आरपार की होगी।मिथिला के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं भाषाई आजादी के बिना समग्र मिथिला क्षेत्र का विकास असंभव है। मिथिला क्षेत्र लगातार बिहार से अलग होने की बात कर रहा है क्योंकि मैथिलों के लिए बिहारी शब्द मिथिला के नैतिक पहचान, नैतिक मूल्य, सभ्यता व संस्कृति, भाषा एवं विकास में बाधक है। मैथिली सहित अन्य भाषाओं को मनमाने तरीके से बीपीएससी के पाठ्यक्रम में महत्वहीन बनाकर बिहार सरकार ने अपनी मंशा साफ कर दी है कि उन्हें मिथिला – मैथिली या अन्य किसी भाषा के विकास से कोई सरोकार नहीं है।
प्रो अमरेन्द्र कुमार झा ने कहा कि बीपीएससी के पाठ्यक्रम में 300 अंकों के वैकल्पिक विषय के रूप में मैथिली को स्थान दिलाने तक सड़़क से सदन और न्यायालय तक संघर्ष अनवरत जारी रहेगा। शिशिर कुमार झा ने कहा कि आजादी के 75 वर्षों में मिथिला में बेरोजगारी और पलायन में बेहताशा वृद्धि हुई है। धरना को बृजमोहन मिश्र बालाजी, रवीन्द्र मिश्र, मो.एमजी रब्बानी, प्रीतेश रंजन सिंह, संतोष झा, मिहिर झा, ललित चौधरी, मधुलता मिश्र, मंजूषा झा, सांत्वना मिश्र, फुल कुमार, जितेंद्र पाठक, सियाराम कामत, ललन चौधरी आदि ने भी संबोधित किया।