फेल नजर आयी लखनऊ की एलआईयू

होम्योपैथिक फार्मासिस्टों व बिजली विभाग का आंदोलन बना देश में चर्चा का विषय

 

लखनऊ। राजधानी में आंदोलनकर्ताओं का गढ़ होता नजर आ रहा है जिसमें एलआईयू की गतिधियां पूरी तरह विफल साबित हो रही है। 

चाहे वह होम्योपैथिक फार्मासिस्टों का आंदोलन हो या विद्युत विभाग के कर्मचारियों का प्रदेशव्यापी हड़ताल हो इस आंदोलन ने शासन प्रशासन की नींद उड़ा दी है।

 जहां विद्युत विभाग के आंदोलन करने वालो के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया । जिसे एलआईयू इस समय लोकल स्तर पर भागी भागी फिर रही है कि आखिर

 यह नेता कहां पर अंडर ग्राउंड हो गये है। मौजूदा स्थिति यह हो गयी है कि एलआईयू और आंदोलन करने वाले नेताआें को पकड़ने के लिए 

चूहे बिल्ली का खेल शुरू हो गया है। जानकारों की मानें तो बिजली विभाग के नेताओं की जानकारी जुटाने के लिए एलआईयू लोकल स्तर पर पत्रकारों से मदद मांगती फिर

 रही है कि यह आंदोलन करने वाले नेता कहां मिलेंगे। वहीं शनिवार को होम्योपैथिक फार्मासिस्ट मुख्यमंत्री आवास चौराहे पर धरना प्रदर्शन करने में सफल रहे। 

सभी फार्मासिस्टों ने हाथ में तिरंगा लेकर मुख्यमंत्री आवास चौराहे पर पहुंचकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन करने लगे। देखते ही देखते प्रदर्शनकारी कुछ और कर पाते कि

 वहीं मौजूद भारी पुलिस बल ने अपनी सक्रियता दिखाते हुए आनन फानन में मुख्यमंत्री आवास चौराहे को खाली कराने जुट गये और एक-एक करके सभी फार्मासिस्टों को

 हिरासत में लेकर बस के माध्यम से इको गार्डन में सिफ्ट कर दिया। वहीं हम बात करें एलआईयू कि तो कहीं न कहीं विफल साबित होती दिख रही है। जहां अगर लोकल

 स्तर की जानकारी में एलआईयू को अहम माना जाता है। वहीं आज वह हालात हो गये हैं कि जिन्हें गिरफ्तार करने के लिए आदेश मिला उन्हें पकड़ने में एलआईयू स्थानीय

 पत्रकारों से मदद मांगती फिर रही है। उन्हें यह तक नहीं मालुम कहां छिप गये हैं, देखा जाए तो लोकल स्तर की गतिविधियों को रोजाना रिपोर्ट एलआईयू शासन को मुहैया

 कराती। जिसमें लोकल जनसभा हो या राजनैतिक रैलियां व अन्य जो भी गतिविधियों का दायित्व एलआईयू पर निर्भर है। जानकारों की माने तो सबसे अधिक भरोसा

 एलआईयू पत्रकारों पर ही करती है। एलआईयू इसलिए लोकल स्तर पर कोई भी गतिविधियां होती हैं तो सबसे पहले पत्रकारों को फोन के माध्यम से जानकारी लेने का

 प्रयास करती है। देखना यह दिलचस्प होगा की आगे की रणनीति एलआईयू कैसे तय करेगी और इस आंदोलन को नियंत्रित कैसे किया जा सकेगा।

वरिष्ट पत्रकार कर्मवीर त्रिपाठी ने कहा कि विद्युत विभाग के आंदोंलन की बात करें तो यह सरकार और विभाग को यह अंदेशा नहीं था कि इतना बड़ा आंदोलन हो जायेगा।

 जिसमें मंत्री और अधिकारी आंदोलन करने वाले नेताओं को मैनेज करने में विफल साबित हुए। अगर एलआईयू की बात करें तो रोजाना लोकल गतिविधियों पर मीटिेंग के

 माध्यम एजेंडा तैयार करती है। इस आंदोलन की एलआईयू ने पहले ही इनपुट शासन को उपलब्ध करा चुकी थी।