सिवान: मैरवा के बड़का माझा निवासी झुलन तिवारी भी उन्हीं लोगों में शामिल हैं, जो अपने कर्म के आगे किसी भी बाधा को पार कर जाते हैं। इन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा में अपने जीवन के 25 वर्ष गुजार दिए हैं। मैरवा के जवाहर कालोनी में आवासन कर रहे कुष्ठ रोगियों के 58 परिवार की देखभाल और रोगियों की मरहम पट्टी के दायित्व निर्वहन करते आ रहे हैं। कहते हैं कि ऐसे असहाय और उपेक्षित लोगों की सेवा करने में जो उन्हें आनंद मिलता है शायद ही किसी दूसरे काम को करने में मिलता। जिस रोग का नाम सुनकर रोगी को छूना लोगों को गवारा नहीं होता, ऐसे रोगियों की सेवा मेरे लिए साधना बन चुकी है। 1996 से इस दायित्व का निर्वहन करते आ रहे हैं
जानकारी के अनुसार झुलन तिवारी 1996 से इस दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। फिलहाल वे मैरवा रेफरल अस्पताल में कुष्ठ विभाग में पारा मेडिकल वर्कर हैं। झुलन तिवारी बताते हैं कि वह प्रतिदिन मरीजों के पास जाते हैं। उनका हाल चाल लेते हैं और आवश्यकतानुसार मरीजों की मरहम पट्टी करते हैं। इस समय 22 मरीज हैं। उनकी समय पर मरहम पट्टी करनी होती है। राजेंद्र कुष्ठ आश्रम में देते थे सेवा
झुलन तिवारी बताते हैं कि राजेंद्र कुष्ठ सेवा आश्रम में इलाज को देश के कोने-कोने से मरीज पहले आते थे, लेकिन आश्रम को केंद्र सरकार द्वारा मिलने वाली आर्थिक सहायता 1994 के बाद बंद हो गई। इसके बाद वह संस्था बदहाली के कगार पर पहुंच गया। इस अस्पताल में आने वाले मरीज कुष्ठ आश्रम की भूमि पर मकान बनाकर रहने लगे तो कुछ रेलवे स्टेशन से पूरा रेलवे लाइन के किनारे एक मोहल्ला बसाकर रहने लगे। इस मोहल्ले का नाम जवाहर कालोनी है। यहां 50 से अधिक परिवार निवास करते हैं। इनमें से अधिकांश भीख मांग कर गुजर-बसर करते हैं। हालांकि कुछ रोगियों का हालचाल लेने और मदद करने के लिए समय-समय पर देश के कोने-कोने से समाजसेवी आते-जाते रहते हैं।