पृथ्वी,जल,जंगल,जमीन को बचाएं : डॉ. हीरा लाल

पृथ्वी को स्वस्थ बनाने को शुरू किया जनजागरूकता अभियान

पृथ्वी,जल,जंगल,जमीन को बचाएं : डॉ. हीरा लाल

विश्व पृथ्वी दिवस कल

लखनऊ। मनुष्य स्वस्थ रह  सकता है,जब हम पृथ्वी,जल,पेंड़ पौधे और जमीन को स्वस्थ बनायेंगे। जल हमें पृथ्वी से प्राप्त होता है,पानी नदियों, तालाबों, कुओं, मिट्टी और कई अन्य जल निकायों में रहता है। पेड़ और जंगल हमें अनवरत ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और हमारे चारों ओर एक स्वस्थ और खुशहाल वातावरण बनाते हैं। जमीन हमारे लिए खाद्य पदार्थ पैदा करती है। यह जानकारी रविवार को विश्व पृथ्वी दिवस की पूर्व संध्या पर डॉ.हीरा लाल ने कही।
 
उन्होंने कहा कि हम आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए, इसका सेवन करते हैं। हमें अधिक मात्रा में गुणवत्तापूर्ण भोजन की आवश्यकता होती है। जिस तरह से केमिकल के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता एवं गुणवत्ता खराब हो रही है और खाद्य उत्पादन के लिए जगह कम होती जा रही है। इससे हमारी खाद्य आपूर्ति की उपलब्धता प्रभावित हो रही है। इसलिए इन तीनों के स्वास्थ्य को उनके मानकों के अनुरूप बनाए रखना हम सभी के लिए अनिवार्य है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हमारा अस्तित्व संकट में पड़ जायेगा।
 
उन्होंने कहा कि धरती माता को स्वस्थ बनाने के प्रति जागरूकता के लिए ही हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है । इस साल इस दिवस की थीम है ग्रह बनाम प्लास्टिक है। इसका मतलब है कि प्लास्टिक के कचरे से बढ़ते प्रदूषण से धरती माता को बचाना है।  डॉ. हीरा लाल का कहा कि जल के बिना जीवन नहीं है, जल की गुणवत्ता एवं मात्रा की उपलब्धता दिन-ब-दिन घटती जा रही है। यह हम सभी के लिए संकट की स्थिति का संकेत देता है और हम अपने अस्तित्व के खतरनाक क्षेत्र में जा रहे हैं। जल हम सभी से जुड़ा है, तो इसका समाधान हम सभी के पास ही है।
 
हम सभी को वर्षा ऋतु में एक वर्ष में उतना पानी बचाना चाहिए, जितना हम एक वर्ष में उपभोग करते हैं। यह काम सभी को मिलकर करना होगा। अगर हमें लगता है कि यह काम सिर्फ सरकार, सीएसओ, एनजीओ का है तो इस मानसिकता को बदलना होगा । उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन के लिए हमें गुणवत्तापूर्ण वायु की आवश्यकता होती है। कोरोना ने हमें हवा का महत्व बताया है औ ऑक्सीजन की गुणवत्ता,मात्रा दोनों तेजी से कम हो रही है। यह हमारी स्थिरता के विरुद्ध एक मजबूत संकेतक है। हमें ऑक्सीजन फैक्ट्री लगाकर इस स्थिति से निपटने की जरूरत है। हमें पेड़, लगाने होंगे और उन्हें जिन्दा रखना होगा। 
Tags: lucknow

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