राजनीतिक पाश में फंसे ‘कलयुग के राम’, क्या होगी नैय्या पार!

त्रेतायुग में नागपाश से हनुमान-गरूणदेव ने दिलाई थी मुक्ति, अब कलयुग में आयेगा कौन

राजनीतिक पाश में फंसे ‘कलयुग के राम’, क्या होगी नैय्या पार!

रवि गुप्ता

  • चर्चा तेज मेरठ में क्या आयेंगे कलयुग के राम, सीता-लक्ष्मण ने सोशल मीडिया पर की अपील
  • इंडिया गठबंधन प्रत्याशी सुनीता वर्मा की है जमीनी पकड़, निवर्तमान बीजेपी सांसद पर चली कैंची
  • क्षेत्र में दबे जुबां चर्चा, अभी तक कहां थे अरूण गोविल अब आयी मेरठ मातृभूमि की याद

लखनऊ। त्रेता युग में जब श्री राम और लक्ष्मण पर रावण के बेटे मेघनाद ने अपने अचूक नागपाश शस्त्र को चलाया था तो उस दौरान दोनों भाई मूर्छित हो गये थे और जीवन-मृत्यु के मंझधार में फंसे हुए थे...तब राम भक्त हनुमान और गरुण देव ने उन्हें इससे मुक्ति दिलायी थी और फिर आगे राम-रावण युद्ध हुआ और प्रभु राम सपरिवार अपने अयोध्या नगरी पहुंचे। मगर आज तकरीबन 500 बरस बाद जब उसी अयोध्या में तमाम प्रकार की विषमताओं को पार करते हुए त्रेता युग के राम अपने भव्य मंदिर में श्रीराम लला के रूप में विराजमान हुए तो सब तरफ हर्ष का माहौल बन गया।

जबकि वहीं दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव 2024 के महासमर के मद्देनजर देखें तो ‘कलयुग के राम’ कहीं न कहीं क्रान्ति की धरती यानी मेरठ के चुनावी दंगल में फंसे हुए नज़र आ रहे हैं। जी हां, यहां पर जिक्र हो रहा है 80 के दशक में टेलीविजन के पर्दे पर भगवान राम के किरदार को अपने शानदार अभिनय से जीवंत और चिरकायी बनाने वाले और मौजूदा समय में बीजेपी के मेरठ प्रत्याशी अरूण गोविल, जिन्हें अक्सर कलयुग के राम नाम की संज्ञा दी जाती है। दूसरे फेज में यहां पर चुनाव होने वाला है और ऐसे में अरूण गोविल मेरठ क्षेत्र में ही पैर जमाये हुए हैं। अपने सार्वजनिक सभाओं में वो यह कहते हुए दिख रहे हैं कि मेरठ उनकी मातृभूमि है और चुनाव जीतने के बाद वो इसी को अपनी कर्मभूमि भी बनायेंगे।

जबकि वहां पर तरूणमित्र टीम ने जब कुछ लोगों की राजनीतिक नब्ज टटोली तो लोग बोले कि अभी तक कहां थे कलयुग के ये राम, अब उन्हें मेरठ अपनी मातृभूमि की याद आयी है। गौर हो कि राम का किरदार निभाने के बाद अरूण गोविल काफी समय तक फिल्मी दुनिया से दूर रहें, मगर अभी कुछ समय से वो विभिन्न सोशल मीडिया माध्यमों पर बतौर मानव दर्शन, संस्कृति और सभ्यता वेत्ता और धार्मिक प्रस्तोता के तौर पर सक्रिय रहे और यह भी रहा कि इस दौरान उन्होंने कभी भी मेरठ को अपनी मातृभूमि नहीं बताया। इससे इतर वहां उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी इंडिया गठबंधन प्रत्याशी सुनीता वर्मा की बात करें तो वो पहले बसपा से यहां मेयर रह चुकी हैैं और इनके पति बसपा विधायक रह चुके हैं जिनकी ठीकठाक पकड़ मुस्लिम-जाटव और दलित वर्ग के बीच है। ऐसे में यह राजनीतिक मुकाबला काफी तगड़ा बताया जा रहा, हालांकि इससे पूर्व लगातार मेरठ से बीजेपी के प्रत्याशी राजेंद्र अग्रवाल निर्वाचित होते हुए आये, मगर इस बार उनका टिकट काटकर नये चेहरे के तौर पर अरूण गोविल को चुना गया।

वहीं अरूण गोविल के मेरठ से चुनाव लड़ने के मुद्दे पर जब अयोध्या नगरी के कुछ लोगों की राय ली गई तो उनका यही कहना रहा कि अभी 22 जनवरी को जब प्राण प्रतिष्ठा समारोह था तो उस दौरान अरूण गोविल अपने सह कलाकारों संग यहां पर कई दिन टिके रहे और मशहूर हुए। वहीं बदलते परिवेश में अयोध्या से पुराने और बुजुर्ग चेहरे लल्लू सिंह के जगह उन्हें ही अयोध्या से चुनाव में उतारा जाना चाहिये था। यही नहीं अभी लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले सुनील लहरी और सीता का रोल अदा करने वाली दीपिक चिखलिया ने भी अरूण गोविल के समर्थन में अपने-अपने तरीके से सोशल मीडिया पर जनअपील की है।

बहरहाल, एक बार अयोध्या वासियों की यह मंशा जैसे ही जगजाहिर होनी शुरू हुई तो लल्लू सिंह के खेमे में खलबली मच गई। मगर कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी तय नहीं होता, सब समय और परिस्थिति पर निर्भर होता है। अब चूंकि अरूण गोविल अयोध्या से शिफ्ट होते हुए मेरठ से चुनावी रण में कूद चुके हैं, मगर उपरोक्त परिस्थितियां उनका कहां तक साथ देंगी और वो उन्हें इस प्रकार के राजनीतिक पाश से कौन बाहर निकालेगा यह तो जनता-जनार्दन को ही तय करना है, मगर सवाल यही उठ रहे हैं कि क्या अयोध्या की ही तरह मेरठ में राम आयेंगे, कमल खिलायेंगे, यह एक यक्ष प्रश्न बनकर खड़ा हुआ है।

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