इंडिया गठबंधन के नामांकन ने उड़ाए भाजपा के होश

पैराशूट भाजपा प्रत्याशी अनुराग के सामने बड़ी चुनौती

इंडिया गठबंधन के नामांकन ने उड़ाए भाजपा के होश

* जन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक को मनाने की चुनौती * 5 साल से उपेक्षित मतदाताओं की नाराजगी खुलकर आ रही सामने * स्थानीय से ले प्रदेश नेतृत्व तक ने जिताने को बदली रणनीति 

झाँसी। सांसद चुने जाने के पूरे 5 साल तक क्षेत्रीय समस्याओं से अंजान और मतदाताओं से दूरी बनाकर रखना झाँसी -ललितपुर के भाजपा सांसद अनुराग शर्मा को अब भारी पड़ता दिखाई देने लगा है। पहले ही खबरें थीं कि झाँसी -ललितपुर के मतदाता सांसद से जबरदस्त नाराज हैं। भाजपा आलाकमान तक भी यह खबरें पहुंची थीं और एक समय तो तय लगने लगा था कि अनुराग को शायद ही पार्टी दोबारा टिकट दे लेकिन भारत के बड़े औद्योगिक घरानों में शुमार बैधनाथ आयुर्वेद भवन के संचालक का रसूख और कम्पनी का संघ के मुख्यालय नागपुर में कॉर्पोरेट ऑफिस होना काम आ गया और एक बार फिर अनुराग झाँसी -ललितपुर के टिकट के इच्छुक भाजपाइयों को धता बताते हुए पैराशूट प्रत्याशी के तौर पर दुबारा झाँसी -ललितपुर की जनता पर लाद दिए गए। बता दें कि अनुराग 2019 में भी इसी तरह अंतिम समय में पैराशूट प्रत्याशी के तौर पर टिकट ले आये थे और झाँसी -ललितपुर के भाजपाई टिकटार्थी टापते ही रह गए थे। ज्ञात हो कि 2014 में झाँसी -ललितपुर से सांसद और बाद में मंत्री बनी उमा भारती तक को पार्टी ने जनता की नाराजगी को भांपते हुए दोबारा टिकट नहीं दिया था जबकि उनका कद बहुत बड़ा था। लेकिन अनुराग जनता और क्षेत्रीय भाजपाईयों की नाराजगी के बावजूद आलाकमान से टिकट लाने में सफल रहे। बहरहाल, वर्तमान सांसद से जनता की ये नाराजगी इंडिया गठबंधन प्रत्याशी कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य के नामांकन जुलूस में साफ़ दिखाई दी ज़ब बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के उनके नामांकन में अभूतपूर्व तरीके से झाँसी -ललितपुर क्षेत्र से भीड़ उमड़ पड़ी। यह हाल तब था ज़ब प्रदीप के नामांकन में न तो कांग्रेस और न ही सहयोगी दल सपा का कोई बड़ा नेता आया। यह अलग बात है कि प्रदीप खुद कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं। इस बात ने प्रदेश नेतृत्व तक को चौकन्ना कर दिया है, सांसद के होश तो उड़े ही हुए हैं। उधर एक दिन पहले हुए क्षेत्रीय सांसद के नामांकन में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य की उपस्थिति के बावजूद उल्लेखनीय भीड़ नहीं रही। मौजूद भीड़ के बारे में भी यह चर्चाएं होती रहीं कि यह केशव मौर्य के नाम पर आई पिछडी जाति के लोग थे जो केशव को प्रदेश और राष्ट्रीय फलक़ पर पिछड़ी जाति के नेता के तौर पर मजबूत करना चाहते हैं। यानी अगर केशव मौर्य न आते तो अनुराग शर्मा को नामांकन में भीड़ इकट्ठे करने के भी लाले पड़ जाते।

बहरहाल, जो जनचर्चाएं हैं उसके अनुसार अनुराग की कार्यशैली से न केवल जनता बल्कि स्थानीय भाजपाई भी नाराज हैं। चर्चाओं के अनुसार जनप्रतिनिधियों को मुख्यमंत्री और प्रदेश नेतृत्व ने चेताया भी है कि अगर उनकी विधानसभाओं से ऐसे जनप्रतिनिधि अपना टिकट कटा समझें लेकिन उसके बाद भी जनप्रतिनिधि एक तो सांसद के पुराने व्यवहार और दूसरे जनता की नाराजगी के चलते आम मतदाता का सामना करने में खुद को असमर्थ महसूस कर रहे हैं।
ऐसे में स्थानीय और प्रदेश संगठन अनुराग को चुनाव जिताने के लिए नई रणनीति पर काम कर रहा है जिसमें साम, दाम, दंड और भेद शामिल किये जा रहे हैं। अनुराग को भी कुछ सुझाव दिए गए है जिन्हें उन्होंने मान तो लिया है लेकिन सांसद खेमे के विश्वस्त कह रहे हैं कि यह बदलाव केवल मतदान के दिन 20 मई तक के लिए ही हैं। आखिर सांसद एक बड़े औद्योगिक घराने के एमडी भी हैं जिन्हें जनता से दूरी रखना बताया भी गया है और यह उनके अनुसार व्यावहारिक भी है।
ऐसी स्थितियों में भाजपा प्रत्याशी किस तरह जनता की नाराजगी दूर कर पाएंगे, यह संदेह के घेरे में तो है ही, भाजपा को लगातार तीसरी बार यह सीट दिला पाएंगे, इसमें भी संदेह है।

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