रिकॉर्ड: मतदान में लखनऊ से मीलों आगे निकला ललितपुर...!
ललितपुर के दो गांवों में हुई 100 फीसद वोटिंग, बंगलुरू से वोट डालने आया युवक
रवि गुप्ता
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लखनऊ। भारतीय लोकतंत्र के चुनावी महापर्व में वैसे तो एक-एक वोट की कीमत होती है, क्योंकि सत्ता-राजनीति के बीते पन्नों को पलटकर देखा जाये तो ऐसे कई मौके देखे गये हैं कि जब केवल एक वोट से कभी केंद्र तो कभी राज्य की चुनी हुई सरकारें गिर गई। यानी कुल मिलाकर यह कहना सर्वथा उचित होगा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक व्यवस्था में निहित किसी संसदीय क्षेत्र में कहीं पर 100 फीसद मतदान की प्रक्रिया पूरी हो जाये तो, यह वाकई में वहां के स्थानीय नागरिकों, प्रशासन और सीधे निर्वाचन सिस्टम से जुडेÞ कर्मियों का भागीरथ प्रयास ही माना जायेगा।
2024 के लोकसभा चुनाव का पांचवे चरण जोकि गत 20 मई को आयोजित हुआ, में कुछ ऐसा ही लोकतांत्रिक करिश्मा देखने को मिला। बता दें कि इस फेज में यूपी की कुल 14 सीटों पर चुनाव होना था, जिसमें लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, फैजाबाद व कौशांबी समेत झांसी संसदीय सीटों पर चुनावी प्रक्रिया संपन्न होनी थी। हैरानी तो तब हुई जब यह पता चला कि राजधानी मुख्यालय से मीलों दूर झांसी मंडल का एक छोटे सा जिला ललितपुर मतदान फीसद में लखनऊ संसदीय सीट से कहीं आगे निकल गया।
लखनऊ जोकि पढेÞ-लिखे बाहुल्य वाले लोगों का क्षेत्र है, और जबकि ललितपुर एक छोटा सा जिला जहां पर संसाधनों का अभाव है, ऐसे में वहां के दो ऐसे ग्राम सभा ने मतदान के मामले में लखनऊ को भी पीछे छोड़ दिया। जनपद के महरौनी विस के सोल्दा गांव में कुल 375 (198 पुरूष व 117 महिला) व बम्हौरीनांगल गांव कुल 441 (235 पुरूष व 206 महिला) मतदाता थे, और जहां पर वोटिंग के दिन पूरे के पूरे 100 फीसद मतदान हुए। इस व्यवस्था से जुड़े जानकारों की माने तो संभवत: देश के इतिहास में किसी भी चुनावी महापर्व में यह अब तक का सबसे बड़ा ऐतिहासिक रिकॉर्ड माना जायेगा, कि जहां क्षेत्र में निवासित करने वाले सभी मतदाताओं की 100 फीसद वोटिंग हुई हो।
हेलीकॉप्टर से बुलवाया गया मतदाता शेर सिंह...!
तरूणमित्र टीम से बातचीत में यहां के बीएलओ राजेश कुमार ने बताया कि पहले तो डीएम सर का कुशल निर्देशन रहा और स्थानीय प्रशासन के मार्गदर्शन और फिर अंतत: गांव वालों के सहयोग से यह कार्य संभव हो पाया। बताया कि ऐसे ही एक युवक शेर सिंह जोकि बंगलुरू में किसी कंपनी में जेसीबी चलाता था और वही अकेला वोटर नहीं आ पा रहा था। फिर कपंनी मालिक से बात की गई और उसके हवाई यात्रा का इंतजाम कराते हुए भोपाल तक बुलाया गया और वहां से गाड़ी द्वारा ललितपुर उसके ग्राम सभा बूथ पर लाकर मतदान के लिये तैयार किया गया।
आगे कहा कि इसी प्रकार एक मजदूर दंपत्ति जोकि पिछले काफी समय से जनपद में नहीं दिखे रहे थो, यानी एक तरह से लापता थे और उनका नाम वोटर लिस्ट में अंकित था। ऐसे में उनकी खोजबीन शुरू की गई तो गांव वालों के संपर्क से पता चला कि दोनों इस समय ग्वालियर में काम करते हैं और फिर उन्हें भी जनदप में वोटिंग के लिये बुलाया गया।
वहीं क्षेत्र के कुछ वरिष्ठजनों से जब बात की गई तो उनका यही कहना रहा कि भईया, जी हमारा जनपद झांसी मंडल का एक पिछड़ा जिला है जहां पर न तो फैक्ट्री और न ही कोई स्थायी रोजगार तो ऐसे में ज्यादातर लोग कामकाज के लिये दूसरे पड़ोसी राज्यों और जनपदों की ओर जाते हैं। फिर आगे कहा कि, जब से ये डीएम साहब आये हैं, वो तो खुद हम लोगों के बीच आते हैं और बात करते हैं और हम अपनी मूल समस्या बता पाते हैं जिससे स्थानीय प्रशासन भी इस पर अमल करता रहता है।
डीएम की एक दशक पूर्व की सोच आई काम...!
डीएम ललितपुर अक्षय त्रिपाठी ने तरूणमित्र चीफ रिपोर्टर रवि गुप्ता से बातचीत में कहा कि जब 2014 में वो प्रोबेशन काल के दौरान इटावा जनपद में कार्यरत थे, तो उन्होंने यही सोचा कि आखिर तमाम कोशिशों के बावजूद लोग वोटिंग करने क्यों नहीं जा पाते। फिर जब उन्होंने इस मुद्दे पर गहन समीक्षा की तो पाया कि जब किसी क्षेत्र की वोटिंग लिस्ट सही होगी, और उसका मिलान स्थानीय और क्षेत्रीय निर्वाचन टीम के साथ सही होगा और फिर जमीनी स्तर पर एक-एक वोटरों से टैली की जायेगी तो परिणाम बेहतर आयेंगे।
आगे कहा कि, बस वही आइडिया उन्होंने ललितपुर जनपद में बतौर डीएम आते ही अपना लिया और अपनी पूरी स्थानीय प्रशासन और निर्वाचन टीम को इस पर लगाना शुरू किया। बोले कि बीच-बीच में वो खुद संबंधित क्षेत्रों के बीएलओ और लेखपाल से सीधे फीडबैक लेते थे और उनके समक्ष आने वाली व्यवहारिक समस्याओं के बारे में पूछते रहते थे। यही नहीं एडवांस तकनीकी और आईटी के अच्छे खासे जानकार डीएम अक्षय त्रिपाठी अपने एक्स हैंडिल पर बराबर अत्यधिक वोटिंग के लिये अपनी टीम और जनपद वासियों को नये-नये तरीकों से प्रेरित करते रहते हैं। श्री त्रिपाठी ने कहा कि बस ऐसे ही कारवां आगे बढ़ता गया और फिर जो भी यह रिजल्ट आया वो जनपद वासियों के सहयोग और हम सबके टीम वर्क का नतीजा है।
डीएम ने यहां तक बताया कि ऐसे ही एक मामले में जनपद के कोई वोटर थे, जोकि दिल्ली किसी मंत्रालय में कार्यरत थे, और वोटिंग के दिन उनकी वहां पर ड्य्टी लगी थी। पता चलने पर उन्होंने खुद वहां के सेके्रटरी से बात की और किसी तरह वो व्यक्ति यहां अपना मतदान करने आये।