साइबर ठग ठगी का अपना रहे नए-नए तरीके

फर्जी पुलिस वाला बन अधिवक्ता को शिकार बनाने का किया प्रयास

साइबर ठग ठगी का अपना रहे नए-नए तरीके

दुमका। साइबर अपराधी लोगो ठगी का शिकार बनाने के लिए प्रतिदिन नए-नए तरीके अपना रहे है। देशभर में साइबर अपराध को लेकर जामताड़ा के बाद अब उपराजधानी दुमका अपराधियों के लिए सेफ जोन बनता जा रहा है। ताजा मामला 13 मार्च का है। अधिवक्ता रंजन सिन्हा कोर्ट में बैठ कर मुवक्किल से बात कर रहे थे। तभी उनके मोबाइल पर व्हाट्सऐप कॉल आया। जिस नम्बर से कॉल आया उसके डीपी में पुलिस की वर्दी में एक व्यक्ति की तस्वीर है। डीपी में पुलिस की वर्दी देख अधिवक्ता रंजन सिन्हा ने कॉल रिसीव किया। चुकी रंजन सिन्हा अधिवक्ता के साथ साथ बाल कल्याण समिति के सदस्य भी हैं और आए दिन पुलिस का कॉल उनको आता रहता है। लेकिन इस बार कथित पुलिस कर्मी की बातें सुनकर रंजन सिन्हा के पैरों तले जमीन खिसक गई।

उन्हें बताया गया कि उनका लड़का रेप के एक मामले में पुलिस हिरासत में है। बताया गया कि उसने रेप किया नहीं है बल्कि घटना स्थल पर मौजूद था। इसलिए उसे अलग रखा गया है। मामले को रफा- दफा करने के बदले 50 हाजर रुपये यूपीआई के माध्यम से मांग की गई। जल्द राशि भेजने की बात कही, अन्यथा जेल भेजने और पांच वर्ष की सजा होने की धमकी दिया। पांच वर्ष सजा की बात सुनकर अधिवक्ता रंजन सिन्हा को एक बार शक हुआ। उसने फ़ोन काट कर दुर्गापुर में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अपने बेटा के मोबाइल पर कॉल किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं होने पर वे घबरा गए।

इसी बीच कथित पुलिस द्वारा लगातार कॉल किया जाता रहा। जब बेटा ने कॉल रिसीव नहीं किया तो रंजन सिन्हा ने कथित पुलिस का व्हाट्सएप कॉल रिसीव किया। रिसीव करते ही सामने वाले ने फोन कॉल नहीं काटने की सख्त हिदायत दी। रंजन ने तसल्ली के लिए अपने बेटे से बात कराने को कहा। उधर से बेटा का रोते हुए आवाज आया " पापा बचा लीजिए, ये लोग बहुत मार रहे हैं।" बेटा की आवाज सुन रंजन और घबरा गए। कोर्ट में कार्यरत अपने बड़े भाई को साथ लेकर नगर थाना पहुंचे। इस दौरान वे फोन को डिसकनेक्ट भी नहीं कर रहे हैं।

तत्कालीन थाना प्रभारी को सारी बात बता कर कथित पुलिस से बात करने के लिए फोन दे दिया। कथित पुलिस का वास्तविक पुलिस से जब सामना हुआ तो कथित पुलिस ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया। इसी बीच रंजन सिन्हा के मोबाइल पर बेटा का कॉल आ गया। बेटा कहने लगा कि क्लास के समय मे कॉल क्यों करते हैं। तब जाकर सारा माजरा स्पष्ट हुआ। रंजन सिन्हा और उनके परिवार के लोगों ने राहत की सांस ली। उन्हें एहसास हुआ कि वे साईबर अपराधियों के चंगुल में फंसने से बच गए।

इस बाबत रंजन सिन्हा ने बताया कि कुछ दिन पूर्व उनके बेटा के मोबाइल पर जॉब से संबंधित एक कॉल आया। बातचीत के बाद उसे कहा गया कि अगर इच्छुक हैं तो यस और अगर नहीं तो नोट इंटरेस्टेड बोले। आशंका जताई जा रही है कि बेटा के कॉल को रिकॉर्ड कर लिया गया। आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के सहारे बेटा के आवाज में उस वक्त रंजन सिन्हा की बात कराई गई। जब उन्होंने अपने बेटा से बात कराने को कहा था। रंजन सिन्हा को व्हाट्सअप कॉल इस 92-3406789106 नम्बर से आया था, जिसे देख कर स्पष्ट है कि 92 भारत का कोड नहीं है, बल्कि यह पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का है। तो क्या समझा जाए विदेशी सरजमी से भी साइबर अपराध को अंजाम दिया जा रहा है।

 

 

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