अब आप घर बैठे जनरल टिकट की भी बुकिंग कर सकते, रेलवे ने हटाया ये प्रतिबंध

अब आप घर बैठे जनरल टिकट की भी बुकिंग कर सकते, रेलवे ने हटाया ये प्रतिबंध

लखनऊ: अब रेलवे के यूटीएस मोबाइल ऐप से कहीं से भी जनरल और प्लेटफार्म टिकट की बुकिंग की जा सकती है. इसके लिए ऐप से जियो फेंसिंग डिस्टेंस का प्रतिबंध हटा दिया गया है. अब यात्री अपने घर बैठे भी किसी भी स्टेशन का टिकट बुक कर सकता है. अभी तक स्टेशन से 20 किलोमीटर के दायरे तक में ही टिकट की बुकिंग हो सकती थी. इसके लिए इसमें कुछ प्रतिबंध भी लगाए थे. स्टेशन से 20 किलोमीटर के दायरे में ही ऐप से बुकिंग की जा सकती थी. स्टेशन पर पहुंचने के बाद या ट्रेन के अंदर से इस ऐप से बुकिंग संभव नहीं थी. अब रेलवे ने 20 किलोमीटर के दायरे को समाप्त कर दिया है. स्टेशन परिसर और ट्रेन के अंदर अभी बुकिंग पर प्रतिबंध लागू रहेगा.

ट्रेन में बेटिकट यात्रा कर रहे 248 यात्री धरे गए
ट्रेनों में बेटिकट और अनियमित टिकट लेकर यात्रा करने की शिकायतों में लगातार इजाफा हो रहा है. ।उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के चेकिंग स्टॉफ ने शुक्रवार को लखनऊ के उतरेटिया रेलवे स्टेशन पर अनधिकृत और बेटिकट 248 यात्रियों को पकड़कर 96,460 रूपये जुर्माने की वसूली की.

उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) सचिंद्र मोहन शर्मा के निर्देश पर सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा के नेतृत्व में शुक्रवार को उतरेटिया स्टेशन के चारों ओर चेकिंग स्टॉफ को पहले तैनात कर दिया गया जिससे कि कोई भी बिना जांच के बाहर नहीं जा सके. इसके बाद 14204 लखनऊ-वाराणसी इंटरसिटी एक्सप्रेस, 14210 लखनऊ-प्रयागराज संगम इंटरसिटी एक्सप्रेस, 20401 वाराणसी-लखनऊ सुपरफास्ट, 12369 कुम्भ एक्सप्रेस, 13484 फरक्का एक्सप्रेस, 05325 गोरखपुर-मुम्बई लोकमान्य तिलक टर्मिनस स्पेशल, 15269 मुजफ्फरपुर-साबरमती जनसाधारण एक्सप्रेस, 14674 शहीद एक्सप्रेस, 22356 चंडीगढ़-पाटलिपुत्र सुपरफास्ट एक्सप्रेस, 01420 गोरखपुर-पुणे स्पेशल की चेकिंग की गई. इस दौरान इस अभियान में मंडल वाणिज्य प्रबंधक सिद्धार्थ वर्मा के साथ 36 वाणिज्य विभाग के कर्मचारी और आरपीएफ की टीम मौजूद रही. सैकड़ों बेटिकट यात्रियों को पकड़कर उनसे जुर्माने के रूप में हजारों रुपए की वसूली की गई.

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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