केजीएमयू फार्मासिस्टों का हुआ फेरबदल
पांच माह होने पर जागा प्रशासन,फार्मासिस्टों को किया इधर से उधर
By Harshit
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- सिक अटेंडेंट ने पांच माह पूर्व फार्मासिस्ट की कार्यशैली पर लगाये थे आरोप
वहीं इस मामले को तरूण मित्र मेडिकल रिपोर्टर प्रमुखता से प्रकाशित किया था जिसका परिणाम संस्थान प्रशासन की तरफ से आने में करीब पांच से छह माह बीत गये और आखिरकार वही हुआ जो पांच माह पहले करना चाहिए था। इससे संस्थान प्रशासन ढुलमुल कार्यशैली को प्रमाणित करती है। ज्ञात हो कि कुंवर आलोक ने बीते सितंबर माह में संस्थान की ओपीडी में नाक,कान,गला रोग विशेषज्ञ डॉ.एचपी सिंह को दिखाने के लिए गये थे जहां डॉक्टर ने पर्चे पर दवा लिख कर बताया कि यही दवा खाइये और आराम हो जायेगा ।
वहीं आलोक ने दवा का पर्चा लेकर एलपी काउंटर पहुंचे जहां प्रभारी चन्द्रकला को पर्चा दिया और मरीज आलोक ने आरोप लगाते हुए बताया था कि फार्मासिस्ट चन्द्रकला ने डॉक्टर द्वारा लिखी दवा को न देकर दूसरी दवा दे दिया है। जिससे मरीज आलोक की हालत बिगड़ने लगी तब मरीज के परिजन लेकर पुन: डॉ एचपी सिंह से मिले जहां डॉक्टर ने यही बताया कि यह दवा दूसरी है इसे तत्काल बदलिये नहीं नुकसान हो जायेगा।
जिस पर आलोक ने संस्थान प्रशासन से शिकायत कर कार्रवाई करने की गुहार लगाई थी। इससे यह साबित हो जाता है कि कार्यशैली से संस्थान पर सवाल उठने लगे थे कि जब कर्मचारी नहीं तो बाहर से आने वाले मरीजों का क्या होता होगा। वहीं संस्थान प्रशासन द्वारा किये गये तबादले में फार्मासिस्ट चन्द्रकला चिकित्स अधीक्षक कार्यालय से हटाकर न्यू ओपीडी में तैनात किया गया और विकास श्रीवास्तव को चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय से हटाकर एचआरएफ पर नवीन तैनाती का आदेश दिया गया। साथ ही रमेश अवस्थी ओरल पैथालाजी से हटाकर माइक्रोबायोलॉजी कर दिया है और विवेकानंद सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव असिस्टेंट को एचआरएफ से हटाकर ओरल पैथालॉजी कर दिया गया है।
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