नाम बड़े-दर्शन छोटे, रेस्टोरेंट रॉयल...नियम में फिसड्डी!

हजरतगंज स्थित रॉयल कैफै में हाईफाई मैन्यू है, मगर शिकायत रजिस्टर नदारद

नाम बड़े-दर्शन छोटे, रेस्टोरेंट रॉयल...नियम में फिसड्डी!

  • फूड सेफ्टी अधिकारी बोले, नियमत: ऐसा रजिस्टर तो जरूर होना चाहिये, करायेंगे चेक
  • संचालक बोले, कहीं रखा होगा और फुटपाथ पर भी टेबल लगाकर कर रखा है कब्जा

लखनऊ। राजधानी के हृदयस्थली यानी जहां का माहौल शाम-ए-अवध के नाम से विश्व विख्यात रहता है और यह नहीं यहां की शाम की गंजिंग भी लोगों की जुबां पर चढ़कर बोलती रहती है। ऐसे हाईफाई स्थान पर वैसे तो कई नामीगिरामी खानपान के होटल, बार और रेस्टोरेंट हैं जिनके खानपान वैराइटी के रेट भी एक आम तो छोड़ दीजिये, शहर के ठीकठाक आय वाले वर्ग के लोगों  के लिये भी वहन करना मुश्किल रहता है। ऐसे में इनके यहां ज्यादातर संभ्रान्त और इलीट क्लास के लोग ही बतौर कस्टॅमर दिखते हैं, जिसका पूरा फायदा ये रेस्टोरेंट संचालक उठाते रहते हैं।

दरअसल, यहां पर बात हो रही है कि हजरतगंज साहू सिनेमा के ठीक सामने स्थित रॉयल कैफे रेस्टोरेंट की, जिसके मशहूर चाट-चटोरे के कसीदे आये दिन सोशल मीडिया पर तेजी से वॉयरल होते दिखते रहते हैं। मगर जब यहां के रेस्टोरेंट में यह पड़ताल की गई तो देखा गया कि यहां पर हर एक टेबल पर खानपान की लम्बी फेहरिस्त से जुड़ा मैन्यू तो है, मगर कहीं पर भी सुझाव-शिकायत पुस्तिका नहीं दिखी। जोकि नियमत: हर एक उपभोक्क्ता-कस्टमर का अधिकार माना जाता है।

वहीं जब इस प्रकरण पर लखनऊ जनपद के फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी जेपी सिंह से सवाल किया गया तो उनका यही कहना रहा कि नियमानुसार ऐसे सभी खानपान के स्थानों पर सुझाव या शिकायत रजिस्टर (सजेशन बॉक्स) तो जरूर होना चाहियो। असल में यह 0उपभोक्ता अधिकार संरक्षण एक्ट का ही एक अहम पहलू माना जाता है। इतना ही नहीं उक्त रॉयल कैफे रेस्टोरेंट के बाहर का नज़ारा तो और अलग दिखा जहां सीधे फुटपाथ पर ही टेबल लगाकर कब्जा कर लिया गया है और वहीं पर उपभोक्ताओं को चाट आदि परोस दिया जाता है।

ऐसे में एक तरह से नगर निगम मुख्यालय के ठीक पीछे सीधे स्थानीय प्रशासन की नाक की नीचे उक्त रेस्टोरेंट संचालक अनधिकृत कब्जा पब्लिक फुटपाथ पर जमाये हुए हैं और किसी जिम्मेदार अफसर के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। ऐसे में जब तरूणमित्र टीम ने उक्त रेस्टोरेंट संचालक अरूण आहूजा नाम के व्यक्ति से उनके मोबाइल नंबर पर बातचीत की तो वो टालमटोल वालै रवैये में यही कहते रहें कि सुझाव रजिस्टर कहीं अंदर रखा होना चाहिये, मगर आखिर तक वो सही जगह नहीं बता सके।

वहीं जब उनसे फुटपाथ पर अपनी टेबल लगाकर अवैध कब्जे की बात कही गई तो उन्होंने माना कि हां कुछ ऐसे टेबल लगा दिये गये हैं। जबकि अक्सर यह देखने में आता है कि यहीं आगे फुटपाथों पर जब कोई रेहरी दुकानदार, पानी बताशे वाला कोई खोमचा आदि लगाता है तो वहां से उसे तुरंत हटा दिया जाता है। ऐसे में तो यही कहना सही होगा कि समरथ को नहीं दोष, गोसाईं...!

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