बालक की मनःस्थिति के साथ ही स्त्री हृदय की वेदना को भी बड़ी ही बखूबी वर्णन- डॉ सीमा सिंह

राणा प्रताप कॉलेज में रीडिंग एण्ड रिफ्लेक्शन के अंतर्गत विमर्श का आयोजन

बालक की मनःस्थिति के साथ ही स्त्री हृदय की वेदना को भी बड़ी ही बखूबी वर्णन- डॉ सीमा सिंह

सुल्तानपुर। राणा प्रताप पी जी कालेज के बी.एड. प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों ने मन्नू भंडारी कृत उपन्यास  आपका बंटी का अध्ययन करने के उपरांत उस पर विचार विमर्श किया। इस अवसर पर बी.एड. विभागाध्यक्ष डॉ भारती सिंह, मैडम शांतिलता कुमारी, डॉ सीमा सिंह, डॉ संतोष अंश ने इस उपन्यास के पात्रो से संदर्भित विविध सवाल विद्यार्थियों से किये जिनके विद्यार्थियों ने तार्किक उत्तर दिए।

          डॉ भारती सिंह ने कहा कि यह उपन्यास एक नई बात, नए विचार, नई भाषा एवं नए भाव-बोध के साथ हिंदी का एक सशक्त उपन्यास है जो आज भी प्रासंगिक है। आपका बंटी उपन्यास बाल मनोविज्ञान पर लिखा एक बहुचर्चित और कालजयी उपन्यास है  इसका प्रकाशन 1979 में हुआ। मैडम शांतिलता कुमारी ने बताया कि 'आपका बंटी' एक कालजयी उपन्यास है। इसे हिंदी साहित्य की एक मूल्यवान उपलब्धि के रूप में देखा जाता है। तलाक का निर्णय सिर्फ पति पत्नी का होता है परन्तु परिणाम निर्दोष बच्चों को झेलना पड़ता है। डॉ संतोष अंश ने कहा कि आपका बंटी उपन्यास एक ऐसी बच्चे की मनोगाथा है जो अपने मम्मी पापा के रिश्तो की डोर है जिसमें वह भी उलझा हुआ है। मन्नू भंडारी ने जब या उपन्यास लिखा तब तलाक के उतने मामलें नहीं होंगे जितना आज होता है। आज बात-बात रिश्ते टूट जाया करता है और दूसरी बार हो या पहली बार फिर से रिश्ते जुड़ते भी हैं। लेकिन इन सबके बीच जिसकी जिंदगी सूनेपन की गठरी बन जाती है वह है बंटी यानि बंटी जैसे हमारे समाज मे अनेक बच्चों की। मन्नू जी ने बंटी के माध्यम से उन तमाम बच्चों की मनोदशा का अतुल्य वर्णन किया है जो माता पिता के विखराव के बीच एक मात्र डोर है। इस उपन्यास की खासियत यह है कि यह एक बच्चे की निगाहों से घायल होती संवेदना का बेहद मार्मिक चित्रण करता है। डॉ सीमा सिंह ने कहा कि मन्नू भंडारी द्वारा लिखित 'आपका बंटी' बेहद मर्मस्पर्शी, तलाक के बीच पिस रहे एक बच्चे की मनोदशा पर लिखा गया उपन्यास है। इसमें एक बालक की मनःस्थिति के साथ ही स्त्री हृदय की वेदना को भी बड़ी ही बखूबी से लिखा गया। जिन विद्यार्थियों ने इस उपन्यास के अंश का वाचन किया और विमर्श में शामिल हुए। बी.एड. प्रथम बर्ष की अंशिका सिंह ने कहा कि हम शपथ लें कि अपने आगामी जीवन में बंटी जैसी समस्याओं की पुनरावृत्ति नहीं होने देंगे। माता-पिता को बच्चों को स्वाभाविक प्यार और दुलार देना चाहिए। रश्मि यादव, ने कहा शिक्षित की अपेक्षा अशिक्षित काफी सरल होते हैं। आस्था ने कहा इस उपन्यास में बिखरते दाम्पत्य में बाल मन के अंतर्द्वंद्व का प्रभावी चित्रण है।सौरभ निषाद ने कहा बालक के संतुलित विकास के लिए परिवार में संतुलन बनाना आवश्यक है। आस्था भट् ने कहा की माता-पिता दोनों का समान प्यार दुलार न पाकर बच्चा असंतुलित हो जाता है। प्रतीक्षा ने कहा उपन्यास में दाम्पत्य जीवन के टकराव का बच्चों पर प्रभाव का ज़िक्र है। सेजल यादव ने कहा कि आपका बंटी से बाल मनोविज्ञान को समझने का अवसर मिलता है। शाहीन अंजुम ने कहा यह बाल मनोविज्ञान पर आधारित उपन्यास है। विवेक कुमार निषाद ने कहा इस उपन्यास से हमें बालकों के अन्तर्मन को समझने में मदद मिलती है। सुधाकर तिवारी ने कहा कि आज परिवार आत्म केंद्रित हो रहे हैं, अहम बढ़ता जा रहा है दाम्पत्य जीवन में अहम की कोई जगह नहीं है। इस अवसर पर बी.एड. प्रथम वर्ष के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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