इन हॉट सीटों पर कांटे की टक्कर, राहुल समेत कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर

इन हॉट सीटों पर कांटे की टक्कर, राहुल समेत कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर

हैदराबाद: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के लिये शुक्रवार (19 अप्रैल) को पहले चरण में 21 राज्यों की 102 सीटों पर मतदान होगा. इस बार आम चुनाव में भाजपा का मुकाबला विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' से होगा, जिसका नेतृत्व कांग्रेस कर रही है. वहीं, नए राजनीतिक समीकरण के कारण कुछ सीटों पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. आज हम बात करेंगे पहले और दूसरे चरण की नौ हॉट सीटों पर, जहां काफी दिलचस्प और करीबी मुकाबला देखने को मिल रहा है. इन सीटों पर कांटे की टक्कर होनी की उम्मीद है. सोशल मीडिया में भी इन सीटों की चर्चा है. आइए इन सीटों पर नजर डालते हैं-

नगीना (उत्तर प्रदेश):
आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण यह सीट काफी चर्चा में है. यूपी की नगीना सीट पर इस बार चंद्रशेखर, सुरेंद्र पाल सिंह (बसपा), मनोज कुमार (सपा) और ओम कुमार (भाजपा) के बीच मुकाबला है. नगीना सुरक्षित सीट है. भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर चर्चित दलित नेता हैं. 2009 के चुनावों के बाद से अलग-अलग दलों के उम्मीदवार जीतते आए हैं. नगीना निर्वाचन क्षेत्र में दलितों की आबादी 20 प्रतिशत और मुस्लिमों की आबादी 43 प्रतिशत हैं. चंद्रशेखर के चुनाव मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है, क्योंकि वह दलित मतदाताओं, विशेषकर युवाओं के बीच अपनी लोकप्रियता पर भरोसा कर रहे हैं. राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी उनका समर्थन किया है. नगीना में भी पहले चरण में चुनाव होगा.

चूरू (राजस्थान):
चूरू लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है. यहां पहले चरण में 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है. भाजपा ने इस बार पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक खिलाड़ी देवेंद्र झाझरिया को उम्मीदवार बनाया है. झाझरिया का मुकाबला मौजूदा सांसद और कांग्रेस उम्मीदवार राहुल कस्वां है. दो बार के सांसद राहुल कस्वां पहले भाजपा में थे. लेकिन टिकट कटने के बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए. अब वह कांग्रेस के टिकट पर भाजपा के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं. जिससे चूरू की लड़ाई काफी दिलचस्प हो गई है. इसलिए सवाल उठा रहा है कि क्या इस बार भाजपा अपना गढ़ बचा पाएगी.

जाट नेता राहुल कस्वां ने थार का प्रवेश द्वार जानी जाने वाली इस सीट 2015 के उपचुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग तीन लाख वोटों के अंतर से जीती थी. चूरू निर्वाचन क्षेत्र में कुल 22 लाख मतदाताओं में से लगभग एक तिहाई जाट समुदाय के हैं. इस कारण कस्वां इस बार भाजपा का समीकरण बिगाड़ सकते हैं.

जोरहाट (असम):
जोरहाट में पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा. यहां कांग्रेस के गौरव गोगोई और भाजपा के तपन कुमार गोगोई के बीच मुकाबला है. वर्ष 2019 तक जोरहाट सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस का गढ़ रही है. कभी असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के इसका नेतृत्व करते थे. 2019 के चुनाव में भाजपा के तपन कुमार गोगोई ने इस पार्टी से जीत हासिल की थी. इस बार राज्य में कांग्रेस के युवा नेता गौरव गोगोई के चुनाव लड़ने से यह सीट हाईप्रोफाइल बन गई है. गौरव पूर्व मुख्यमंत्री तरुण के बेटे हैं. गौरव गोगोई 2019 में कलियाबोर निर्वाचन क्षेत्र सांसद चुने गए थे. लेकिन परिसीमन के बाद कलियाबोर सीट खत्म हो गई. अब गौरव जोरहाट से जीतने के लिए अपने पिता तरुण गोगोई की विरासत का फायदा उठाना चाहते हैं.

कोयंबटूर (तमिलनाडु):
भाजपा इस दक्षिण भारत में अपना जनाधार बनाने के लिए संघर्ष कर रही है. तमिलनाडु के कोयंबटूर में पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है. इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. भाजपा ने पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई को उम्मीदवार बनाया है. राज्य में सत्तारूढ़ डीएमके की तरफ से गणपति पी. राजकुमार और एआईएडीएमके की तरफ से सिंगाई जी रामचंद्रन चुनाव मैदान में हैं. गणपति राजकुमार कोयंबटूर के मेयर रह चुके हैं. भाजपा ने उनके खिलाफ युवा नेता और पूर्व आईपीएस के. अन्नामलाई को मैदान में उतारा है. जिससे यहां मुकाबला काफी रोचक हो गया है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में अन्नामलाई राज्य में भाजपा के लिए अपने संघर्ष के कारण लोगों के बीच लोकप्रिय हुए हैं. कपड़ा उद्योग के कारण कोयंबटूर में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर रहते हैं. भाजपा की नजर गैर-तमिल आबादी पर है. भाजपा के सीपी राधाकृष्णन ने 1998 और 1999 में यह सीट जीती थी.

वायनाड (केरल):
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दूसरी बार वायनाड से दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. वर्तमान में राहुल इस सीट से सांसद हैं और यह उनके लिए काफी सुरक्षित सीट माना जा रही थी. लेकिन भाजपा ने के सुरेंद्रन और लेफ्ट पार्टी सीपीआई ने एनी राजा को मैदान में उतार कर उनकी राह मुश्किल कर दी. सुरेंद्रन केरल भाजपा के अध्यक्ष हैं, जबकि एनी राजा सीपीआई के महासचिव डी राज की पत्नी हैं. तीन हाईप्रोफाइल उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी. वायनाड अल्पसंख्यक बहुल सीट मानी जाती है. यहां 32 प्रतिशत मुस्लिम और 13 प्रतिशत ईसाई मतदाता हैं. लेकिन भाजपा वायनाड में राहुल गांधी को वॉकओवर नहीं दे रही है. स्मृति ईरानी और अन्य बड़े नेता यहां सुरेंद्रन के लिए प्रचार कर रहे हैं.

पूर्णिया (बिहार):
बिहार की पूर्णिया सीट भी इस बार चर्चा में है. इसकी वजह हैं कांग्रेस नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव. पप्पू यादव पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, राजद से बीमा भारती और जेडीयू से मौजूदा सांसद संतोष कुमार कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं. पप्पू यादव ने यहां मुकाबले को त्रिकोणीय लड़ाई बना दिया है. जिससे यह हॉट सीट बन गई है. बीमा भारती इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं. राजद और कांग्रेस दोनों से टिकट नहीं मिलने के बाद पप्पू यादव ने निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल किया. पप्पू यादव पूर्व में पूर्णिया के सांसद रह चुके हैं. लगभग 20 वर्षों के बाद वह फिर से यहां से चुनाव मैदान में हैं.

पूर्णिया में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को चुनाव होना है. यहां लगभग 40 प्रतिशत मुस्लिम और 23 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता हैं. बिहार की इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है. संतोष कुशवाह की राह आसान नहीं दिख रही है. वंचितों में कई अधूरे वादों के कारण भाजपा यहां सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही हैं.

तिरुवनंतपुरम (केरल):
तिरुवनंतपुरम में मौजूदा सांसद शशि थरूर (कांग्रेस), राजीव चंद्रशेखर (भाजपा) और पन्नियन रवींद्रन (सीपीआई) के बीच मुकाबला है. केरल के राजधानी शहर में अब तक सीपीआईएम के नेतृत्व वाला एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ के बीच मुकाबला होता रहा है. लेकिन भाजपा ने केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर को मैदान में उतार कर मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है. कांग्रेस की तरफ से थरूर चौथी बार संसद पहुंचने के लिए चुनाव मैदान में हैं. उनके खिलाफ सीपीआई ने भी अनुभवी नेता रवींद्रन को मैदान में उतारा है. रवींद्रन ने 2005 के उपचुनाव में यहां से जीत हासिल की थी. 66 प्रतिशत हिंदू आबादी वाली शहरी सीट से भाजपा उम्मीदवार राजीव चंद्रशेखर भी थरूर के खिलाफ अपनी जीत की संभावना देख रहे हैं. क्योंकि थरूर ने अपने पिछले तीन कार्यकाल में एक लाख से कम मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी.

बाड़मेर-जैसलमेर (राजस्थान):
राजस्थान की इस संसदीय सीट पर युवा नेता और निर्दलीय उम्मीदवार रवींद्र सिंह भाटी ने मुकाबला दिलचस्प कर दिया है. उनका मुकाबला भाजपा के कैलाश चौधरी और कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल से है. लेकिन रवींद्र भाटी अपने विरोधियों की तुलना में भीड़ को ज्यादा आकर्षित कर रहे हैं. जबकि मौजूदा सांसद और भाजपा उम्मीदवार कैलाश चौधरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहारे अपनी नैया पार लगाने की कोशि में हैं. 26 वर्षीय रवींद्र सिंह भाटी राजपूत परिवार से आते हैं और क्षेत्र में उनकी छवि एक जन नेता की है. भाटी ने हाल में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में शेओ सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी. यह सीट बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र में आती है. बाड़मेर-जैसलमेर में 26 अप्रैल को चुनाव होगा. क्षेत्र में 20 लाख मतदाता हैं. इनमें से लगभग 19 प्रतिशत जाट और 12 प्रतिशत राजपूत हैं, जो निर्णायक भूमिका में हो सकते हैं.

 

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