हे ईश्वर सब सुखी हो कोई ना हो दुखारी अपना घर प्रभु का घर

 हे ईश्वर सब सुखी हो कोई ना हो दुखारी अपना घर प्रभु का घर

हाथरस। अपना घर आश्रम संस्था मानव सेवा का वह पावन तीर्थ स्थल है। जहां मानव को प्रभु स्वरूप में मानकर सेवा की जाती है इसकी स्थापना किसी भी आश्रयहीन, असहाय, लावारिस, बीमार को सेवा एवं संसाधनों के अभाव में वेदनादायक पीड़ा एवं असामयिक मृत्यु का शिकार होने से बचा सकें इसी परिकल्पना के साथ सर्वप्रथम भरतपुर राजस्थान में 29 जून 2000 को की गई एवं संस्था की शाखा अपने हाथरस शहर में 25 जून 2017 में स्थापित की गई। यहां पर विभिन्न सार्वजनिक एवं धार्मिक स्थानों से लाकर आश्रयहीन, असहाय, लावारिस, बीमार एवं मानसिक रूप से विक्षिप्त प्रभु स्वरूपों को सेवा एवं उपचार हेतु भर्ती किया जाता है। वर्तमान में अपना घर आश्रम हाथरस में 76 प्रभु स्वरूप सेवाएं ले रहे है।ं इस माह में अब तक 10 पुरुष प्रभु जी एवं तीन महिला प्रभु स्वरूपों का रेस्क्यू अपना घर आश्रम हाथरस की रेस्क्यू टीम द्वारा किया जा चुका है। इन सभी प्रभु स्वरूपों की भोजन, वस्त्र, चिकित्सा, आवास इत्यादि दैनिक आवश्यकताऔ की चिट्ठी प्रतिदिन ठाकुर जी को आश्रम कार्यालय में लिखी जाती है मानना है, कि ठाकुर की विभिन्न मानव स्वरूपों में आकर उन आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। यहां सेवा को पूजा एवं मानव सेवा को माधव सेवा माना जाता है सेवा को उपकार नहीं दायित्व समझा जाता है। अपना घर आश्रम परिवार ऐसे आश्रय हैं। असहाय लाचार प्रभु स्वरूप पीड़ितों को स्वार्थ अपनाता है। जो जीवन के अंतिम प्रणाम में सार्वजनिक एवं धार्मिक स्थलों पर पड़े वेदनादायक अंतिम कष्टों को झेलते हुए जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे होते हैं।

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