हिंदी है भारत की आत्मा और पहचान: बिरला
हिंदी सेवा निधि के 32 वें सारस्वत सम्मान समारोह को लोकसभा अध्यक्ष ने किया संबोधित
आलोक कुमार होल्कर
- कवि डॉ सुनील जोगी समेत 18 अन्य हिंदी सेवियों को किया सम्मानित
- आजादी की लड़ाई लड़ने में भाषा का व साहित्यकारों का बहुत बड़ा योगदान था
नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि हिन्दी भाषा भारत की आत्मा और पहचान है। इस्लामिया इंटर कॉलेज में इटावा हिंदी सेवा निधि के 32 वें सारस्वत सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि श्री बिरला ने रविवार को कहा कि देश या दुनिया के अंदर भाषा ही पहचान होती है। आज भी जब हम दुनिया के अंदर शासन पद्धतियों को देखते हैं तो उस समय भारत की एकता को रखने में भाषा का बड़ा महत्व है। इस अवसर पर उन्होने देश के जाने माने कवि डॉ सुनील जोगी समेत 18 अन्य हिंदी सेवियों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि जब संविधान का निर्माण हुआ था। उस समय देश की अलग- अलग भाषा और बोली के लोग थे। उन सबने माना कि भारत में भाषाएं एकता का प्रतीक हैं।
हिंदी भाषा सब को जोड़ने का काम करती है। इस लिए इसे भारत की आत्मा मानते हैं। बिरला ने कहा कि अदालत में पहले सिर्फ अंग्रेजी में काम होता था, लेकिन अब 22 भाषाओं में काम हो रहा है। संसद में भी हम कई भाषाओं में काम कर रहे हैं। हमने हिंदी के माध्यम से मानवीय संवादनों को व्यक्त किया है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आजादी की लड़ाई लड़ने में भाषा का और साहित्यकारों का बहुत बड़ा योगदान था। आज टेक्नोलॉजी का जमाना है। इससे भाषा का तुरंत अदान प्रदान होता है। भारत में ऐसे लोग हुए जिनके कारण हिंदी भाषा को आगे बढ़ाने का काम किया। ये समारोह इस लिए किए जाते हैं कि आने वाली पीढ़ी भाषाओं पर गर्व करें। नहीं तो आने वाली पीढ़ी गुलामी की मानसिकता बाली भाषाओं पर गर्व करेगी।
उन्होंने कहा कि ये चिंता का विषय है। हम दुनिया के केंद्रों में जब द्विपक्षीय वार्ता होती है तो हमने देखा ही कि वो अपनी भाषा में बात करते है जबकि उन्हें अंग्रेजी समेत कई भाषाएं आती हैं। हमारे प्रधानमंत्री हर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी का प्रयोग करते हैं। भारतीय भाषा की विविधता बहुत बड़ी है। दुनिया में भाषा सिखाने की लिए कई संस्थान काम कर रहे हैं। दुनिया के लोग हिंदी भाषा की तरफ रुचि रखते हैं। भारत के विद्वान भाषा के माध्यम से जो संवेदना झलकती तो वो भाषा के माध्यम से अपनी संस्कृति को दुनिया में पहुंचाते थे।
भारत की संस्कृति से दुनिया को संदेश दिया है कि दुनिया के अधिकतम देश के लोग धर्म अध्यात्म की शांति और समझ के लिए और कैसे इस लोग इतने बड़े देश को जोड़ने रहे हैं उसको समझने आते हैं। हमारे साहित्यकार लेखन का बहुत बड़ा योगदान है जिन्होंने भाषा के माध्यम से हिंदी को दुनिया में पहुंचाने का काम किया है। आज डिजिटल युग में भारत की भाषा का मत बढ़ गया है। इस अवसर पर अमेठी के कवि रामेश्वर प्रसाद द्विवेदी, लखनऊ के प्रख्यात व्यंगकार सूर्यकुमार पांडे, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी, नैनीताल के हिंदी निष्ठ प्रशासक डॉ. सतीश चंद्र अग्रवाल, दिल्ली के सुप्रसिद्ध गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ.सुनील प्रकाश, दिल्ली के साहित्य मनीषी कुंवर रणजीत सिंह चौहान, नई दिल्ली के लाभ प्रतिष्ठित अधिवक्ता अश्वनी मिश्रा, मुंबई के प्रख्यात संगीतकार फिल्म संपादक अमिताभ वर्मा, जापान टोक्यो के हिंदी सेवी डॉ.राम पूर्णिमा, किशनगढ़ के साहित्य हिंदी सेवी विद्या फूलचंद शर्मा, मुजफ्फरनगर के हिंदी सेवी अंशु मौली, हरियाणा की साहित्यकार शारदा मित्तल, मेरठ के साहित्य मनीष सत्य प्रकाश अग्रवाल, फरुर्खाबाद के वरिष्ठ कवि राम अवतार शर्मा हिंदू, फरुर्खाबाद के कवि उत्कर्ष अग्निहोत्री, कानपुर के गीतकार अरुण तिवारी गोपाल, इटावा की साहित्य सेवी सुनीता दीक्षित और इटावा के शिक्षक कवि जमाल अंसारी को लोकभाषा अध्यक्ष ने हिंदी सेवा के लिए सम्मानित किया गया।
टिप्पणियां