अयोध्या की तर्ज पर नैमिषारण्य को भी विकसित कर रही योगी सरकार

संतों की मंशा के अनुसार आधुनिकता के साथ प्राचीनता का भी रखा जाएगा ध्यान

अयोध्या की तर्ज पर नैमिषारण्य को भी विकसित कर रही योगी सरकार

  • इसी स्थान पर लिखे गए थे पुराण और यहीं हुआ था राम के अश्वमेध यज्ञ का समापन
  • यहीं लिखे गए थे पुराण, राम का अश्वमेध यज्ञ का भी यहीं हुआ था समापन

लखनऊ। नैमिषारण्य, गोमती नदी के तट पर बसी 88 हजार ऋषि-मुनियों की पावन तपोभूमि। इसके विकास को लेकर वर्ष 2023 में महात्मा गांधी की जयंती के एक दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वहां के संतों से मुलाकात की थी। उसी समय उन्होंने घोषणा की थी कि तीर्थ क्षेत्र नैमिष के विकास में धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। पूरे क्षेत्र का कायाकल्प कुछ इस तरह होगा कि धर्म एवं अध्यात्म की यह धरती पर्यटन के केंद्र के रूप में भी उभरे। मुख्यमंत्री ने तो यहां तक कहा था कि मेरा प्रयास यह होगा कि नैमिष का विकास अयोध्या से भी बेहतर हो।प्रदेश सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि नैमिषारण्य तीर्थ परिषद के गठन के पीछे योगी सरकार की मंशा इस तीर्थ स्थल के नियोजित विकास की रही है। इसके तहत नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र में नए घाट का निर्माण होगा। यह घाट राजघाट और दशाश्वमेध घाट के बीच होगा। पुराने घाटों का भी जीर्णोद्धार, सौंदर्यीकरण होना है। इनमें से कई काम हो चुके हैं और कुछ पर काम जारी है।

मुख्यमंत्री का मानना है कि जैसे अयोध्या में पर्यटकों, श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी वैसे-वैसे नैमिषारण्य का भी आकर्षण बढ़ेगा। यूं भी हर हिंदू ऋषियों की इस तपो स्थली में आना चाहता है। लखनऊ से पास होने और सनातन धर्म में आस्था रखने वालों की भावना के अनुरूप उसका विकास बहुत पहले हो जाना चाहिए था। अयोध्या और काशी के कायाकल्प और पर्यटकों की रुचि देखते हुए अब यह जरूरी हो गया है। इसलिए एक ओर योगी सरकार अयोध्या को सजाने एवं संवारने के साथ वहां एक नव्य अयोध्या बना रही है। उसी तरह नैमिषारण्य में भी वैदिक सिटी बन रही है। नए घाट के निर्माण और पुराने घाटों के सुंदरीकरण के साथ सड़कों का भी चौड़ीकरण हो रहा है। ललिता देवी और भूतेश्वरनाथ जैसे प्रमुख मंदिरों के अलावा अन्य मंदिरों और ऋषि-मुनियों से जुड़े प्रमुख स्थलों और पर्यटकों की सुविधा एवं सुरक्षा के मद्देनजर इनके लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं का भी विकास होगा।

स्थानीय संतों की मंशा के अनुसार आधुनिकता के साथ प्राचीनता का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। नैमिषारण्य शीघ्र ही प्रदेश की राजधानी और अन्य प्रमुख धार्मिक शहरों, खासकर अयोध्या एवं वाराणसी से हेलिकाप्टर सेवा से जुड़ जाएगा। ठाकुरनगर रुद्रावर्त धाम मार्ग के किनारे नौ करोड़ रुपये की लागत से हेलीपोर्ट बनकर तैयार है। यहां एक साथ तीन हेलीकॉप्टर्स की लैंडिंग हो सकती है। औपचारिकताएं पूरी होने के बाद इसकी सेवाएं उपलब्ध होने लगेंगी। रेल और सड़क कनेक्टिविटी को भी और बेहतर बनाया जाएगा।

सीतापुर जिले में स्थित नैमिषारण्य एक पवित्र तीर्थ स्थल है। कहा जाता है कि यहीं पर महापुराण लिखे गए और यहीं पर पहली बार सत्यनारायण की कथा की गई थी। इस धाम का इतिहास रामायण से भी जुड़ा है। यहीं पर भगवान श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ पूरा किया था। इस जगह का संबंध महर्षि वाल्मीकि, लव-कुश से भी रहा है। साथ ही महाभारत काल में युधिष्ठिर और अर्जुन भी यहां आए थे। नैमिषारण्य की यात्रा के बिना चार धाम की यात्रा भी अधूरी मानी जाती है।

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