
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव का कहना है कि आजकल माता-पिता चाहते हैं उनके बच्चे इंडियन प्रीमियर लीग में खेलें। उन्हें इंटरनैशनल क्रिकेट को लेकर ज्यादा फ्रिक नहीं हैं।
वर्तमान में, केवल कुछ ही भारतीय खिलाड़ी हैं, जो केवल सीमित ओवरों का क्रिकेट खेलते हैं (आईपीएल मिलाकर)। अधिकांश खिलाड़ी जो आईपीएल का हिस्सा हैं, घरेलू क्रिकेट में अपनी राज्य टीमों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस पर कपिल देव का कहना है, माता-पिता चाहते हैं कि उनका बेटा आईपीएल की चकाचौंध का पीछा करे।
कपिल देव ने स्पोर्टकीड़ा के शो ‘फ्री हिट’ पर कहा कि ऐसे कई मौके आते हैं, जब वह झल्ला जाते हैं। उन्होंने कहा, ”आज माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा आईपीएल में जाकर खेले। जब-जब माता-पिता की सोच बदल जाएगी तो सब कुछ बदल जाएगा। इतने लोग मेरे पास आते हैं और वे इस बात के लिए कतई परेशान नहीं हैं कि उनका बच्चा भारत के लिए खेले। क्या वह आईपीएल खेल सकता है? मुझे कभी-कभी झल्लाहट होती है। लेकिन पेरेंट्स का काम है कि वह आईपीएल से अलग जीवन देखें।”
2008 में आगाज के बाद से ही आईपीएल विश्व क्रिकेट की टॉप मोस्ट टी-20 लीग है। प्रत्येक क्रिकेटर दो महीने की इस लीग का हिस्सा बनना चाहता है। वास्तव में, कई विदेशी खिलाड़ी इस लीग के लिए अपने इंटरनैशनल मैच मिस करते हैं।
पिछले साल क्रिस गेल, शिमरॉन हेटमार और वेस्टइंडीज के कुछ दूसरे खिलाड़ी उस वक्त आईपीएल में खेल रहे थे, जब वेस्टइंडीज की टीम वर्ल्ड कप की तैयारियों में जुटी हुई थी। राशिद खान और मोहम्मद नबी ने भी इंटरनैशल क्रिकेट के कुछ मैच छोड़े। 2011 में लसिथ मलिंगा ने घुटने के मुद्दों का हवाला देते हुए टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया। जिस समय उन्होंने घोषणा की, वह आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए खेल रहे थे। यह सच है कि खिलाड़ी आईपीएल में मोटी रकम लेते हैं और नीलामी में अपनी बोली लगने के लिए तरसते हैं।
जहां तक भारतीय क्रिकेट की बात है तो इस टी-20 लीग ने टीम इंडिया की काफी मदद की है। आईपीएल में पहली बार सुर्खियों में आए कई खिलाड़ियों ने देश का प्रतिनिधित्व किया है। जहां बीसीसीआई ने आईपीएल की सफलता के लिए काफी प्रयास किए हैं।
वहीं घरेलू क्रिकेट अभी भी ध्यान देने के लिए तरस रहा है। आईपीएल की तुलना में डोमेस्टिक क्रिकेट के दर्शकों की संख्या बहुत कम है।