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नई दिल्ली। बैंकों में बिना दावे वाली पड़ी अरबों रुपये की रकम के मालिकों को खोजने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अब 100 दिन का अभियान चलाएगा। इस अभियान को 100 डेज-100 पेज नाम दिया गया है। इस अभियान के तहत हर बैंक 100 दिनों के अंदर देश के हर जिले में शीर्ष 100 बिना दावे वाले जमाकर्ताओं को खोजेगा और उसका भुगतान करेगा।
RBI के आदेश पर सभी बैंक एक जून से इस अभियान की शुरुआत करेंगे। नियम के मुताबिक, जिस भी बचत या चालू खाता को 10 साल तक नहीं चलाया जाता है, या कोई टर्म जमा का खाता है जिसमें 10 साल तक कोई दावा नहीं करता है, ऐसे खातों में पड़ी रकम को लावारिस या बिना दावे वाली रकम माना जाता है। बैंक इन ग्राहकों से संपर्क करने की कोशिश भी करते हैं। इसके बावजूद अगर कोई दावेदार नहीं मिलता तो यह एक विशेष खाते में चली जाती है।
वित्त मंत्री sitharaman ने दिया था निर्देश
हाल ही में एक बैठक के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने इस बिना दावे के रकम को लेकर नियामकों से कहा था कि वे बैंकिंग शेयर, डिविडेंड, म्यूचुअल फंड या इंश्योरेंस के रूप में जहां भी बिना दावे वाली रकम पड़ी है, उसके निपटारे के लिए विशेष अभियान संचालित करें। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ का कहना है कि ऐसे मामलों में जहां नामित व्यक्ति की जानकारी नहीं है, वहां निर्धारित प्रक्रिया के तहत कदम आगे बढ़ाए जाएंगे।
सरकारी बैंकों में करीब 35,000 करोड़ रुपये की रकम ऐसी है जिस पर किसी ने अपना दावा नहीं किया है। सरकारी बैंकों ने इस पैसे को रिजर्व बैंक को ट्रांसफर कर दिया है। इसमें भारतीय स्टेट बैंक यानी एसबीआई में 8,086 करोड़ रुपये के लावारिस हैं। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक में 5,340 करोड़ रुपये, केनरा बैंक में 4,558 करोड़ रुपये और बैंक ऑफ बड़ौदा में 3,904 करोड़ रुपये हैं।
LIC के पास भी 21 हजार करोड़ से ज्यादा
भारतीय रिजर्व बैंक (reserve Bank of India) के मुताबिक, तमिलनाडु, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक, बिहार, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बैंकों में बिना दावे वाली रकम सबसे ज्यादा है। वहीं, जीवन बीमा कंपनियों में 31 मार्च, 2021 तक 22,043 करोड़ रुपये और गैर जीवन बीमा कंपनियों के पास 1,241.81 करोड़ रुपये बिना दावे के पड़े हैं। एलआईसी के पास ही अकेले 21,538.93 करोड़ रुपये की ऐसी जमा रकम है।