आबकारी घोटाला और फर्जी चालान के मामले में इंदौर-भोपाल-जबलपुर में ईडी का छापा

आबकारी घोटाला और फर्जी चालान के मामले में इंदौर-भोपाल-जबलपुर में ईडी का छापा

भोपाल। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी विभाग में फर्जी चालान मामले में सोमवार सुबह मध्य प्रदेश के तीन शहरों में इंदौर, भोपाल और जबलपुर में शराब ठेकेदारों के घर और दफ्तरों में छापेमारी की है। जबलपुर में शराब ठेकेदार जायसवाल और चौकसे ग्रुप के घर और दफ्तर में ईडी की टीम ने दबिश दी है, जबकि इंदौर में एक साथ 18 जगहों पर छापे मारे। जिन जगहों पर छापे पड़े, उनमें ज्यादातर शराब कारोबारी शामिल हैं। ईडी की टीमों ने बसंत विहार कॉलोनी, तुलसी नगर और महालक्ष्मी नगर जैसे इलाकों में कार्रवाई में जुटी है। भोपाल में शराब कारोबारियों के ठिकानों पर कार्रवाई चल रही है। टीम ने मौके से शराब ठेके से जुड़े दस्तावेज, बैंक डिटेल और कम्प्यूटर हार्ड डिस्ट व लैपटाप जब्त किया है।

सूत्रों के मुताबिक यह कार्रवाई फर्जी बैंक चालान और आबकारी विभाग में हुए घोटाले को लेकर की जा रही है। यह घोटाला सबसे पहले साल 2018 में सामने आया था। आरोप है कि शराब कारोबारियों ने आबकारी विभाग के अफसरों के साथ मिलकर करोड़ों का घोटाला किया। माना जा रहा है कि घोटाले की रकम 100 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। दरअसल, इंदौर जिला आबकारी कार्यालय में 2015 से 2018 के बीच शराब गोदामों से शराब उठाने के लिए 194 फर्जी चालानों का इस्तेमाल किया गया। बैंक में हजारों रुपयों के छोटे चालान जमा कराए गए, लेकिन चालान में बाद में लाखों की रकम दिखाकर गोदामों से ज्यादा शराब उठा ली गई और दुकानों पर बेची गई। इस घोटाले की शिकायत मिलने के बाद ईडी ने 2024 में जांच शुरू की थी। जांच के लिए ईडी ने आबकारी विभाग और पुलिस से शराब ठेकेदारों के बैंक अकाउंट का ब्यौरा और विभाग की आंतरिक जांच रिपोर्ट और अन्य जरूरी दस्तावेज मांगे थे। आरोप है कि आबकारी विभाग में इसके पहले तीन साल से फर्जी चालान जमा किए जा रहे थे। आबकारी विभाग के अफसरों को हर 15 दिन में चालान को क्रॉस चेक करना (तौजी मिलान) होना था, लेकिन उन्होंने तीन साल तक ऐसा नहीं किया। इसकी वजह से उनकी साठगांठ साफ नजर आ रही थी।

ईडी की जांच में यह सामने आया है कि आरोपी शराब ठेकेदार चालानों में जान बूझकर हेरफेर करते थे। चालान में राशि अंकों में भरी जाती थी। लेकिन शब्दों में राशि के लिए छोड़ी गई जगह को खाली रखा जाता था। बैंक में मूल राशि जमा करने के बाद, ठेकेदार बाद में चालान की कॉपी में उस खाली जगह पर लाखों रुपये जोड़ देते थे। जिस वक्त यह शराब घोटाला हुआ था, उस वक्त जिला आबकारी कार्यालय में जिला आबकारी अधिकारी के पद पर संजीव दुबे नियुक्त थे। यही वजह रही कि आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त संजीव कुमार दुबे सहित छह अफसरों को निलंबित कर दिया गया था।

इंदौर में सोमवार सुबह ईडी की टीम ने एमजी रोड समूह के अविनाश और विजय श्रीवास्तव, जीपीओ चौराहा समूह के राकेश जायसवाल, तोपखाना समूह के योगेंद्र जायसवाल, बायपास चौराहा देवगुराड़िया समूह के राहुल चौकसे, गवली पलासिया समूह के सूर्यप्रकाश अरोरा गोपाल शिवहरे, लवकुश और प्रदीप जायसवाल के ठिकानों पर भी छापे मारे गए हैं। वहीं, जबलपुर में शराब ठेकेदार जायसवाल और चौकसे ग्रुप के घर और दफ्तर पर ईडी की टीम कार्रवाई में जुटी हुई है। बताया जा रहा है कि ईडी के अधिकारी रात में ही जबलपुर पहुंच गए थे और सोमवार सुबह इनके ठिकानों पर कार्रवाई शुरू कर दी थी।

 

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