सोन तटवर्ती इलाक़े के अपराधियों, बाहुबलियों व बालू माफियाओं के पास भरा पूरा है ए के 47 ?

ए के 47 का नाम सुनते ही दुश्मन भटकते नहीं, पुलिस भी चार बार है सोचती

बालू माफियाओं के गिरोह में रिटायर्ड फौजी संभालते है सशस्त्र सुरक्षा , देते है ट्रेनिंग

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>> पत्रकार को मंदिर के पास बृहस्पतिवार को ठोकना था गोली, अपराधियों ने कर ली थी पुरी तैयारी 
 
रवीश कुमार मणि 
 
पटना ( अ सं ) । पुलिस मुख्यालय की ओर से लगातार निर्देशित किया जाता है की हथियारों के प्रदर्शन करने वालो के खिलाफ सख़्त कार्रवाई किया जाएं । सर्विस हथियारों की बात क्या किया जाएं अब तो अत्याधुनिक प्रतिबंधित हथियारों का खुलेआम प्रदर्शन के साथ ख़ूनी रंजिश और वर्चस्व के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है । इसका जीता जागता उदाहरण भोजपुर के उदवंतनगर थाना के बेलाउर में कुख्यात बूटन चौधरी के यहां से ए के 47 व हैंड गार्नेट , इंसास राइफ़ल का मैगजीन आदी मिलना । ए के 47 को देखने से ऐसा लग रहा है की यह नया है और हाल में ख़रीदा गया है । इसके पहले वर्ष 2016  में भी बूटन चौधरी के पास से ए के 47 मिला था । बूटन चौधरी को गांव के ही रंजीत चौधरी से अदावत है । दोनों ओर से कोई लाशें गिर चुकी है , शायद अगली बारी प्रकाश चौधरी का था । रंजीत चौधरी का भतीजा प्रकाश चौधरी दो वर्ष पूर्व बूटन चौधरी के भतीजे की खुलेआम गोली मारकर अपने बाप का बदला लिया था । बूटन चौधरी के घर से ए के 47 का बरामद होना बिहार पुलिस के लिए जहां बड़ी उपलब्धि है वहीं ख़ूनी खेल को फ़िलहाल टाल दिया है । 
              कुख्यात बूटन चौधरी के घर दोबारा ए के 47 मिलना यह ख़ुलासा करता है की इच्छा शक्ति और रूपया है तो ए के 47 का शौक़ पुरा कर सकते है , बिहार के बाजार में उपलब्ध है । बूटन चौधरी का प्रतिद्वंद्वी रंजीत चौधरी को वर्षों पूर्व तत्कालीन एसएसपी मनु महाराज ने गिरफ्तार किया था तो बताया था की विधायक अरुण यादव व इनके सहयोगियों को दोनों ए के 47 बेच दिया था । कुख्यात फौजी के एकबालिया बयान में भी ख़ुलासा हुआ था की आरा का सल्लू मियां ने कई राजनेताओं व बाहुबलियों को ए के 47 और एसएलआर दिया था । सेव के ट्रक में भरकर ए के 47 लाया गया था । इसमें पांडेय ब्रदर्स का भी नाम था । भोजपुर का हथियार तस्कर सिंह साहब आज भी सिंडिकेट के माध्यम से ए के 47 व कारतूसों की बड़े पैमाने पर आपूर्ति कर रहा है । सिंडिकेट में एक रिटायर्ड फौजी की बड़ी भूमिका है । 
 
सोन तटवर्ती में ए के 47 की चर्चा लेकिन पुलिस कोसों दूर 
 
भोजपुर व पटना जिले के सोन तटवर्ती इलाक़े में बालू कारोबार, सोना कारोबार से कम नहीं है । बालू पर वर्चस्व को लेकर हत्या और गोलीबारी आम बात है । कितने लाश तो लावारिस दफ़्न हो जाते है । बालू माफिया को बाहुबलियों का सहयोग तो अपराधियों को साथ है । तो वहीं सफ़ेदपोशों व राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त है । बालू पर वर्चस्व क़ायम रहें इसके लिए हथियारों की ज़रूरत है इसमें भी ए के 47 है तो अधिक हिस्सेदारी व अधिक क़ब्ज़ा क़ायम रहता है । 
                सुत्रों की मानें तो भोजपुर के अपराधी से बालू माफिया और फिर राजनेता बने के कुनबे में 6-8 ए के 47 , 4-5 एसएलआर है । ऐसे ही एक ऐसा चेहरा जो पहले हथियार तस्करी करता था , फिर बालू माफिया बना इसके बाद ठेकेदार व राजनेता । इनके पास भी 4-6 ए के 47 व कई प्रतिबंधित हथियार है । यहीं नहीं घर के सभी सदस्यों के पास लाइसेंसी हथियार भी भरा - पूरा है । इसी तरह भोजपुर के एक नामी चेहरा जो मादक पदार्थों की तस्करी करते - करते बालू माफिया बना फिर राजनेता । इनके कुनबे के भरोसेमंद सहयोगी, पटना जिला के पार्टनर के पास दो ए के 47  है । सोन तटवर्ती पटना जिला की बात करें तो ए के 47 रखने वाले का आंकड़ा भी चौंकाने वाला है । मनेर के एक बालू माफिया के पास दो ए के 47 है । बिहटा के बालू माफिया सिपाही राय के गिरोह में 6-8 एक के 47  है । ए के 47 वाले अपराधियों के भाड़ा पर भी रखता है । तीन वर्ष पूर्व सिपाही गैंग द्वारा ए के 47 से सोन नदी में लगातार 5 घंटे तक गोलीबारी हुई थी हजारों राउंड फायरिंग थी इसमें दो लोग मारे गये थे । रानीतलाब थाना का एक ऐसा व्यक्ति जो पहले बालू घाट पर मुंशी था , फिर बालू माफिया से पंचायत मुखिया बना । आरक्षण नीति आड़े आया तो अपने ख़ास को मुखिया बना दिया, इसके पास भी 2  ए के 47 है । रानीतलाब थाना क्षेत्र के तीन ऐसे बालू माफिया है जो एक - एक ए के 47 रखे हुए हैं तो एक के पास दो ए के 47 के साथ प्रतिबंधित हथियारों का ज़ख़ीरा है । रानीतलाब थाना क्षेत्र के ही एक नये बालू माफिया है उसने भी एक ए के 47 खरीद अपना दबदबा क़ायम कर लिया है । पालीगंज थाना क्षेत्र में भी एक बालू माफिया के पास दो ए के 47 है । 
 
बालू माफियाओं के गिरोह में रिटायर्ड फौजी संभालते है सशस्त्र सुरक्षा 
 
सोन नदी में बालू के अवैध कारोबार के लिए अपराधियों का साथ जरूरी है और दबदबा के लिए ए के 47 , तो उसी तरह समाज में भौकाल और भय व्याप्त करने के लिए बालू माफियाओं ने रिटायर्ड फौजियों को महिने पर हथियार सहित रख लिया है और मोटी रकम देता है तो वहीं कुछ बालू माफियाओं ने हथियार रखें रिटायर्ड फौजियों को पार्टनर बना लिया है । रिटायर्ड फौजी अवैध बालू कारोबार से जुड़े अपराधियों को अत्याधुनिक हथियार चलाने का ट्रेनिंग देता है । एक एक बालू माफिया के गिरोह में दर्जनों रिटायर्ड फौजी हैं जिनकी भूमिका संदिग्ध है । एक एक बालू माफिया भौकाल बनाने के लिए दर्जनों वैध - अवैध हथियार लेकर चलते है । सभी के गाड़ियों के शीशा पुरी तरह काला रहता है ताकि बाहर से कुछ दिखाई नहीं दें । 
 
पत्रकार को मंदिर के पास ठोकना था गोली , अपराधियों ने कर लिया था रेकी 
 
बालू माफियाओं को अपराधियों का साथ तो अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है । इसका ख़ुलासा ईडी और ईओयू की जांच में स्पष्ट रूप से हो चुकी है । पटना जिले के एक वरीय पत्रकार जो अवैध बालू कारोबार के खिलाफ प्रमुखता से ख़बरें प्रकाशित करते है । पहले से तो बालू माफियाओं के टार्गेट पर था ही इस बार पत्रकार के घर की रेकी के साथ पुरी दिनचर्या की भी रेकी अपराधियों ने कर लिया था । प्रति बृहस्पतिवार को पत्रकार अपने मुहल्ले के मंदिर में सांई बाबा को पूजा करने जाता था । अपराधियों के प्लानिंग के अनुसार मंदिर के पास पत्रकार को गोली ठोकना था । पत्रकार की हत्या के लिए 30 लाख रूपए की सुपारी दिया गया है । भगवान की कृपा रहा की उक्त पत्रकार 15 दिनों के लिए पटना से बाहर चला गया और फ़िलहाल सुरक्षित बच गया है । पत्रकार ने सुरक्षा के लिए कई बार गुहार लगाया है लेकिन साज़िश के तहत बालू माफियाओं ने फ़ाइल को दबवा दिया, इस ख़ुलासा पुलिस मुख्यालय के एक पत्र से हुआ है । जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है की कई बार सुरक्षा को लेकर विशेष शाखा की ओर से पत्र भेजा गया है लेकिन रिपोर्ट नहीं भेजा गया । 
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