यही गीत गाते हुए गिरफ्तारियां देते थे स्वतंत्रता प्रेमी 

केवल वैश्य समाज को आई झंडा गीत के रचयिता श्याम लाल गुप्त पार्षद की याद 

यही गीत गाते हुए गिरफ्तारियां देते थे स्वतंत्रता प्रेमी 

लखनऊ। झंडा ऊंचा रहे हमारा गाते हुए लाखों स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयों ने लखनऊ के झंडे वाले पार्क में गिरफ्तारियां दी थी। यही गीत गाते हुए गुलाब सिंह लोधी नामक नवयुवक झंड़े वाले पार्क में मंच पर झंडा फहराने की कोशिश कर रहा था जब अंग्रेज मजिस्ट्रेट के आदेश पर पुलिस ने उसे गोली मारी दी थी। कानपुर, गोरखपुर, फैजाबाद, बलिया, बाराबंकी और हरदोई के हजारों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गवाहीयां इतिहास में दर्ज है कि कैसे उन्हें झंडा गीत गाते हुए पाए जाने के अपराध में पुलिस के अत्याचारों को झेलना पड़ा था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 1934 में हरिपुर कांग्रेस अधिवेशन में श्याम लाल गुप्त पार्षद रचित झंडा गीत को आजादी की लड़ाई के लिए राष्ट्रीय गान घोषित किया गया था और यह भी तय था कि भारत को आजादी मिलने के बाद यही गीत भारत का राष्ट्रगान बनेगा लेकिन 1947 में भारत को आजादी मिलते ही तत्कालीन राजनीतिक समीकरणों में रबिंद्रनाथ टैगोर द्वारा लाखे गये जन-गण मन को राष्ट्र गान बनाया गया। और बंकिम चन्द्र चटर्जी की रचना वंदे मातरम् राष्ट्र गीत बन गई। लेकिन तत्कालीन सरकारों ने पूरे देश के कोने-कोने में फ़ैल चुके झंडा ऊंचा रहे हमारा की अपार लोकप्रियता को देखते हुए देश भर के प्राथमिक विद्यालयों की पाठ्य पुस्तकों में इसे अनिवार्यता से प्रकाशित करवाया और इस प्रकार आजाद भारत में भी झड़ा गीत, हर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के समारोहों में गाया जाता रहा। 

लेकिन आज इतने महान प्रेरणा स्रोत गीत के रचनाकार पार्षद जी के जन्मदिवस पर केवल वैश्य समाज को उनकी याद आई बाकी किसी सरकारी विभाग, सरकारी विद्यालय या शैक्षिक संस्थान में न उनके झंडा गीत का गायन हुआ न पार्षद जी के आजादी की लड़ाई में योगदान पर कोई चर्चा हुई। भारत को आजादी दिलाने तक नंगे पैर रहने का संकल्प लेने वाले अमर कवि और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में श्याम लाल गुप्त पार्षद ने अनगिनत बार जेल यात्राएं की, राजनीतिक आंदोलन किए और अपने जन्म स्थान फतहपुर जनपद में दो दशकों तक कांग्रेस की अध्यक्षता करते हुए अंग्रेज सरकार की कितनी यातनाएं झेलीं इस पर भी किसी जन सेवी संस्था ने राजधानी में विचार गोष्ठी तक कराना जरूरी नहीं समझा। इस तरह पार्षद जो कभी पराधीन भारत में धर्म जाति और संप्रदाय की सीमाओं से ऊपर उठकर लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए थे। आजादी का अमृत काल मनाते भारत में केवल वैश्य समाज की धरोहर बनकर रह गए हैं। अब देखना यह है अगले वर्ष भी किसी राजनीतिक दल या सरकार को पार्षद की याद आती है कि नहीं।

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श्याम लाल गुप्त पार्षद की 128वीं जयंती  

दोसर वैश्य महासमिति के सदस्यों ने बंगला बाजार स्थित कार्यालय परिसर में झंडा गीत रचयिता श्याम लाल गुप्त पार्षद की 128 वीं जयंती के अवसर पर भव्य समारोह का आयोजन किया जिसमें पार्षद के क्रांतिकारी व्यक्तित्व और कृतित्व को याद करते हुए उनके चित्र पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर दोसर वैश्य महासमिति के अध्यक्ष सुनील कुमार गुप्ता सहित राष्ट्रीय संरक्षक अवधेश गुप्ता, गिरजा शंकर गुप्ता,प्रांतीय वरिष्ठ महामंत्री श्याम मूर्ति गुप्ता, प्रदेश प्रभारी संगम लाल गुप्ता, प्रांतीय युवाध्यक्ष श्रीकांत गुप्ता, प्रांतीय संगठन मंत्री सुनील गुप्ता कंन्तु,, कार्यालय प्रभारी कुंजबिहारी गुप्ता, प्रदेश संगठन मंत्री प्रदीप गुप्ता, कुलदीप गुप्ता आदि उपस्थित रहे। 

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