मानव का मन ही बंधन और मोक्ष दोनों का कारण: साध्वी आस्था भारती
By Harshit
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महाकुम्भ नगर। मन ही बंधन और मोक्ष दोनों का कारण है। एक दिशा में चाबी घुमाने पर ताला बंद कर किसी को भी परतंत्र किया जा सकता है और दूसरी दिशा में घुमाने पर स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है। यह विचार महाकुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर 9 में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान शिविर में भव्य श्री कृष्ण कथा के प्रथम दिवस कथा व्यास साध्वी आस्था भारती ने कही।
उन्होंने सूरदास जी के पदों संग उनके सम्पूर्ण जीवन को बड़े ही सुंदर ढंग से व्यक्त किया। बताया कि मन ही बंधन और मोक्ष दोनों का कारण है। एक दिशा में चाबी घुमाने पर ताला बंद कर किसी को भी परतंत्र किया जा सकता है और दूसरी दिशा में घुमाने पर स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है। वैसा ही यह मन भी है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जनित अज्ञानता व नकारात्मकता यदि मन पर हावी हो जाए, तो जीवन अंधकारमय हो जाता है। लेकिन यदि इसी मन को भगवान के चरणों में अर्पित कर दिया जाए तो यही मन हमें मोक्ष के मार्ग की ओर ले जाता है। ज्ञान अंजन प्राप्त कर मानव के भीतर एक अलौकिक परिवर्तन घटता है। एक स्वार्थी जीव परमार्थी, एक अत्याचारी सदाचारी बन जाता है।
ऐसा ही अद्भुत परिवर्तन हुआ था, डाकू अंगुलिमाल के जीवन में। कपिलवस्तु के नरेश शुद्धोदन का राजतंत्र जिस अंगुलिमाल का बाल भी बांका न कर पाया था, उसे महात्मा बुद्ध के ज्ञान ने अहिंसक बना दिया। गणिका वेश्या, सज्जन ठग आदि पापकर्मों में लिप्त जीवात्माएँ भी सद्गुरु का सान्निध्य पाकर मन को मोक्ष की ओर ले गए। पतन के गर्त में गिरे जीव को श्रेष्ठता के शिखरों पर ला खड़ा करना, उसे परमात्मा से मिला देना- यही इस सृष्टि का सबसे बड़ा चमत्कार है।
ब्रह्मज्ञान द्वारा मन की दिशा को परिवर्तित कर एक पूर्ण सद्गुरु इस चमत्कार को हर इक जीव के भीतर करते हैं। ब्रह्मज्ञान की वर्षा ही मानव के कलुषित मन को धोकर पाशविकता में सने समाज को रहने योग्य बना सकती है।
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