दुर्घटना में हर दिन मर रहे आधा दर्जन लोग
राजधनी में 9 सबसे खतरनाक ब्लैक स्पॉट
लखनऊ। राजधानी में शहर और ग्रामीण इलाकों को मिलाकर 62 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए हैं, इनमें से 13 यलो और 4 रेड जोन में हैं। इन जगहों पर हर दिन एक्सीडेंट होना आम बात हो गई है। परिवहन विभाग के आंकड़े के मुताबिक साल 2023 में प्रदेश में कुल 44534 हादसे हुए। साल 2024 में ये संख्या 1518 तक बढ़कर 46052 पहुंच गई। यह आंकड़े 3.4 प्रतिशत है। वहीं, मृतकों की संख्या 23652 से बढ़कर 24118 पहुंच गई। इसमें 466 की बढ़त हुई है। घायलों की संख्या 31098 से बढ़कर 34665 पहुंच गई। इसमें 3567 की बढ़त हुई है। ये 11.5 प्रतिशत है।
शहर में 9 बड़े एंट्री पॉइंट्स हैं। इन एंट्री प्वाइंटों से हर दिन हजारों से अधिक की संख्या में गाड़ियां निकलती हैं। इसमें सीतापुर रोड, हरदोई रोड, कानपुर रोड, रायबरेली रोड, सुल्तानपुर रोड और फैजाबाद रोड सबसे व्यस्ततम रोड है। इसके बाद भी इन जगहों पर ट्रैफिक कंट्रोल और सुरक्षा के इंतजाम लचर है। यहां रात के समय रोड पर लाइटिंग नहीं रहती। खतरनाक कट्स और हाई स्पीड गाड़ियों पर लगाम नहीं लगना भी इलाके ब्लैक स्पॉट्स में बदलते जा रहे हैं।। ब्लैक स्पॉट्स को सुधारने के लिए प्रशासन ने कई दावे किए, लेकिन अभी तक 50% से ज्यादा जगहों पर कोई ठोस काम नहीं हुआ। कुछ जगहों पर स्पीड ब्रेकर बनाए गए, लेकिन कहीं साइनेज और लाइटिंग नहीं लगी। इस पर डीएम ने कहा- सीसीटीवी कैमरे और ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम को बढ़ाया जाएगा। लेकिन यह कब तक होगा, इसका कोई जवाब नहीं है। लखनऊ में बढ़ते एक्सीडेंट को लेकर जिला प्रशासन गंभीर है। डीएम ने परिवहन विभाग, ट्रैफिक पुलिस, एनएचएआई और पीडब्लूडी को एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों को ब्लैक स्पॉट्स पर सुधार करने के लिए भी कहा है। लखनऊ की सड़कों को सुरक्षित बनाने और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पिछले साल योजना तैयार की गई थी। इस योजना के तहत शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 55 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए थे, जिनमें 48 शहरी क्षेत्र में और 7 ग्रामीण क्षेत्र में स्थित थे। पिछले साल अक्टूबर में जिला अधिकारी सूर्यपाल गंगवार की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई थी, जिसमें इन सुधार कार्यों की रूपरेखा तय की गई थी। पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों को इस कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस पर अनुमानित 28 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान लगाया गया था। इस योजना की प्रगति को लेकर अब तक कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई है। कई स्थानों पर सुधार कार्य या तो धीमी गति से चल रहा है या फिर शुरू ही नहीं हो सका है। इसकी वजह से यह ब्लैक स्पाट कम होने के बजाय बढ़ गए।
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