मुंबई : यादों में रहेगी मानसिक चिकित्सा अस्पताल की ऐतिहासिक इमारत
मुंबई। महाराष्ट्र में ठाणे में स्थित मानसिक चिकित्सा अस्पताल शायद एक ऐसी मानसिक चिकित्सा प्रणाली की जगह है जहां राज्य के नहीं अपितु पूरे देश से लोग अपने मानसिक रूप से परेशान और व्यथित मरीजों के उपचार के लिए ठाणे में आते थे।दरअसल 1901 में मानसिक रूप से व्यथित महिलाओं के लिए प्रदेश स्तर पर ठाणे में मानसिक रोग अस्पताल की नींव रखी गई थी।
लोग अपने परिचितों के मानसिक विकार के दुख को दूर करने के लिए मुंबई का सफर किसी भरोसे से तय किया करते थे कि उनकी किसी गृहिणी या कन्या की मानसिक पीड़ा कम होगी और यकीनन उनका भरोसा कभी टूटा भी नहीं और बाहरी प्रदेश से आई महिलाएं स्वस्थ होकर ही घर लौटी हैं।प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सांस्कृतिक संपन्न घरों के युवतियां भी कुछ मानसिक विकार के फलस्वरूप यहां आई और स्वस्थ होकर घर लौटी थी।पर जब तक यहां रही तो कभी दीपावली, मकरसंक्रांति,होली, दशहरा,नौदुर्गा उत्सव,गणगौर,न जाने कितने त्यौहार यहां मनाए गए,इसी एतिहासिक इमारत में जो अपना अस्तित्व खोने जा रही है।बताया जाता है कि पुराने पदचिह्नों के चले जाने से जो दुख होता है, उसे शब्दों में बयां करना असंभव है..." इस तथ्य की पृष्ठभूमि में क्योंकि ठाणे क्षेत्रीय मनोरोग अस्पताल की सौ साल पुरानी इमारत अगले कुछ दिनों में ध्वस्त होने वाली है, उन यादों को हमेशा के लिए संरक्षित करने के लिए अस्पताल में 'नई इमारत में पुरानी यादों की यात्रा' नामक एक भावनात्मक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
1901 में स्थापित और ठाणे की पहचान का अभिन्न अंग यह अस्पताल लगभग 72 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और वर्तमान में इसकी क्षमता 1,850 बिस्तरों की है। लेकिन अब, इसी स्थान पर, बंगलौर स्थित निम्हान्स की तर्ज पर भारत में एक आधुनिक और शानदार मनोरोग अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है। नए अस्पताल में कुल 3278 बिस्तर, चिकित्सा अधिकारियों, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के लिए आवास, मरीजों के लिए पुनर्वास केंद्र, बच्चों के लिए एक अलग विभाग, ईसीटी, व्यावसायिक चिकित्सा, न्यूरोलॉजी विभाग और सर्जरी जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी।
यद्यपि इस परिवर्तन को लेकर उत्साह था, लेकिन यह उन लोगों के लिए एक भावनात्मक क्षण था जो दशकों से इन पुरानी इमारतों में काम कर रहे थे। इस कार्यक्रम को देखकर कई लोगों की आंखों में आंसू आ गए। अस्पताल के अधिकारियों और कर्मचारियों ने कहा कि भले ही इमारतें ध्वस्त की जा रही हैं, लेकिन उनमें मौजूद यादें हमेशा के लिए सुरक्षित रहेंगी।इस कार्यक्रम के दौरान अस्पताल का एक वीडियो भी दिखाया गया। इस अवसर पर स्वास्थ्य उपसंचालक डॉ. अशोक नंदापुरकर, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नेता जी मुलिक, डॉ. संजय बोडाडे, पूर्व चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय कुमावत, डॉ. पारस लावत्रे, डॉ. जी.एस. दाते, अतिरिक्त जिला शल्यचिकित्सक डॉ. धीरज महंगड़े, डॉ. ममता अलासपुरकर एवं अन्य पूर्व चिकित्सा अधिकारी एवं कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे.ठाणे में क्षेत्रीय मानसिक चिकित्सा अधीक्षक डॉ नेताजी मुलिक के मुताबिक राज्य सरकार जल्द ही नए भवनों का निर्माण शुरू करेगी। मनोरोग अस्पताल की कुछ जमीन रेलवे और नगर निगम को विकास के लिए दे दी गई है, लेकिन शेष क्षेत्र का उपयोग अस्पताल के लिए आधुनिकता का नया अध्याय लिखने में किया जाएगा।इस स्थान की आधारशिला 1895 में रखी गई थी, और मनोरोग अस्पताल 1901 में खोला गया था। बाद में, यह मनोरोग अस्पताल मुंबई, ठाणे, पालघर, अलीबाग, नासिक, धुले, नंदुरबार और जलगाँव जिलों के लिए बनाया गया था। उस समय नवरोतमदास माधवदास ने अस्पताल निर्माण के लिए लगभग 35 प्रतिशत राशि दी थी। अब यहां की इमारतें जीर्ण-शीर्ण हो गई हैं, और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश अबिटकर के मार्गदर्शन में एक नई इमारत में अस्पताल आकार लेने जा रहा है।
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