डेढ़ माह पहले हुआ एसीपी का तबादला, बनाया मुकदमे का जांच अधिकारी!!
रहीमाबाद थाने में दर्ज एफआईआर में उठे गंभीर सवाल
मलिहाबाद,लखनऊ। अजीबो गरीब कारनामे कर लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस सुर्खियों में आये दिन बनीं रहती है। एक ऐसा ही मामला रहीमाबाद थाने में दर्ज हुआ है। जहां एसटी-एसटी एक्ट की धाराओं में दर्ज एफआईआर में कई सप्ताह पूर्व स्थानांतरित अफसर एसीपी को जांच अधिकारी बना दिया गया है।
मामले को तूल पकड़ता देख जिम्मेदार मामले को दबाने के लिए दलीलें देने लगे। रहीमाबाद थाना अंतर्गत भतोईया गांव निवासी पूर्व प्रधान मुन्नी देवी के पुत्र शुभम कुमार ने मनकौटी गांव निवासी वकील, शकील, अकील और अयान के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई है। लिखित शिकायत में पीड़ित ने बताया कि वह अपनी मां पूर्व प्रधान मुन्नी देवी के साथ कार से घर लौट रहे थे। । भतोईया अंडरपास के पास आरोपितों ने उनकी गाड़ी को टक्कर मारने के बाद पीड़ित पर वजनदार हथियार से वार कर दिया था। इसके बाद आरोपितों ने पीड़ित और उनकी मां पर जातिसूचक टिप्पणी कर अपमानित किया था।
हालांकि, पुलिस ने तहरीर के आधार सुंसगत धाराओं में प्राथमिकी तो दर्ज कर ली, लेकिन मामले की जांच पूर्व एसीपी अमोल मुर्कुट को सौंप दी है। जो एफआईआर दर्ज कर कापी पीड़ित को दी गयी है उसमें साफ साफ ट्रांसफर हो चुके एसओ रहीमाबाद अनुभव सिंह का नाम पड़ा है। जबकि उनका स्थानांतरण 14 अप्रैल को हो चुका था। जबकि वर्तमान समय में थाने के इंस्पेक्टर आनन्द द्विवेदी है। हद तो तब हो गई जब दर्ज प्राथमिकी में स्थानांतरित प्रभारी निरीक्षक के डिजिटल हस्ताक्षर भी प्राथमिकी में दर्ज हो गए। ऐसे पुलिस ने संगीन मामले की विवेचना का मखौल बना दिया है शनिवार 19 अप्रैल को दर्ज शुभम कुमार की एफआईआर में कई ऐसे सवाल उठे हैं। दर्ज रिपोर्ट में एसीपी अमोल मुर्कुट जांच अधिकारी बनाया गया हैं।
जबकि उनका ट्रांसफर विगत 6 मार्च को हुआ था और रवानगी 7 मार्च को हो गयी थी। दूसरा सवाल यह उठता हैं एफआईआर कापी में 14 अप्रैल को ट्रांसफर हुऐ एसओ अनुभव सिंह का नाम पड़ा है। जब उनका 14 अप्रैल को स्थानांतरण हो गया था तो पीड़ित को मिली कापी में हस्ताक्षर किसने किये। इस सम्बन्ध में वर्तमान प्रभारी निरीक्षक रहीमाबाद आनन्द द्विवेदी का कहना है कि पूर्व इंस्पेक्टर के डिटिजल हस्ताक्षर की आईडी में बदलाव नहीं हुआ है। जिस वजह से यह समस्या आई है, लेकिन पूर्व एसीपी को जांच अधिकारी बनाए जाने की बात पर वह जबाव नहीं दे सके।
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