‘उत्तर प्रदेश सरकार’ का स्टीकर जरूरी, गाड़ी नंबर गैर जरूरी!
लखनऊ की सड़कों पर ‘बिना नंबर प्लेट’ दौड़ती दिख रहीं नई गाड़ियां
रवि गुप्ता
- इंदिरानगर क्षेत्र में फर्राटा भरता दिखा नया चमचमाता पीला स्कूली वाहन
- स्कूली बच्चों के सड़क सुरक्षा से खिलवाड़, हुआ हादसा तो कौन जिम्मेदार
- ऐसे वाहनों के वीडियो व फोटो सोशल मीडिया पर होते रहे हैं वॉयरल
लखनऊ। मंगलवार दोपहर दो से ढाई बजे का समय इंदिरानगर क्षेत्र के पिकनिक स्पॉट रोड से खुर्रमनगर की ओर सड़क पर फर्राटा भरती हुई जा रही एक नई चमचमाती स्कूली वाहन ने अपना ध्यान तो खींचा...मगर जब दूसरे क्षण यह देखा गया कि इस वाहन पर तो कोई नंबर ही नहीं अंकित है, यानी बिना नंबर प्लेट के ही ये नया स्कूली वाहन सड़क पर दौड़ाया जा रहा था।
राजधानी लखनऊ में ही दूसरा उदाहरण अब से कुछ दिनों पूर्व देर शाम का है, जब एक और ऐसा वीडियो वॉयरल हुआ जिसमें स्पष्ट तौर पर यह दिख रहा था कि एक सफेद रंग की नई कार शहर के अंदर फैजाबाद रोड पर दौड़ रही और उस पर भी कोई गाड़ी नंबर नहीं अंकित था...बल्कि हैरानी तब हुई जब उस पर बकायदा ‘उत्तर प्रदेश सरकार’ लिखा स्टीकर चस्पा हुआ था।
बहरहाल, ये दो राजधानी के महज उदाहरण भर हैं, विभागीय जानकारों की माने तो ऐसी तमाम नई गाड़ियां आये दिन सड़कों पर दौड़ती नजर आती हैं जिसमें शोरूम डीलर्स और संबंधित परिवहन कार्यालय की पूरी जिम्मेदारी बनती है। इन प्रकरणों में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि यदि ऐसे स्कूली वाहन जब बिना नंबर प्लेट के ही बेखौफ होकर और बिना किसी जिम्मेदारी के सड़कों पर निकल पड़ेंगे तो फिर यदि इसी दौरान कोई सड़क हादसा हो गया, या फिर कोई अनचाही घटना हो गई, अपहरण या अपराधिक वारदात हो गई और वो भी तब जब उसमें स्कूली बच्चे सवार हों...तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, परिवहन विभाग के मातहत कार्यरत आरटीओ-एआरटीओ, शोरूम डीलर्स, वाहन चालक-संचालक, पुलिस व ट्रैफिक टीम या फिर स्कूल प्रबंधन।
वहीं इस मुद्दे पर जब परिवहन आयुक्त मुख्यालय के संबंधित आला अफसरों से बात की गई तो वो पहले हैरान हुए और एक दूसरे पर जिम्मा डालने लगे और फिर तरूणमित्र टीम से ही उक्त स्कूली वाहन की डिटेल मांगने लगे जबकि इसका फोटो व वीडियो संबंधित रिपोर्टर अपनी बाइक चलाते हुए जहां तक ले पाया, उसको कवर किया।
...तो मौखिक आश्वासन पर निकल जाते हैं नये वाहन!
नियम यही कहता है कि यूपी की सड़कों पर कोई भी खरीदा हुआ नया वाहन तब तक सड़क पर नहीं निकल सकता है जब तक कि उसकी आरसी जारी न हो जाये और आरसी भी संबंधित वाहन खरीददार को एक हफ्ते के अंदर मिल जानी चाहिये। वहीं विभागीय सूत्रों की माने तो दरअसल, वन डीलर प्वाइंट के तहत जब से वाहन खरीद की सारी प्रक्रिया शोरूम प्रतिष्ठान से होने लगी है, तब से स्थानीय परिवहन कार्यालयों की पकड़ शोरूम संचालकों पर ढीली पड़ गई है।
ऐसे में कभी तकनीकी कारण तो कभी कोई अव्यवहारिक दिक्कत बताकर अक्सर परिवहन कार्यालयों से आरसी रोक दी जाती है, और फिर आगे कई डीलर्स इसी बात का बहाना वाहन खरीददार के सामने बनाते हैं...अब चूंकि ऐसी परिस्थितियों में वाहन खरीददार को गाड़ी निकालनी ही होती है, तो फिर इससे पूर्व कोई न कोई डील हो जाती है और फिर नई गाड़ी मौखिक आश्वासन पर ही शोरूम से बाहर सड़क पर दौड़ते हुए दिखती है...जबकि एमवी एक्ट के तहत यह पूर्णत: अनधिकृत और अव्यवहारिक है। इस मुद्दे पर इंदिरानगर थाना इंस्पेक्टर सुनील तिवारी का कहना रहा कि गाड़ी का लोकेशन निकलवाया जायेगा और उसकी पूरी पड़ताल कराई जायेगी।
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