झूठा शपथ पत्र देने वाले कंसल्टेंट को बचाने में लगा प्रबंधन!
पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष पर लगा गुमराह करने का आरोप
लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर झूठा शपथ पत्र देने वाले ट्रांजैक्शन कंसलटेंट को बचाने के लिए टालमटोल करने का आरोप लगाया है। मंगलवार को समिति ने टेंडर मूल्यांकन समिति की बैठक तत्काल बुलाकर कंसल्टेंट की नियुक्ति रद्द करने की मांग की है।
पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष पर निजीकरण के बाद बिजली कर्मचारियों की सेवा शर्तों में कोई बदलाव न होने के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष गुमराह कर रहे हैं। निजीकरण के बाद बिजली कर्मियों की बड़े पैमाने पर छटनी होगी। ज्ञापन दो अभियान पखवाड़ा के अंतर्गत आज प्रदेश में सांसदों, विधायकों और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दिए गए।
निजीकरण के ग्रुप में समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध सभा हुई। बताया कि कंसल्टेंट नियुक्त किए जाने वाले टेंडर के कॉन्ट्रैक्ट ऑफ द इंजीनियर ने फाइल पर यह साफ लिख दिया है कि कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन को झूठा शपथ पत्र देने के मामले में दोषी पाया गया है। इसके बाद टेंडर मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष और निदेशक वित्त ने फाइल पर यह लिखकर टाल दिया है कि टेंडर मूल्यांकन समिति की बैठक बुलाई जाए। बैठक की कोई तिथि नहीं लिखी गई है। यह सब टालमटोल है जो पॉवर कारपोरेशन के प्रबंधन की निजी घरानों के साथ मिली भगत का प्रमाण है।
संघर्ष समिति ने कहा कि आश्चर्य की बात यह है की प्रदेश के 42 जनपदों के निजीकरण के पहले ही सारी प्रक्रिया में हो रहे इतने बड़े भ्रष्टाचार पर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री चुप्पी साधे हुए हैं। यह सब तब हो रहा है जब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष यह स्पष्ट करें कि यदि निजीकरण के बाद सेवा शर्तों में कोई परिवर्तन नहीं होता है तो हाल ही में चंडीगढ़ विद्युत विभाग के निजीकरण के पहले लगभग आधे बिजली कर्मियों को रिटायरमेंट लेने के लिए मजबूर क्यों किया गया।
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