वाराणसी में पांडेयपुर सामूहिक दुष्कर्म मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित

एसआईटी एक माह में दाखिल होगी चार्जशीट

वाराणसी में पांडेयपुर सामूहिक दुष्कर्म मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित

वाराणसी । जिले में पांडेयपुर की एक युवती के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में जांच को तेज करते हुए पुलिस कमिश्नर ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। डीसीपी क्राइम प्रमोद कुमार की अध्यक्षता में गठित यह एसआईटी पूरे मामले की गहराई से जांच कर एक माह के भीतर आरोप पत्र (चार्जशीट) दाखिल करेगी। इस संबंध में गुरुवार को पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने प्रेस ब्रीफिंग कर विस्तृत जानकारी दी।

पुलिस आयुक्त ने बताया कि घटना के बाद पीड़िता की ओर से लिखित शिकायत के आधार पर अब तक 14 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। इनमें 12 नामजद और 11 अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। अन्य फरार आरोपियों की तलाश जारी है। उन्हाेंने पत्रकाराें काे बताया कि आरोपियों के परिजनों और कुछ सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने वादिनी (पीड़िता) पर पैसे मांगने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जिन लोगों ने वादिनी की मांगें पूरी नहीं कीं, उनके ही नाम एफआईआर में डाले गए, जबकि अन्य को छोड़ दिया गया। परिजनों ने इस संबंध में पुलिस को कुछ वीडियो, इंस्टाग्राम चैट्स और अन्य साक्ष्य भी सौंपे हैं। इसके अलावा, उनका यह भी दावा है कि युवती के शरीर पर किसी तरह के संघर्ष के निशान नहीं हैं, जो जांच का एक अहम विषय हो सकता है।

पुलिस आयुक्त ने कहा कि परिजनों ने कई बिंदुओं को उठाया है इनमें युवती की सहेली का घर उसके घर हुकुलगंज से मात्र 500 मीटर की दूरी पर है, तो उसने अपने माता-पिता से इस दाैरान क्यों नहीं बातचीत की? परिजनों का आरोप है कि सात दिनों तक लड़की के साथ गलत काम हो रहा था तो वह पुलिस के पास क्यों नहीं गई?

पुलिस कमिश्नर ने आरोपितों के परिजनों को बताया कि इस मामले में अन्य आरोपिताें की गिरफ्तारी तभी होगी, जब एसआईटी उनके खिलाफ कोई सबूत पेश करेगी। ये भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी व्यक्ति के साथ धनउगाही न हो।

पीएम मोदी ने घटना की खुद ली थी जानकारी
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अप्रैल को अपने वाराणसी दौरे के दौरान बाबतपुर एयरपोर्ट पर पुलिस कमिश्नर, मंडलायुक्त और जिलाधिकारी से व्यक्तिगत रूप से घटना की पूरी जानकारी ली थी। उन्होंने अधिकारियों को त्वरित और कठोर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए मजबूत व्यवस्था लागू करने पर भी बल दिया। पीएम की नाराजगी के बाद डीसीपी वरुणा चंद्रकांत मीणा को उनकीजिम्मेदारी से हटाकर डीजीपी ऑफिस, लखनऊ से अटैच कर दिया गया है।

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