जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने अनाज के सुरक्षित भंडारण हेतु दिये सुझाव
संत कबीर नगर, 22 अप्रैल 2025(सूचना विभाग)।* जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ0 सर्वेश कुमार यादव ने बताया है कि पद्धति में बुवाई से लेकर कीट रोग प्रबंधन पोषण प्रबंधन तथा कटाई के बाद भंडारण भी प्रमुख कार्यों में से एक है। असुरक्षित भंडारण में कीड़े, कृन्तक, सूक्ष्मजीवों आदि के कारण फसल कटाई के बाद होने वाली क्षति खाद्यान्न की लगभग 10 प्रतिशत होता है। भारत में वार्षिक भंडारण क्षति का अनुमान 14 मिलियन टन है, जिसकी कुल अनुमानित क्षति लगभग 7000 करोड रुपए में से अकेले कीटो द्वारा 1300 करोड़ की क्षति होती है। फसल कटाई के उपरांत भंडारण में होने वाली क्षति अकेले कीटों का योगदान है 02 से 4.02 प्रतिशत है सुरक्षित अन्न भंडारण के उपाय करने से प्रतिवर्ष होने वाली क्षति को काम किया जा सकता है तथा अपने उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि भंडारण में कीटों के प्रकोप का प्रमुख कारण नमी भंडारित अन्न में यदि 10 प्रतिशत से अधिक नमी होती है, तो कीटों की संख्या बढ़ने लगती है तथा अनाज में फफूंद भी तेजी से बढ़ती है। फल स्वरुप अनाज में जमाव क्षमता कम हो जाती है और यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी होते हैं। ऑक्सीजन की उपलब्धता यदि भण्डारण कक्ष में पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध है, तो कीटों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है, जिसको नियंत्रित किया जाना आवश्यक है। तापक्रम कीटों की बढ़वार एवं विकास के लिए 25 से 27 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान प्रयुक्त होता है। भण्डारण कक्ष में उपयुक्त तापमान बनाए रखने के लिए के लिए हीटस्पॉट विकसित करते हैं। भण्डारण कक्ष में कक्ष का तापमान कम रखते हुए कीटों की बढ़वार रोकी जा सकती है।
उन्होंने बताया कि कीटों के भण्डारण कक्ष में पहुंचने के प्रमुख कारण खेत द्वारा सूंड वाली सुरसरी छोटा पतंगा एवं पल्स बीटल बोरों या खेत में खड़ी फसलों के दोनों पर जो किसान के बिना जानकारी के विभिन्न अवस्थाओं में भंडारण कक्ष में आ जाते हैं। मड़ाई के स्थान द्वारा कुछ कीट प्रेशिंग फ्लोर पर पहले से ही उपलब्ध रहते हैं, जो मड़ाई के समय अनाज के साथ भंडारण कक्ष में आ जाते हैं। ढोने वाले साधन द्वारा कुछ कीट ट्रैक्टर, ट्रॉली, बैलगाड़ी आदि में पहले से ही छिपे रहते हैं, जो अनाज के साथ भण्डारण कक्ष में आ जाते हैं। पुराने भण्डारण कक्ष द्वारा कुछ कीट भण्डारण कक्ष में पहले से ही छिपे रहते हैं, जो अनाज के भंडारण के समय अनुकूल परिस्थितियों को देखकर अनाज पर संक्रमण कर देते हैं।
उन्होंने सुरक्षित अन्न भण्डारण हेतु सुझाव संस्तुतियां फसल की कटाई से लेकर भण्डारण कक्ष तक पूर्ण सावधानी बरतते हुए अनाज को लाना चाहिए, जिससे अनाज में कीट की कोई प्रावस्था ना रह जाए। जिस गोदाम, कुठला, भंडारण गृह में भंडारण करना है, उसकी भलीभांति सफाई एवं मरम्मत करा लेना चाहिए। दरार या बिल पूरी तरह से सीमेंट से बंद कर देना चाहिए, जिससे चूहा, कीट या नमी का कोई प्रवेश न हो। भंडारण से पूर्व भंडारण गृह, कुठला बखारी आदि का बुखारी आदि को मैलाथियान 50 प्रतिशत ई०सी० की 1ः100 के अनुपात में घोल बनाकर 3 मीटर प्रति 100 वर्ग मीटर की दर से फर्श, दीवार एवं छत पर छिड़काव करने से छिपे कीट मर जाते हैं। पुराने बोरों को कड़ी धूप में सूखाने या मैलाथियान 50 प्रतिशत ई०सी० की 1ः100 के अनुपात के घोल में 10 मिनट तक भिगोने से बोरों में छिपे कीट मर जाते हैं। अनाज को कड़ी धूप में सूखा लेना चाहिए, जिससे जिससे दोनों में 10 प्रतिशत से अधिक नमी न रह जाए। धूप में सूखने के बाद ठंडा करके ही भंडारण पात्र में रखना चाहिए। यदि भण्डारण कक्ष/ गोदाम में भंडारण करना है, तो फर्श पर 2.5 फीट मोटी, साफ सूखा एवं नए भूसे की तह लगाकर बोरों की छल्ली चली दीवार से 2.5 फिट की ऊंची की दूरी पर लगाना चाहिए जिससे गोदाम में नमी से बचत होती है।
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