केजीएमयू ने निकाला मुख्य द्वार से शहीद स्मारक तक शांति मार्च

लोहिया संस्थान,केजीएमयू व आईएमए ने दी पहलगाम में हुए दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि

केजीएमयू ने निकाला मुख्य द्वार से शहीद स्मारक तक शांति मार्च

लखनऊ। डॉ.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में गुरूवार को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में कई निर्दोष लोगों की जान चली गई। इस दुखद घटना पर शोक व्यक्त करने और दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देने के लिए शोक सभा आयोजित की गई।

शोक सभा में उपस्थित लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान शोक प्रस्ताव पारित किया गया और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई। संस्थान के निदेशक, प्रो0 (डॉ0) सीएम सिंह ने कहा," इस दुखद घटना से हमें गहरा दुख पहुंचा है। उन्होंने कहा कि शोक सभा में संस्थान के संकाय सदस्य,कर्मचारी और छात्र उपस्थित थे। सभी ने एकजुट होकर इस दुखद घटना की निंदा की और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। हमारा मानना है कि इस तरह की घटनाएं हमें एकजुट होने और मानवता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करने का अवसर प्रदान करती हैं।

तो वहीं दुखद घटना पर शोक जताते हुए केजीएमयू शिक्षक संघ द्वारा शाम चार बजे एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लाक-केजीएमयू के मुख्य द्वार से होते हुए शहीद स्मारक तक विश्वविद्यालय के शिक्षकों, छात्रों व अन्य कर्मचारियों के साथ शांति मार्च निकाला गया।

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इस मार्च में केजीएमयू की कुलपति डा. सोनिया नित्यानंद द्वारा भी सम्मिलित होकर पूरे देश से आतंकवाद से लड़ने का आवाह्न किया एवं मृतकों के परिजनों के लिए शोक संवेदना प्रकट की गयी। शांतिपूर्ण मार्च का संचालन केजीएमयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा. के.के. सिंह द्वारा शिक्षकों, छात्रों व अन्य कर्मचारियों की भावनाएं को देखकर किया गया। जिसमें सभी ने आतंकियों की कायराना हरकत की निंदा करते हुए सरकार से आतंकवाद से मजबूती से लड़ने एवं पाकिस्तान को सबक सिखाने का अनुरोध किया गया, जिसमें भविष्य में ऐसे मासूमों की जान न जाए। देश की एकता व अंखडता पर कोई दुश्मन आंख उठाकर देखने की हिम्मत न कर सकते और किसी भी गद्दार को न बख्सा जाय।

दूसरी तरफ आईएमए लखनऊ मे एक बैठक बुलाई गयी। जिसमे पहलगाम हत्याकांड चर्चा हुयी पहलगाम की धरती निर्दोषों के खून से सनी हुई है एक बार फिर, आतंक ने हमारे देश की आत्मा को छलनी कर दिया है एक बार फिर मानवता को निशाना बनाया गया है। कोई भी धर्म, विचारधारा या कारण कश्मीर की धरती पर निर्दोष पर्यटकों के खून को उचित नहीं ठहरा सकता।

यह केवल एक आतंकी हमला नहीं है। यह हमारी चुप्पी, हमारी उदासीनता और हमारी एकता के लिए एक चुनौती है। हम इतिहास के मूक गवाह नहीं बनेंगे,हम भगत सिंह की दहाड़, गांधीजी के संकल्प, शिवाजी के बलिदान हम  सड़कों पर लाला लाजपत राय के खून के वंशज हैं यह दुख करुणा की क्रांति बन जाए। “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है”

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