अश्विनी बिद्रे हत्याकांड में निलंबित पुलिस अधिकारी अभय कुरुंदकर को आजीवन कारावास
मुंबई। पनवेल सेशन कोर्ट ने सोमवार को बहुचर्चित अश्विनी बिद्रे हत्याकांड में अभय कुरुंदकर को आजीवन कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। साथ ही इस मामले के दो आरोपितों कुंदन भंडारी और महेश फलनीकर को 7 साल जेल की सजा सुनाई है। दोनों पिछले नौ साल से जेल में हैं, इसलिए इन दोनों की सजा पूरी मानी गई है और दोनों को आज जेल से रिहा किया जाएगा। पनवेल सेशन कोर्ट के जज केडी पालथीवाल ने पांच अप्रैल को अश्विनी बिंद्रे हत्याकांड मामले में मुख्य आरोपित अभय कुरुंदकर सहित तीन आरोपितों को दोषी करार कर दिया था और फैसला सुरक्षित रख दिया था। आज सेशन कोर्ट के जज ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए मुख्य आरोपितअभय कुरुंदकर को आजीवन कारावास की सजा और बीस हजार रुपये का जुर्माना सुनाया है। इस मामले के दो अन्य आरोपितों कुंदन भंडारी और महेश फलनीकर को भी सात साल जेल की सजा सुनाई गई है।
दरअसल, अश्विनी बिंद्रे की 11 अप्रैल, 2016 को हत्या कर दी गई थी। इस मामले की शिकायत अश्विनी बिंद्रे के पति राजीव गोरे और उनकी बेटी पुलिस स्टेशन में कर रहे थे। उस समय अभय कुरुंदकर कलंबोली पुलिस स्टेशन में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक पद पर तैनात थे, इसलिए इस मामले में पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही थी। इसलिए राजीव गोरे ने 4 अक्टूबर, 2016 को हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसके बाद 31 जनवरी, 2017 को कंलबोली पुलिस स्टेशन में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक अभय कुरुंदकर के खिलाफ हत्या के इरादे से अपहरण करने का मामला दर्ज किया गया।
मामला दर्ज होने के बाद कुरुंदकर फरवरी, 2017 से अक्टूबर, 2017 तक अपनी नौकरी से गायब रहे। 16 जनवरी, 2018 को राजू गोरे और उनकी 9 वर्षीय बेटी सिद्धि ने राष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक याचिका लिखकर न्याय के अभाव में इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी थी। इस पर ध्यान देते हुए राष्ट्रपति ने 25 जनवरी, 2018 को महाराष्ट्र राज्य के मुख्य सचिव को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था। इसके बाद अश्विनी बिद्रे हत्या मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपित अभय कुरुंदकर, ज्ञानदेव दत्तात्रय पाटिल उर्फ राजू पाटिल, कुंदन भंडारी और महेश फलनीकर को गिरफ्तार किया था। इनमें कोर्ट ने ज्ञानदेव को निर्दोष करार दिया है, जबकि तीन आरोपितों को आज सजा सुनाई है।
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