निजीकरण वापस न हुआ तो मई में बड़े आंदोलन की तैयारी
लखनऊ। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दो पखवाड़ा के अंतर्गत सोमवार को केंद्रीय मंत्री कमलेश पासवान सहित प्रदेश भर में अनेकों सांसदों, विधायकों और अन्य जन प्रतिनिधियों को ज्ञापन दिया गया।
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि निजीकरण का निर्णय वापस न लिया गया तो मई के महीने में आंदोलन होगा जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार और प्रबंधन की होगी। निजीकरण के विरोध में आज लगातार 145वें दिन प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन जारी रहा।
केन्द्रीय मंत्री कमलेश पासवान को निजीकरण के विरोध में आज गोरखपुर में ज्ञापन दिया गया। देश के सबसे युवा सांसद पुष्पेंद्र सरोज को कौशांबी में और घोसी के सांसद माननीय राजीव राय को घोसी में ज्ञापन दिया गया। फतेहपुर के विधायक चंद्रप्रकाश लोधी और ज्ञानपुर के विधायक विपुल दुबे को भी विज्ञापन दिया गया। इसके अतिरिक्त विभिन्न जनपदों में कई जिला पंचायत अध्यक्षों और ग्राम पंचायत अध्यक्षों को विज्ञापन दिए गए।
ज्ञापन के माध्यम से सांसदों और विधायकों को सचेत किया गया है कि यदि उत्तर प्रदेश के सबसे गरीब 42 जिलों में बिजली का निजीकरण न रोका गया तो इस क्षेत्र की गरीब जनता को बिजली के तीन गुना दाम देने पड़ेंगे और यहां की गरीब जनता लालटेन युग में पहुंच जाएगी। सबसे ज्यादा दिक्कत किसानों को होगी। उत्तर प्रदेश सरकार 01 अप्रैल 2023 से किसानों को मुफ्त बिजली दे रही है लेकिन उत्तर प्रदेश में ही ग्रेटर नोएडा में काम कर रही निजी कंपनी और आगरा में काम कर रही टोरेंट कंपनी किसानों को मुक्त बिजली की सुविधा नहीं देती।
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