सुल्तानपुर टेट्रा: आबकारी विभाग के लिये बना ‘रोल मॉडल’!

यूपी में 2025-26 के लिये ई-लॉटरी पॉलिसी को ग्रीन सिग्नल, दिखे कई बदलाव

सुल्तानपुर टेट्रा: आबकारी विभाग के लिये बना ‘रोल मॉडल’!

रवि गुप्ता

  • नये सिस्टम में कंपोजिट दुकानें शुरू जहां एक साथ मिल रही बीयर व अंग्रेजी शराब
  • अब यूपी में पाउच में ही बिकेंगे देसी दारू, बोतल बंद देसी शराब पर लगा ब्रेक
  • तर्क दे रहे इससे देसी दारू में होने वाली मिलावटखोरी पर लगेगा प्रभावी अंकुश
  • सूबे में सर्वप्रथम सुल्तानपुर जनपद में देसी दारू को टेट्रा पैक में स्टार्ट किया गया था
  • नई पॉलिसी में वही एक जनपद का मॉडल पूरे विभाग के लिये बना नज़ीर, पूर्णत: लागू

लखनऊ। जहरीली शराब, मिलावटी दारू, जहां-तहां औने-पौने में दामों में अवैध ढंग से बिकती अमान्य दारू...इन सबसे होने वाली व्यापक जनहानि, और ऊपर से बीते दौर का कोरोनाकाल का विभीषिका काल जिसमें सारी औद्योगिक, व्यापारिक, सामाजिक, आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप थीं और उस बुरे दौर में प्रदेश सरकार और उनके सीनियर ब्यूरोके्रट्स अफसरों की टीम और उनके मातहत कामकाज करने वाले फील्ड के अफसर व कर्मचारी, सब पर यह भारी दबाव था कि आखिर यूपी के आर्थिक ईंधन का पहिया कैसे फिर से डोलेगा, इतनी बड़ी आबादी व सरकारी सिस्टम को फिर से कैसे दैनिक पटरी पर लाया जायेगा।

फिर कई दौर के बाद निर्णय हुआ कि कोरोनाकाल के लॉकडाउन में आबकारी मदिरा की दुकानें समयबद्ध तरीके से खुलेंगी और फिर क्या था प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों को जैसे जरूरी ईंधन मिल गया और सब कुछ पटरी पर आता गया। इसी क्रम में जुलाई 2022-23 के लिये नई आबकारी नीति लागू हुई और उसमें यह भी अंकित रहा कि विकल्प के तौर पर दुकानों पर देसी दारू टेट्रा पैक में भी बिके, मगर उस दौरान यह बाध्यकारी नहीं था।

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उस दौर में तत्कालीन आबकारी आयुक्त की कमान सेंथिल सी.पॉडिंयन को मिली, दबाव काफी था और राजस्व का टारगेट बड़ा था, ऐसे में विभागीय नीति में कोई भी नया बदलाव या अग्रिम नीति काफी रिस्क भरा था। मगर कहते हैं कि जहां चाह है, वहीं राह बन जाती है...और कुछ उसी रास्ते सुल्तानपुर जनपद का प्रशासन निकल पड़ा और सर्वप्रथम जो पहली बार उस अकेले जिले में देसी दारू को जो टेट्रा पैक में पूरी तरह बिक्री के लिये लागू किया गया, तो तमाम झंझावतों के बाद आज वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिये वही सुल्तानपुर टेट्रा पैक वाली व्यवस्था पूरे यूपी में लागू कर दी गई, और अब विकल्प के तौर पर नहीं बल्कि पूरी तरह बाध्यकारी कर दी गई ताकि देसी दारू के नाम पर होने वाले व्यापक जनहानि और राजस्व हानि को रोका जा सके और एक अधिकृत, सुरक्षित, संरक्षित टेट्रा पैक में देसी दारू के शौकीनों के बीच उपलब्ध हो सके।

क्या बोले सुल्तानपुर जिले के तत्कालीन अफसर...!

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इस प्रकरण पर जब तरूणमित्र टीम ने सुल्तानपुर जनपद के तत्कालीन जिलाधिकारी रवीश कुमार गुप्ता से बात की गई तो उनका यही कहना रहा कि निश्चित तौर पर आबकारी पॉलिसी में तो ये था, मगर अकेले आबकारी टीम को जिलेवार इसे लागू करवाना काफी कठिन रहता है। मगर जहां बात जनहित की आती है, और उसमें भी राजस्व क्षति का भी पहलू जुड़ा हो और इसके तहत कोई भी सही व्यवस्था बने तो उसे हर हाल में लागू कराना ही पड़ता है, जोकि हमारी प्रशासनिक टीम ने किया और अब यदि वही सिस्टम में प्रदेश हित में पूरे यूपी में लागू हो गया है तो काफी हर्ष का विषय है।

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इस विषय पर तत्कालीन सुल्तानुपर जनपद के जिला आबकारी अधिकारी हितेंद्र शेखर ने कहा कि उस दौर में बिना डीएम सर और कप्तान साहब, इसे जिले में आबकारी टीम के लिये लागू करवा पाना काफी दिक्कतों भरा था। हमारे दोनों सीनियर अफसरों ने हम सबका पूरा साथ दिया सभी 150 देसी दारू के लाइसेंसियों के साथ अहम बैठक की, और यही कहा गया कि किसी भी प्रकार का डायल्यूशन अब देसी दारू में नहीं चलेगा, आप सभी प्रशासन का सहयोग करिये और पूरी जिम्मेदारी के साथ आबकारी नीति के तहत टेट्रा पैक में पूरे जिले में देसी दारू की सेल बाध्यकारी कर दी गई। 

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