निजीकरण के विरोध में मध्यांचल पर उग्र प्रदर्शन
संविदा कर्मियों को निकाले जाने से गुस्साये बिजली कर्मियों ने किया विरोध
लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले सोमवार को मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के मुख्यालय पर बिजली कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में उग्र प्रदर्शन किया और प्रबन्ध निदेशक को ज्ञापन दिया। निजीकरण की दृष्टि से कई जनपदों में संविदा कर्मियों को बड़े पैमाने पर हटाये जाने से गुस्साये विद्युत कर्मियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दो अभियान के अन्तर्गत सांसदों,विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दिये गये। एक मई को सभी जनपदों में बाईक रैली निकालने की तैयारी के लिए बैठकें की गयी।
निजीकरण एवं निजी घरानों की मदद करने हेतु संविदा कर्मियों की बड़े पैमाने पर की जा रही छंटनी, इलेक्ट्रिसिटी रिफॉर्म एक्ट 1999 एवं ट्रांसफर स्कीम 2000 के प्राविधानों के विपरीत बिजली कर्मियों के निवास पर स्मार्ट मीटर लगाने के विरोध में एवं फेसियल अटेंडेंस के विरोध में सोमवार को मध्यांचल मुख्यालय पर प्रातः 11ः00 बजे से सैकड़ों बिजली कर्मी एकत्र होने लगे और बिजली कर्मियों ने मध्यांचल के प्रबन्ध निदेशक के विरोध में उग्र प्रदर्शन किया।
मध्यांचल के प्रबन्ध निदेशक को ज्ञापन देकर संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि संविदा कर्मियों को निकाले जाने की प्रक्रिया बन्द न की गयी और निकाले गये संविदा कर्मियों को काम पर वापस न लिया गया तथा स्मार्ट मीटर लगाने और फेसियल अटेंडेंस का दबाव डाला गया तो बिजली कर्मी आन्दोलन प्रारम्भ करने हेतु बाध्य होंगे। संघर्ष समिति ने यह भी चेतावनी दी कि यदि किसी भी बिजली कर्मी का अप्रैल माह का वेतन रोका गया तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी।
बिना कारण निजीकरण के लिए बड़े पैमाने पर की जा रही छंटनी के विरोध में आज रायबरेली के संविदा कर्मियों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। प्रदेश के कई जनपदों में छंटनी के विरोध में बिजली कर्मियों का विरोध प्रदर्शन चल रहा है। आज से प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर निजीकरण के विरोध में सभाओं और प्रदर्शनों का दौर शुरू हुआ है। संघर्ष समिति ने कहा है कि निजीकरण का निर्णय वापस होने तक विरोध प्रदर्शन और आन्दोलन जारी रहेगा।
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