चिराग तले अंधेरा, बिना दरवाजे का ‘महिला टॉयलेट’!

परिवहन विभाग मुख्यालय पर कई माह से टूटा पड़ा दरवाजा

चिराग तले अंधेरा, बिना दरवाजे का ‘महिला टॉयलेट’!

  • मदर बेबी फीडिंग कक्ष की होती आ रही मांग, पर नजरअंदाज
  • कार्यालय व्यवस्था की देखरेख करने वाले नज़ारत की नज़रों से दूर

लखनऊ। कहा जाता है कि किसी भी विभाग का मुख्यालय दरअसल, पूरे प्रदेश के सभी मंडलों व जनपदों और क्षेत्रों में स्थित संबंधित कार्यालयों का प्रतिबिंब होता है...मतलब यदि विभागीय मुख्यालय पर कार्यालयी व्यवस्थायें चाक-चौबंद रहती हैं तो इसका सीधा असर उसके क्षेत्रीय कार्यालयों पर भी पड़ता है। वैसे बता दें कि शासन स्तर पर भी यह सभी विभागों के लिये स्पष्ट दिशानिर्देश है कि कोई भी मुख्यालय या कार्यालय हो, वहां कार्यरत महिला अफसरोें व कर्मियों के लिये समुचित शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिये और साथ ही कार्य करने के दौरान जो उनकी मूल आवश्यकतायें हैं, उनका भी इंतजाम किया जाना चाहिये।

लेकिन यहां राजधानी लखनऊ स्थित परिवहन विभाग मुख्यालय (ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ऑफिस) पर तो लगता है इस मामले में चिरात तले अंधेरे वाली ही कहावत चरितार्थ होती दिखती है। स्थिति यह है कि बीते काफी समय से यहां के ग्राउंड फ्लोर पर एक कोने बना महिला टॉयलेट का बाहरी दरवाजा टूटा पड़ा है, मगर अभी तक पूरे कार्यालय की व्यवस्था का जिम्मा उठाने वाले नज़ारत की नज़रों से दूर रहा। वहीं देखा जाये तो टीसी ऑफिस में जो भी महिला अफसरों की तैनाती है, उनके कक्ष के अंदर ही टॉयलेट है...लेकिन उन महिला कर्मियों का क्या जो शायद चाहकर भी इस परेशानी को सार्वजनिक रूप से उच्च प्रशासन से नहीं कह पाती हैं। 

इतना ही नहीं नियम और मांग तो यह भी है कि जिस महिला सशक्तिकरण पर योगी सरकार का पूरा फोकस रहता है, उन्हीं के लिये परिवहन आयुक्त कार्यालय पर कोई भी मदर-बेबी फीडिंग सेंटर या कक्ष नहीं बना है...जबकि सूत्रों की माने तो इसको लेकर मुख्यालय प्रशासन को पत्र भी लिखा जा चुका है। ऐसे में यहां विभागीय मुख्यालय पर कई ऐसी महिलायें हैं, जो उक्त व्यवस्था न होने पर अपने छोटे व गोदी में रहने वाले शिशुओं को कार्यालय नहीं ला पाती हैं जबकि यह उनका नीतिगत व सामजिक मातृ अधिकार है।

मौके पर फायर यंत्र कैसे व कौन चलायेगा...!

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बीते शुक्रवार रात्रि को जब टीसी ऑफिस के कमरा नंबर 13 से धुंआ उठा और गनीमत रही कि कोई बड़ा घटना नहीं हुई तो ऐसे में यहां के अधिकांश अधिकारियों व कर्मियों का एकसुर में यही कहना रहा कि कोई खास नुकसान नहीं हुआ, यानी उनकी नजरों में कोई बड़ा हानि नहीं हुई तो सबकुछ कायदे से निपट गया, आगे देखा जायेगा। जबकि देखा जाये तो यहां कार्यालय में कई जगह दीवारों पर फॉयर यंत्र सिलेंडर टंगे हैं, जोकि नये दिख रहे हैं, मगर अचानक मौके पर इनका प्रयोग कैसे और कौन करेगा, इससे ज्यादातर अनजान लग रहें। 

दबे जुबां यही चर्चा है कि जब एक छोटी सी आगजनी की घटना हुई तो फिर कार्यालय खुलते ही सारे फायर यंत्रों को चेक किया जाना चाहिये, जोकि ऐसा कुछ नहीं हुआ। वहीं एक शिलापट्टिका जिस पर तत्कालीन परिवहन मंत्री, परिवहन आयुक्त आदि के नाम लिखे हैं, बगल दीवार में फायर यंत्र टंगा है, जिसके ठीक बगल लकड़ी का पट्टा और पट्टिका पर ही टूटे फुटे दरवाजे आदि पड़े हुए हैं।

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