गर्भवस्था के साथ जुड़े होते हैं जोखिम :डॉ. अंजू
सुरक्षित मातृत्व के लिए वरदान है पीएमएसएमए :डॉ. अंजू
लखनऊ। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का उद्देश्य माताओं और नवजातों की स्वास्थ्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। इस अभियान के तहत सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को हर घर तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं,जिससे गर्भवती को विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह,आवश्यक परीक्षण और समय पर उपचार मिल सके। सरकार स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने और मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए कृतसंकल्पित है।" ये बातें किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) की महिला रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. अंजू अग्रवाल ने कही।
डॉ. अंजू बताती हैं कि गर्भवती को नौ माह के दौरान कम से कम चार प्रसवपूर्व जांचें करानी चाहिये क्योंकि गर्भावस्था के कारण एनीमिया, हाइपरटेंशन,डायबिटीज के अलावा अन्य संक्रमण होने की सम्भावना हो सकती है। इसके साथ ही गर्भवती थायरॉयड, एचआईवी, ह्रदय रोग सहित संचारी रोगों से भी ग्रसित हो सकती है। नियमित जांचें कराने से इन बीमारियों का समय से पता लगाया जा सकता है और उचित प्रबन्धन किया जा सकता है।
इसके साथ ही चिकित्सक की सलाह पर टिटेनस और व्यस्क डिप्थीरिया का टीका(टीडी), पेट से कीड़े निकालने की दवा एल्बेंडाजोल,आयरन फोलिक एसिड और कैल्शियम का सेवन जरूर करना चाहिए। दो घंटे का आराम जरूर करना चाहिए। संतुलित एवं पौष्टिक भोजन जरूर करें जिसमें उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, फाइबर और खनिज हों । इसके अलावा प्रसव के बाद प्रसूता को अस्पताल से घर वापिस तब तक नहीं आना चाहिए जब तक कि चिकित्सक उन्हें घर जाने की सलाह न दें।
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि चिकित्सक जो भी सलाह दे उसकी अनदेखी न करें। प्रसव संस्थागत ही कराएं गर्भवती को गुणवत्तापूर्वक और निःशुल्क स्वास्थ्य सेवायें दी जाती हैं | गर्भावस्था की पहली तिमाही के बाद 100 दिनों तक आयरन और फोलिक की एक लाल गोली प्रतिदिन 400 मिग्रा की पेट से कीड़े निकालने की एक गोली दूसरी तिमाही में दी जाती है। ई वाउचर गर्भवती को निःशुल्क अल्ट्रासाउंड की सुविधा सरकारी के साथ निजी स्वास्थ्य केन्द्रों के माध्यम से ई वाउचर जारी करके दी जा रही हैं।
मुख्य उद्देश्य मातृ मृत्यु की समीक्षा कर उनके कारणों एवं कारकों( स्वास्थ्य इकाई,समुदाय जनपद एवं राज्य स्तर) की विस्तरी जानकारी एकत्र कर एक रणनीति तैयार करते हुए महत्वपूर्ण स्तरों में सुधार कर मातृ मृत्यु में कमी लाना है। एएनसी क्लिनिक सभी उपकेन्द्र-आयुष्मान आरोग्य मन्दिरों में हर बृहस्पतिवार को प्रसवपूर्व(एएनसी) क्लिनिक चलती है।
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