पहलगाम में तीन जज बाल-बाल बचे, जम्मू-कश्मीर गए थे छुट्टियां मनाने

पहलगाम में तीन जज बाल-बाल बचे, जम्मू-कश्मीर गए थे छुट्टियां मनाने

नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले में केरल हाई कोर्ट के तीन जज बाल-बाल बच गए। इन तीन जजों के नाम अनिल के नरेंद्रन, जी गिरीश और पीजी अजित कुमार का नाम शामिल है। 
यह तीनों जज अपने परिवार के साथ मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में बाल-बाल बच गए।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार , आठ सदस्यों वाला यह समूह 17 अप्रैल से जम्मू-कश्मीर में छुट्टियां मना रहा था। उन्होंने क्षेत्र में कई स्थानों का दौरा किया और सोमवार को पहलगाम पहुंचे थे।

पूरा दिन दर्शनीय स्थलों की यात्रा और प्रमुख पर्यटक आकर्षणों की खोज में बिताने के बाद उन्होंने आतंकवादी हमले से कुछ घंटे पहले पहलगाम से प्रस्थान करने का निर्णय लिया, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। 

जस्टिस नरेंद्रन के अनुसार, उनके ग्रुप ने 22 अप्रैल को सुबह लगभग 9:30 बजे पहलगाम छोड़ दिया। जस्टिस नरेंद्रन ने द हिंदू को बताया कि मैंने डल झील में नाव की सवारी करने के लिए मंगलवार को ही श्रीनगर लौटने पर जोर दिया, क्योंकि मैंने पहले इस क्षेत्र का दौरा किया था, और हम सुरक्षित रूप से श्रीनगर पहुंच गए।

जस्टिस नरेंद्रन ने कहा कि उन्हें श्रीनगर के एक होटल में शख्स मिला, जो घटना में बाल-बाल बच गया था। वह सहमा हुआ था। जस्टिस अजितकुमार ने कहा कि हमला होने के तुरंत बाद दोपहर 2 बजे के आसपास उनका पूरा ग्रुप श्रीनगर पहुंचा और वे केरल लौटने की तैयारी कर रहे थे।

पहलगाम आतंकी हमला
पहलगाम के बैसरन घाटी में हुआ यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद से इस क्षेत्र में हुए सबसे घातक हमलों में से एक है। प्रतिबंधित पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े एक समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट ने कथित तौर पर हमले की जिम्मेदारी ली है।आतंकी हमले के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर, पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा की मांगवहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की अपनी यात्रा बीच में ही छोड़कर बुधवार सुबह भारत लौट आए। दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद उन्होंने तुरंत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश मंत्री के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। 

एस जयशंकर, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को स्थिति की समीक्षा करने और सरकार की प्रतिक्रिया की योजना बनाने के लिए बुलाया गया है।प्रधानमंत्री मोदी ने इस हमले की निंदा करते हुए इसे “घृणित कृत्य” बताया तथा आश्वासन दिया कि “इस जघन्य कृत्य के पीछे जो लोग हैं, उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।”

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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