प्राकृतिक उपचार पद्धतियों के परीक्षण की आवश्यकता : सतीश राय

लोगों की मजबूरी है एलोपैथ से इलाज कराना

प्राकृतिक उपचार पद्धतियों के परीक्षण की आवश्यकता : सतीश राय

प्रयागराज। प्राचीन भारतीय सभ्यता में स्वस्थ रहने और बीमार होने पर उपचार के लिए सूर्य चिकित्सा, अग्नि चिकित्सा, वायु चिकित्सा, जल चिकित्सा, मंत्र चिकित्सा, स्पर्श चिकित्सा या आयुर्वेद चिकित्सा मौजूद थी। इन उपचार पद्धतियों में रोग व्याधि को जड़ मूल से ख़त्म करने की असीम शक्तियां थी। यह बातें एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान रेकी केंद्र पर जाने-माने स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने कही।
प्राकृतिक चिकित्सा में आने वाले रोगी क्राॅनिक रोगों से पीड़ितसतीश राय ने बुधवार को लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा में आने वाले रोगी क्रॉनिक (असाध्य) होते हैं। कई दवाइयां खा चुके होते हैं, हो सकता है उनकी कई सर्जरी भी हो चुकी हो। जब वह ठीक नहीं होते हैं शारीरिक कष्ट के साथ मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हो जाते हैं तब उनका रुझान प्राकृतिक उपचार पद्धतियों की तरफ जाता है। प्राकृतिक उपचार पद्धति में व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से मदद मिलती है।

भारत में 16वीं शताब्दी से पूर्व आयुर्वेद से होता था उपचारसतीश राय ने कहा कि 16वीं शताब्दी से पूर्व भारत में आयुर्वेद के माध्यम से उपचार होता था। उस समय ऐलोपैथ कहीं नहीं था। प्राचीन समय में भारत के गुरुकुल में एक ही जगह पर संस्कृति ज्ञान के साथ वेद, खगोल शास्त्र, नक्षत्र शास्त्र विज्ञान, धातु विज्ञान के साथ-साथ शास्त्र और शस्त्र का ज्ञान भी दिया जाता था, जो अब बंद हो गई है।

आधुनिक चिकित्सा पर हो रहे लगातार शोध ने बनाया प्राकृतिक उपचार पद्धतियों से बेहतरउन्होंने कहा कि आधुनिक चिकित्सा की उत्पत्ति भारत में 16वीं शताब्दी से हुई। दुनिया में आज तक जितना धन आधुनिक चिकित्सा के रिसर्च पर खर्च हुआ है उसका आधा भी यदि भारतीय उपचार पद्धतियों के रिसर्च पर खर्च होता तो जिस प्रकार पेड़-पौधे सूर्य से सीधे भोजन प्राप्त करते हैं उसी प्रकार इंसान भी भोजन की एनर्जी सीधे सूर्य से प्राप्त करता है। विज्ञान को वहां पहुंचना अभी बाकी है जहां शास्त्र पहले ही पहुंच चुका है। केमिकल एनर्जी पर हो रहे लगातार शोध के कारण रोगों में तत्काल मिल रहे रिलीफ ने इसे प्राकृतिक उपचार पद्धतियों से बेहतर बना दिया है लोगों की मजबूरी बन गई है इस पद्धति में इलाज कराना।

बिना खर्च किए स्वस्थ रहने की पद्धति है स्पर्श चिकित्सासतीश राय ने कहा विश्व में ऐसी बहुत सी उपचार पद्धतियां हैं जिसमें दवा नहीं खानी पड़ती और रोग प्राकृतिक तरीके से ठीक हो जाता है। ऐसी ही पद्धति है स्पर्श चिकित्सा। यह हमारे ऋषि मुनियों की धरोहर है। इस पद्धति में ब्रह्मांड के अतिरिक्त ईश्वरीय ऊर्जा शक्ति के माध्यम से शरीर स्वस्थ एवं निरोगी बनता है। हमारे ऋषि मुनियों ने स्वस्थ रहने के लिए सदा इसका उपयोग किया है। आज भी पैसे के अभाव में बिना पैसा खर्च किये स्वस्थ रहने का सबसे अच्छा तरीका है स्पर्श चिकित्सा।

रिसर्च ने बनाया एलोपैथ को बेहतरसतीश राय ने कहा लोगों की मजबूरी बन गया है एलोपैथ में इलाज कराना। अन्य पद्धतियों में रिसर्च न होने के कारण सभी प्राकृतिक उपचार पद्धतियां एलोपैथ से बहुत पीछे हो गई हैं। वर्तमान में आयुर्वेद में थोड़ा रिसर्च हुआ है जिसमें वात-पित्त-कफ को संतुलित कर रोंगों का उपचार किया जाता है। जिसका लाभ लोगों को मिल रहा है। अब सभी प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों पर रिसर्च कर उसकी खासियत को लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है। भारत में सूई न दवा जैसे प्राकृतिक उपचार पद्धतियों के परीक्षण की आवश्यकता है, जिसमें बिना पैसा खर्च किए, बिना दवा खाए उपचार हो जाए तो उससे अच्छा और क्या होगा।

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