नवजात मृत्यु दर को शून्य पर लाना ही लक्ष्य: डा0 पिंकी जोवल
लखनऊ। नवजात शिशुओं की रोकी जा सकने वाली मौतों को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और देश की प्रमुख शोध संस्थाओं के साथ मिलकर लखनऊ में "संकल्प" राज्य स्तरीय को-डिजाइन कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को किया गया था।
इस कार्यशाला को उत्तर प्रदेश में नवजात मृत्युदर (एनएमआर ) को एकल अंक तक लाने की दिशा में एक मील का पत्थर माना जा सकता है। कार्यशाला में नीति आयोग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, आईसीएमआर , एनएचएम यूपी, आईआईएचएमआर, जिला और ब्लॉक स्तर की स्वास्थ्य टीमों, स्वास्थ्य कर्मियों, शोध कर्ताओं और सामुदायिक कार्य कर्ताओं की सक्रिय भागीदारी रही।
कार्यशाला में डॉ0 विनोद पॉल, सदस्य, नीति आयोग ने भारत की प्रगति की सराहना की और नवजात सुरक्षा के लिए परिवर्तनकारी कदमों की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ0 राजीव बहल, सचिव, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और महानिदेशक, आईसीएमआर ने "संकल्प" की दृष्टि और मिशन साझा किया।
उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लिए एमएमआर, पांच प्रति एक हजार तक लाना आवश्यक है। डॉ0 पिंकी जोवल, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उप्र ने बताया कि उत्तर प्रदेश पूरी प्रतिबद्धता के साथ नवजात मृत्यु दर को कम करने में जुटा है। उन्होंने कहा कि जटिल समस्याओं का समाधान समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण से ही संभव है और हमें शून्य नवजात मृत्यु का लक्ष्य रखना चाहिए।
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