बिजली कर्मचारियों का हंगामा,बुलानी पड़ी सीआरपीएफ

सीएम जिंदाबाद,एके शर्मा मुर्दाबाद के नारे लगाए

बिजली कर्मचारियों का हंगामा,बुलानी पड़ी सीआरपीएफ

लखनऊ। बिजली विभाग के कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में जमकर हंगामा किया। इस विरोध प्रदर्शन में 10 राज्यों के 5 हजार से अधिक कर्मचारी शामिल हुए। सभी शक्ति भवन के सामने सड़क पर बैठ गए और जमकर नारेबाजी की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिंदाबाद और ऊर्जा मंत्री एके शर्मा मुर्दाबाद के नारे भी लगाए।

यूपीपीसीएल चेयरमैन आशीष गोयल के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन कारियों ने कहा- भ्रष्टाचारी आशीष गोयल कुर्सी छोड़ो। प्रदर्शनकारियों को संभालने के लिए 5 थानों की पुलिस बुलाई गई। भीड़ अधिक होने के कारण सीआरपीएफ और एसएसबी के जवानों को भी तैनात किया गया। पुलिस के साथ फोर्स भी स्थिति को संभालने में जुटी रही। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार अगर निजीकरण प्रक्रिया वापस नहीं लेती तो उग्र आंदोलन होगा। 

हालांकि बिजली विभाग के कर्मचारियों ने आमसभा की। जिसमें आगे की रणनीति तय की गई है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हम लोग पिछले चार महीने से अपनी आवाज उठा रहे हैं। कई बार शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी कर चुके हैं, इसके बाद भी अभी तक निजीकरण के नियमों में किसी तरह के बदलाव नहीं किए गए हैं। अब यह बर्दाश्त से बाहर है। प्रक्रिया नहीं रुकी इसलिए लखनऊ की सड़क पर उतरे हैं। मंगलवार को नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स की आंदोलन को लेकर बैठक हुई थी। इसमें फैसला लिया गया था कि अगर सरकार अब भी निजीकरण वापस नहीं लेती है तो कर्मचारी आंदोलन करेंगे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में भेदभाव किया जा रहा है। शहर में 24 घंटे बिजली दी जाती है, लेकिन गांवों में 10-12 घंटे ही बिजली दी जाती है। क्योंकि कॉमर्शियल कनेक्शन में ज्यादा और डोमेस्टिक कनेक्शन में कम पैसे मिलते हैं। सरकार ने एग्रीमेंट किया था कि 54 महीने में खुद का बिजली घर लगाकर पावर सप्लाई की व्यवस्था की जाएगी। लेकिन 32 साल बाद भी कंपनी खुद का बिजली घर नहीं लगा पाई है।

कई सालों तक पावर कॉरपोरेशन महंगी बिजली खरीद कर उन्हें सस्ते में देती रही। अब जाकर यहां की कंपनी खुद से बिजली की व्यवस्था कर रही है। 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार कानपुर और आगरा की कंपनियों की तुलना कर लें तो सारा खेल समझ में आ जाएगा। कानपुर की कंपनी बिजली बेच कर उपभोक्ताओं से औसतन 7.96 रुपए प्रति यूनिट वसूलती है। जबकि आगरा की टोरेंट कंपनी को यूपी कॉर्पोरेशन कंपनी 5.55 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर 4.36 रुपए प्रति यूनिट की दर से उपलब्ध कराती है। 

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा- यूपी पावर कॉर्पोरेशन से टोरेंट कंपनी हर साल लगभग 2300 मिलियन यूनिट 4.36 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीद कर 7.98 रुपए प्रति यूनिट की दर से उपभोक्ताओं को बेच रहा है। इससे भी सरकार को प्रति यूनिट 3 रुपए का साफ घाटा लग रहा है। इससे टोरेंट को हर साल लगभग 700 करोड़ रुपए का मुनाफा हो रहा है। यदि निजीकरण नहीं होता तो ये फायदा यूपी पावर कॉरपोरेशन का होता।

मतलब साफ है कि अकेले आगरा के निजीकरण से हर साल यूपी पावर कॉरपोरेशन को 1000 करोड़ का नुकसान हो रहा है। सरकार के फैसले को लेकर होने वाली रैली में जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, लद्दाख, चंडीगढ़ और उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी संघों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए है। करीब 5000 लोग जुटे हैं।

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