निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दो अभियान जारी

मथुरा में संविदा कर्मियों ने दिया सामूहिक त्यागपत्र

निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दो अभियान जारी

लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति और टकराव का वातावरण बनाने का आरोप लगाया है। निजीकरण के विरोध में पूरे प्रदेश में जन प्रतिनिधियों  को ज्ञापन दो अभियान के अंतर्गत कई विधायकों को दिए गए ज्ञापन। 

संघर्ष समिति ने आज प्रदेश भर में सभाएं कर मई के महीने में बड़े आंदोलन की तैयारी का ऐलान किया संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण के विरोध में शांतिपूर्वक ध्यान आकर्षण सभाएं और प्रदर्शन करते हुए आज 150 दिन हो गए हैं और पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने संघर्ष समिति से इस मामले में एक बार वार्ता तक करना जरूरी नहींसमझा। प्रबंधन उल्टे बिजली कर्मचारियों ,संविदा कर्मियों और अभियंताओं का उत्पीड़न करने पर उतारू है। प्रबंधन के उत्पीड़न से परेशान होकर आज मथुरा के सभी संविदा कर्मियों ने सामूहिक त्यागपत्र दे दिया है।

समिति ने कहा कि प्रबंधन की अवैध ढंग से नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट के साथ मिली भगत है। इसी कारण कंसल्टेंट का झूठा शपथ पत्र और सभी फर्जी दस्तावेज सामने आने के बावजूद प्रबंधन कंसल्टेंट की नियुक्ति को रद्द करना तो दूर रहा  इसी कंसल्टेंट के साथ मिलकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के आर एफ पी डॉक्यूमेंट तैयार करा रहा है।

संघर्ष समिति ने कहा कि मध्यांचल के प्रबंध निदेशक ने बिजली अभियंताओं को धमकी दी है कि वे 28 अप्रैल तक अपने घरों पर स्मार्ट मीटर लगवा लें। इसी प्रकार का दबाव अन्य स्थानों पर भी बनाया जा रहा है। संघर्ष समिति ने कहा कि यह इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का उल्लंघन है। बिजली कर्मियों को रियायती बिजली की सुविधा एक्ट के जरिए मिल रही है और रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने के लिए स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं जिसका बिजली कर्मी पुरजोर विरोध करेंगे।

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