“ये पत्रकार पाकिस्तान की भाषा बोल इसे पीटो“
पहलगाम के सवाल पर भाजपा नेताओं ने पत्रकार को पीटा
By Tarunmitra
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कठुआ। दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार राकेश शर्मा को भाजपा कार्यकर्ताओं ने बुरी तरह मारा-पीटा. शर्मा की गलती ये थी कि उन्होंने भाजपा नेता से एक सवाल पूछ लिया था. ये सवाल पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सुरक्षा में हुई चूक के बारे में था. इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई है और कई घायल हैं. इसी के विरोध में भाजपा विधायक देवेंद्र मनियाल, भारत भूषण और राजीव जसरोटिया सहित कई भाजपा नेता कठुआ में कालीबाड़ी चौक के पास राष्ट्रीय राजमार्ग (नेशनल हाईवे) पर अपने कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन कर रहे थे.
58 वर्षीय शर्मा ने मीडिया को बताया कि उन्होंने मौके पर मौजूद भाजपा नेताओं से पूछा, “आप कब तक पाकिस्तान के पुतले जलाते रहेंगे? यह भी तो एक सुरक्षा चूक का मामला है.” इसके बाद, भाजपा कार्यकर्ता हिमांशु शर्मा ने कथित तौर पर चिल्लाते हुए कहा, “ये पत्रकार पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं. वे राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल उठा रहे हैं.”
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में, भाजपा कार्यकर्ता रविंदर सिंह शर्मा को लात मारते हुए दिखाई दे रहे हैं. पत्रकार के भागने की कोशिश करने पर और भी प्रदर्शनकारी उनका पीछा करते हुए शामिल हो जाते हैं.
शर्मा ने कहा, "उन्होंने मुझे मुक्का मारा और जो कुछ भी उनके हाथ लगा, उससे पीटा...डीएसपी रविंदर सिंह ने किसी तरह मुझे बचाया और अस्पताल पहुंचाया."
शर्मा ने कहा कि मारपीट के दौरान उनके कपड़े फट गए और जब वे रात 11.30 बजे एफआईआर दर्ज कराने गए तो उन्हें केवल बनियान पहनकर जाना पड़ा.
रविंदर सिंह, मंजीत सिंह, राज सागर, अश्विनी कुमार और हिमांशु शर्मा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 191 और 115 के तहत कठुआ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई. ये सभी भाजपा कार्यकर्ता हैं.
शर्मा ने दावा किया कि कई प्रयासों के बावजूद पुलिस ने उन्हें एफआईआर की कॉपी नहीं दी है. न्यूज़लॉन्ड्री ने टिप्पणी के लिए एसएचओ विशाल डोगरा से संपर्क किया. अगर वे जवाब देते हैं तो इस स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.
सरकारी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने पाया कि शर्मा की हालत स्थिर है, लेकिन तकलीफ के कारण गुरुवार को कठुआ के एके गुप्ता अस्पताल में उनका मेडिकल परीक्षण किया गया. उन्होंने दावा किया, "हमले के बाद से मैं ठीक से पेशाब नहीं कर पा रहा हूं."
दैनिक जागरण के कठुआ संस्करण के सिटी सप्लीमेंट में इस हमले की खबर प्रकाशित हुई. ख़ब का शीर्षक था: "कठुआ में दैनिक जागरण कर्मी पर हमला". हालांकि, जम्मू-कश्मीर या दिल्ली या उनके अन्य किसी संस्करण में इस हमले का उल्लेख नहीं है.
'वह मुझे सबक सिखाना चाहता था'
शर्मा का मानना है कि उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया. दो सप्ताह पहले, एक ऑपरेशन के बाद जिसमें चार पुलिस अधिकारी और दो आतंकवादी मारे गए थे, शर्मा का दावा है कि उन्होंने रविंदर सिंह की पाकिस्तान को सबक सिखाने वाली टिप्पणी पर सवाल उठाया था.
शर्मा ने याद करते हुए कहा, "मैंने उन्हें चुनौती दी थी कि अगर आपकी सरकार सत्ता में है तो ऐसी घटनाएं क्यों होती रहती हैं." "उन्होंने मेरा कैमरा बंद करवा दिया. तब से, वह मुझे सबक सिखाना चाहते थे."
इस बीच, भाजपा विधायक जसरोटिया और भूषण ने ताजा घटना की निंदा की. भूषण ने इसे "दुर्भाग्यपूर्ण" बताया जबकि जसरोटिया ने कहा, "रविंद्र सिंह ने शर्मा के साथ मारपीट की. मैं उनसे अस्पताल में मिलने भी गया था. हमने पार्टी के भीतर भी इस मुद्दे को उठाया है और मैंने कहा है कि हमें ऐसे लोगों को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए." जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने हस्तक्षेप क्यों नहीं किया, तो भूषण और जसरोटिया ने कहा कि घटना के समय वे सड़क के दूसरी तरफ चले गए थे.
पत्रकारों का विरोध प्रदर्शन
इस घटनाक्रम के दौरान मौजूद दो अन्य पत्रकारों ने हमले की पुष्टि की. क्षेत्रीय चैनल के पत्रकार और कठुआ प्रेस क्लब के महासचिव हरप्रीत सिंह ने कहा, "जब भाजपा नेता हमारे सवालों का जवाब नहीं दे रहे थे, तो हम वास्तव में नाराज थे. हमने कहा, 'अगर वे हमें जवाब नहीं देना चाहते हैं, तो इस घटना को कवर करने का क्या मतलब है?'"
घटना के बाद, पत्रकारों के एक समूह ने एसएसपी कठुआ शोभित सक्सेना से मुलाकात की और अपनी चिंताएं बताईं. प्रतिनिधिमंडल में शामिल सिंह ने कहा, "हमने उनसे कार्रवाई करने का आग्रह किया...सरकार से सवाल पूछने वाले किसी भी व्यक्ति के साथ ऐसा हो सकता है. हमने उनसे कहा कि हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि ऐसे माहौल में एक युवा पत्रकार के लिए यह काम करना कैसा होगा."
शहीदी चौक पर प्रदर्शन
अगले दिन, विभिन्न मीडिया आउटलेट्स के 30 से अधिक पत्रकारों ने अपनी बाहों पर काली पट्टियां बांधकर शहीदी चौक पर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने भाजपा कवरेज का बहिष्कार करने की भी घोषणा की. सिंह ने कहा, "जब यह घटना हुई, तब भाजपा के तीन विधायक मौजूद थे और उनमें से किसी ने भी बाद में हस्तक्षेप नहीं किया या इसकी निंदा नहीं की. अगर उन्हें हमारी सुरक्षा की परवाह नहीं है, तो हम उन्हें क्यों कवर करें?"
हिंदुस्तान समाचार के पत्रकार सचिन खजूरिया ने भी इस हमले को देखा. उन्होंने कहा, "यह एक शर्मनाक कृत्य था, खासकर शर्मा जैसे वरिष्ठ पत्रकार को निशाना बनाना. पत्रकार होने के नाते हमारा काम सवाल पूछना है. वे जवाब न देने का विकल्प चुन सकते हैं. इसके अलावा, हमने उन लोगों से सवाल भी नहीं पूछे जिन्होंने हमला किया."
जब जनता की राय ली गई तो जवाब चौकाने वाले थे. लोगों ने कहा कि दैनिक जागरण जैसे ही अखबार सरकार को हर तरीके से सपोर्ट करते हैं. जिसके कारण सरकार अपना काम भूल रही है.
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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
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